रविवार, 19 फ़रवरी 2017

कॉमन एरिया

कॉमन एरिया

"दीदी, सीढियों पर अँधेरा क्यों है|" मोना ने अन्दर आते हुए कहा तब तक रमा ने लाइट जला दी थी|
आज बहुत दिनों बाद मोना अपनी बड़ी बहन रमा से मिलने उसकी ससुराल वाले मकान में आई थी| रमा की शादी चार भाइयों के परिवार में हुई थी| वह बड़ी थी और उसने परिवार को पूर्ण समर्पण दिया था| उस वक्त मोना वहाँ आती थी तो उसे परिवार की एकता बहुत भाती थी| फिर उसकी शादी हो गई तो वह पति के साथ विदेश चली गई | बहुत दिनों बाद वापस आई तो मन में वही तस्वीर थी| अब वहाँ पर चार तल्ले वाली मकान थी और सभी भाइयों की गृहस्थी भी अलग हो चुकी थी|
''दीदी, सबके घरों के लाइट निकल रही है और टीवी की आवाजें भी आ रही हैं| इसका अर्थ है सभी घर में ही हैं|किसी ने यहाँ पर लाइट नहीं जलाई|''

''अरी, यह तो कॉमन एरिया है न| मैं रहती तो जलाती| आज तुझे लाने सवेरे ही एयरपोर्ट चली गई थी तो कौन जलाता|''

''तो क्या यह लाइट जलाने की जिम्मेदारी सिर्फ आपकी है?''

''मोना, कॉमन और पर्सनल एरिया में फर्क समझा कर|''

दीदी का दर्द उनकी बोली में झलक ही गया| मोना रमा के कँधे पर हाथ रखकर चुपचाप उपर चढ़ने लगी|

-ऋता शेखर 'मधु'

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