मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

सहनशीलता




सहनशीलता
होती है उसकी भी सीमा
मौन सहनशीलता नहीं
घातक बनती
तन मन दोनों के लिए

सहनशक्ति का पर्याय है धरती
पर क्या
अनवरत धूप से
दरारें नहीं फटतीं
निर्बाध बारिश से
उत्प्लावित नहीं होती
अंतस की अग्नि
ज्वालामुखी नहीं बनाती

बोलना
अपनी बातें समझाना
सहनशीलता की सीमा का
अतिक्रमण नहीं
अनर्गल बोलना
उद्दंडता से बोलना
हर बात में बोलना
परिधि पार करती हैं|

सही बात में चुप रह जाना
सर झुका तोहमतों को सह लेना
सहनशीलता नहीं
कायरता भी नहीं कह सकते
शायद संस्कार है
पर वैसे संस्कार का भी क्या
जो बना देती है
बेवकूफ और बेचारा
कभी कभी मानसिक अपाहिज भी|

ऋता शेखर मधु

9 टिप्‍पणियां:

  1. प्रस्तुति अच्छी लगी । इस लिए अनुरोध है कि एक बार समय निकाल कर मेरे पोस्ट पर आने का कष्ट करें । धन्यवाद । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  2. सहनशक्ति का पर्याय है धरती
    पर क्या
    अनवरत धूप से
    दरारें नहीं फटतीं
    निर्बाध बारिश से
    उत्प्लावित नहीं होती
    अंतस की अग्नि
    ज्वालामुखी नहीं बनाती

    सुंदर मंथन, वाह !!!!!!!!!!!

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  3. बहुत अच्छा लिखा आपने,बधाई बढ़िया प्रस्तुति

    NEW POST.... बोतल का दूध...

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  4. सही बात है, जैसे ज्यादा बोलना बुरी बात है, वैसे ही हर वक़्त चुप बैठ जाना भी उतना ही बुरा है!

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  5. सहनशक्ति का पर्याय है धरती
    पर क्या
    अनवरत धूप से
    दरारें नहीं फटतीं
    निर्बाध बारिश से
    उत्प्लावित नहीं होती
    अंतस की अग्नि
    ज्वालामुखी नहीं बनाती... अतिरेक सौम्य हो या आक्रोशित , परिणाम घातक ही होता है

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  6. सच तो ये है कि हमें वक्त कि नजाकत को पढ़ कर ही बोलना
    या चुप रहना चाहिए ! वैसे जो चुप रहते है उनकी उर्जा कभी भी भयानक विस्फोट में बदल सकती है !
    बहुत सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति !
    आभार !

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  7. सहनशीलता का अर्थ बेहद गहन है।

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  8. मौन सहनशीलता नहीं
    घातक बनती
    तन मन दोनों के लिए

    Sahmat hun.... Vyvharik soch liye rachna

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  9. मौन सहनशीलता नहीं
    घातक बनती
    तन मन दोनों के लिए

    ....बहुत सच कहा है..सुंदर और सटीक प्रस्तुति..

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