tag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post7658416325098003498..comments2024-03-20T16:15:08.075+05:30Comments on मधुर गुँजन: मास्साब...ऋता शेखर 'मधु'http://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-14881860943223661402012-05-28T14:35:49.455+05:302012-05-28T14:35:49.455+05:30मास्साब बिलकुल सही थे...स्वाभिमान भी तो कुछ मायने ...मास्साब बिलकुल सही थे...स्वाभिमान भी तो कुछ मायने रखता है...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-43105210147789392512012-05-27T14:07:45.187+05:302012-05-27T14:07:45.187+05:30बेशक, मास्टर जी का निर्णय सही था।बेशक, मास्टर जी का निर्णय सही था।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-89130751973562612222012-05-27T13:23:23.922+05:302012-05-27T13:23:23.922+05:30आपकी बात सही है मधुरेश...
शर्त आदेश का ही दूसरा ना...आपकी बात सही है मधुरेश...<br />शर्त आदेश का ही दूसरा नाम है और यह मान्य नहीं हो सकता.<br />प्यार से कहा जाता तो वे अवश्य मानते...जिस भाई को यहाँ तक पहुँचाया उसकी बातें मानने में कोई एतराज नहीं होना चाहिए.<br />दूसरी बात भी है...छोटे भाई को भी उनका रूप स्वीकार्य होना चाहिए था...स्नेह के रिश्ते में ये बातें मायने नहीं रखतीं.ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-89262876567167467772012-05-27T10:16:33.955+05:302012-05-27T10:16:33.955+05:30अजीब नियम हैं - घर था या जिमखाना क्लब?अजीब नियम हैं - घर था या जिमखाना क्लब?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-22571335652129102252012-05-26T23:45:41.248+05:302012-05-26T23:45:41.248+05:30शर्त और गुज़ारिश में अंतर होता है.. अगर भाई ये कहते...शर्त और गुज़ारिश में अंतर होता है.. अगर भाई ये कहते कि उनकी इच्छा है कि मास्साब फुल-पैंट में आयें तो भला कुछ बात होती.. शर्त तो अंतर का अपमान ही है..<br />आलेख अच्छा है, आपकी final टिपण्णी का इंतज़ार रहेगा.. कि आखिर आपके विचार में क्या सही है क्या ग़लत.. :)<br />सादर<br />मधुरेशMadhureshhttps://www.blogger.com/profile/03058083203178649339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-11382038698936739452012-05-26T18:09:20.208+05:302012-05-26T18:09:20.208+05:30गलत कोई नहीं था.......
बस एक दूसरे की भावनाओं को द...गलत कोई नहीं था.......<br />बस एक दूसरे की भावनाओं को दोनों ही नहीं समझ सके........<br />चोटी सी बात का फ़साना बन गया.....<br /><br />सस्नेह<br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-1569423309053985962012-05-26T13:32:10.419+05:302012-05-26T13:32:10.419+05:30मास्साब का निर्णय सही था,......
MY RECENT POST,,,...मास्साब का निर्णय सही था,......<br /><br />MY RECENT POST,,,,,<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/05/blog-post_23.html" rel="nofollow">काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-91399677677878119192012-05-26T12:19:26.523+05:302012-05-26T12:19:26.523+05:30अपनी अपनी जगह दोनों ही सही है..भाई बद्लाव चाहता था...अपनी अपनी जगह दोनों ही सही है..भाई बद्लाव चाहता था जो प्रकृति का नियम है..मास्टर सहाब अपनी पूरी जिन्दगी की कमाई हुई छबी को धुमिल करना नही चाहते थे ...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-23203903993356168142012-05-26T09:43:49.312+05:302012-05-26T09:43:49.312+05:30मास्साब के भाई .... पूरी ज़िन्दगी की तस्वीर बदलने ...मास्साब के भाई .... पूरी ज़िन्दगी की तस्वीर बदलने की कोशिश , उनके त्याग का अपमान हैरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com