tag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post6607585920265326751..comments2024-03-20T16:15:08.075+05:30Comments on मधुर गुँजन: रिक्शावाला- छंदमुक्त कविताऋता शेखर 'मधु'http://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-30215294301999894242020-05-30T15:00:57.940+05:302020-05-30T15:00:57.940+05:30एक नई सोच जी...धन्यवाद !!
आपकी कहानी सुपर पावर लॉक...एक नई सोच जी...धन्यवाद !!<br />आपकी कहानी सुपर पावर लॉकेट पढ़ी|<br />बहुत अच्छी कहानी है| कहानी के साथ कहानीकार का नाम भी रहे तो बाल साहोत्यकार के रूप में सबकी जानकारी रहे|ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-30526755395631327412020-05-30T14:54:32.361+05:302020-05-30T14:54:32.361+05:30धन्यवाद अलकनंदा जी !धन्यवाद अलकनंदा जी !ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-83128035832475449062020-05-30T14:53:51.296+05:302020-05-30T14:53:51.296+05:30धन्यवाद अनीता जी !धन्यवाद अनीता जी !ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-3713884666757865692020-05-30T14:52:33.057+05:302020-05-30T14:52:33.057+05:30धन्यवाद ओंकार जी!धन्यवाद ओंकार जी!ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-8503313321886213822020-05-29T14:22:54.141+05:302020-05-29T14:22:54.141+05:30सार्थक रचना, एक हृदयी स्पर्श रचना के लिए धन्यवाद ....सार्थक रचना, एक हृदयी स्पर्श रचना के लिए धन्यवाद .... 💐💐💐एक नई सोचhttps://www.blogger.com/profile/14740776222704904540noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-67943100879917794222020-05-29T14:06:45.906+05:302020-05-29T14:06:45.906+05:30सवारी को तिरपाल से बचाता
अपना सिर गमछा से बचा रहा
...सवारी को तिरपाल से बचाता<br />अपना सिर गमछा से बचा रहा<br />हाँ, वह रिक्शा चला रहा<br />सवारी को बुला रहा... ऋता शेखर जी, अमानवीयता के बीच मानवीय होने की अनुभुति किसी रिक्शेवाले को देखकर ही हो सकती हैAlaknanda Singhhttps://www.blogger.com/profile/15279923300617808324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-5649432384447293472020-05-29T09:24:04.376+05:302020-05-29T09:24:04.376+05:30
धमनी में बहते हुए रक्त
कभी होने लगते निःशक्त
बैठे...<br />धमनी में बहते हुए रक्त<br />कभी होने लगते निःशक्त<br />बैठे बैठे लग जाती है झपकी<br />तभी काँधे पर पड़ती थपकी<br />“ऐ उठो, पहुँचा दो चौक पर”<br />सजग होता अधमुंदी आखों से<br />चल पड़ता है पैडल घुमाता<br />नसें तड़तड़ाती हैं<br />वह रुकता नहीं<br />हताश तब होता है जब<br />सवारी चंद सिक्कों से भी<br />कुछ बचा लेना चाहती है<br />लड़ पड़ती है उस गरीब से<br />तब दिख जाती है<br />अमानवीयता करीब से...मार्मिक सृजन... अमर अमानवीयता चहरे बहुतेरे कब कौन कौनसा चेहरा दिखादे पता नहीं चलता. लाजवाब सृजन. अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-4378435600826415902020-05-29T05:30:48.060+05:302020-05-29T05:30:48.060+05:30मार्मिक कविता मार्मिक कविता Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-76199695637606406982020-05-29T05:23:29.296+05:302020-05-29T05:23:29.296+05:30बहुत सुंदरबहुत सुंदरOnkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-61738989166424046632020-05-28T09:51:05.301+05:302020-05-28T09:51:05.301+05:30आ० अजय कुमार जी, विश्वमोहन जी, शास्त्री सर, दिगंबर...आ० अजय कुमार जी, विश्वमोहन जी, शास्त्री सर, दिगंबर जी,राजा कुमारेंद्र जी, वंदना जी, सरिता जी जी, मीना जी...आप सभी का स्वागत व उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार !!ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-62646183838792752952020-05-28T09:15:39.170+05:302020-05-28T09:15:39.170+05:30सादर नमस्कार,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा ...सादर नमस्कार,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (29-05-2020) को <a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />"घिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूं" (चर्चा अंक-3716) </a> पर भी होगी। आप भी <br />सादर आमंत्रित है ।<br />…<br />"मीना भारद्वाज"<br /><br />Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-87892217461546861842020-05-27T23:16:09.508+05:302020-05-27T23:16:09.508+05:30सटिक और मार्मिक चित्रणसटिक और मार्मिक चित्रणSarita sailhttps://www.blogger.com/profile/03360494024921201942noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-5914620524024690832020-05-27T21:49:19.456+05:302020-05-27T21:49:19.456+05:30यथार्थपरक रचना.... आज का कटु सत्य यथार्थपरक रचना.... आज का कटु सत्य राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengarhttps://www.blogger.com/profile/16845724216196125455noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-63125729951174028492020-05-27T21:10:56.394+05:302020-05-27T21:10:56.394+05:30मार्मिक ... रिक्शावाले की यंत्रणा को लिखा है... म...मार्मिक ... रिक्शावाले की यंत्रणा को लिखा है... मेहनतकश इनसान आज कितना मजबूर है ... सटीक रचना है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-37470023451860091042020-05-27T17:13:40.484+05:302020-05-27T17:13:40.484+05:30आह ! यथार्थपरक कविता आह ! यथार्थपरक कविता vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-18495378108119069972020-05-27T16:21:21.258+05:302020-05-27T16:21:21.258+05:30वर्तमान परिवेश में रची गयी मार्मिक रचना।वर्तमान परिवेश में रची गयी मार्मिक रचना।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-36226910969813171112020-05-27T15:15:55.396+05:302020-05-27T15:15:55.396+05:30मार्मिक अभिव्यक्ति!मार्मिक अभिव्यक्ति!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-61499542659318524392020-05-27T15:06:07.612+05:302020-05-27T15:06:07.612+05:30आज चारों तरफ अचानक ही उभर आए ये हालात सच में ही इं...आज चारों तरफ अचानक ही उभर आए ये हालात सच में ही इंसानियत से ये सवाल कर रहे हैं | सच को उकेरती हुई सारी पंक्तियाँ अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.com