मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

रिटायर्ड-लघुकथा

रिटायर्ड
''आइए सर, आपका आना बहुत अच्छा लगा|'' वर्तमान प्राचार्य महोदय शर्मा जी पूर्व प्राचार्य सिन्हा जी का स्वागत करते हुए कहा|

''घर में बैठे बैठे मन नहीं लग रहा था तो सोचा स्कूल से हो लूँ|''

''आपके अनुभव हमारे बहुत काम आएँगे|''शर्मा जी ने मुस्कुराते हुए कहा|
विद्यालय के सभी शिक्षकगण आए और अभिवादन किया| जो पहले उनके सामने कुर्सी पर बैठते हुए झिझकते थे, आज आराम से बैठकर सर से हालचाल पूछने लगे|

''आपलोग अपने अपने क्लास में जाएँ| बच्चे शोर मचा रहे हैं|''शर्मा जी ने आदेशात्मक लहजे में कहा|

'जी', कहते हुए सभी शिक्षक वहाँ से चले गए |

शर्मा जी वहीं पर बैठकर सिन्हा जी से बातें करने लगे| तभी मोबाइल बज उठा|

मोबाइल पर बात करने के बाद शर्मा जी ने कहा,''सर, बारह बजे मीटिंग है| सभी प्रिंसिपल को फौरन बुलाया गया है| मैं निकलता हूँ|मुन्ना को कह देता हूँ वह चाय बना देगा| आप चाय पीकर ही जाइएगा|''

''नहीं, मै भी निकलता हूँ'',कहते हुए सिन्हा जी भी उठ खड़े हुए|

-ऋता शेखर 'मधु'

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