tag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post7332808705990580466..comments2024-03-20T16:15:08.075+05:30Comments on मधुर गुँजन: मन का मेटाबॉलिज़्मऋता शेखर 'मधु'http://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-90668971084394739362012-04-27T18:09:15.175+05:302012-04-27T18:09:15.175+05:30भाँति भाँति प्रकार की
संवेदनाएँ
कड़वे या मीठे बोल
...भाँति भाँति प्रकार की<br />संवेदनाएँ<br />कड़वे या मीठे बोल<br />मार्मिक या मनभावन दृष्य<br />कठोर या स्नेहिल स्पर्श<br />पर ये मन<br />क्यूँ आत्मसात् नहीं कर पाता<br />क्लिष्ट संवेदनाएँ<br />पेट की तरह<br />क्यूँ हम नहीं बना पाते इन्हें<br />इतना सरल तरल कि<br />ये मन पर भार न छोड़ें<br />क्या मन का मेटाबॉलिज्म इतना कमजोर है ?... kya baat kahi hai aapne ... bahut khoob ...Dr Xitija Singhhttps://www.blogger.com/profile/16354282922659420880noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-314897013655316572012-04-27T01:32:57.273+05:302012-04-27T01:32:57.273+05:30'मन के मते न चालिये ,छाँड़ि जीव की बानि ,
ताकू...'मन के मते न चालिये ,छाँड़ि जीव की बानि ,<br />ताकू केरे सूत ज्यूं,उलटि अपूठा आनि!'<br />- यही तो कबीर सा. कब से कह रहे हैं कोई सुने भी !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-77872981864507906392012-04-27T01:30:27.847+05:302012-04-27T01:30:27.847+05:30'मन के मते न चालिये ,छाँड़ि जीव की बान ,
ताकू ...'मन के मते न चालिये ,छाँड़ि जीव की बान ,<br />ताकू केरे सूत ज्यूँ ,उलटि अपूठा आन !'<br />- कब से कबीर जी कह रहे हैं ,कोई सुने भी!प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-82457275791115326632012-04-26T20:32:53.162+05:302012-04-26T20:32:53.162+05:30bahut prateekatmak prastuti. acchhi seekh deti hui...bahut prateekatmak prastuti. acchhi seekh deti hui.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-60352920783566665882012-04-26T13:57:03.927+05:302012-04-26T13:57:03.927+05:30वाह ..गज़ब की सोच है.
यूँ पेट भी एक सीमा के बाद वि...वाह ..गज़ब की सोच है.<br />यूँ पेट भी एक सीमा के बाद विद्रोह सा कर देता है और मन भी.<br />संगीता जी कि टिप्पणी भी सार गर्भित लगी.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-84852759167079023572012-04-26T12:20:27.448+05:302012-04-26T12:20:27.448+05:30bahut sundar prastuti....bahut sundar prastuti....Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-54295458958792861762012-04-26T10:40:24.768+05:302012-04-26T10:40:24.768+05:30वाह मधुजी ..बिलकुल हटकर सोच ...और बिम्ब ...मज़ा गया...वाह मधुजी ..बिलकुल हटकर सोच ...और बिम्ब ...मज़ा गया आपकी रचना पढ़कर !!!!!Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-29119232543300057402012-04-26T10:39:29.814+05:302012-04-26T10:39:29.814+05:30वाह मधुजी ..बिलकुल हटकर सोच ...और बिम्ब ...मज़ा गया...वाह मधुजी ..बिलकुल हटकर सोच ...और बिम्ब ...मज़ा गया आपकी रचना पढ़कर !!!!!Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-47408910151338839372012-04-26T00:52:31.494+05:302012-04-26T00:52:31.494+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार ...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 19 -04-2012 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/" rel="nofollow"> .... आज की नयी पुरानी हलचल में ....आईने से सवाल क्या करना .</a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-44576551179101345612012-04-25T11:55:56.284+05:302012-04-25T11:55:56.284+05:30वाह!!!!बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,
MY RECENT POST......वाह!!!!बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,<br /><br />MY RECENT POST...<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/04/dheerendradheer.html#links" rel="nofollow">काव्यान्जलि ...: गजल.....</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-21176972208051283402012-04-25T11:29:56.529+05:302012-04-25T11:29:56.529+05:30बहुत ही सार्थकता लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।बहुत ही सार्थकता लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-52330510468011212422012-04-25T09:59:31.444+05:302012-04-25T09:59:31.444+05:30पेट की भी सीमा होती है तो मन की होगी नपेट की भी सीमा होती है तो मन की होगी नरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-72935796875954729412012-04-25T09:07:19.422+05:302012-04-25T09:07:19.422+05:30बहुत खूब ....
चटपटी और स्वादिष्ट पोस्ट के लिए आभार...बहुत खूब ....<br />चटपटी और स्वादिष्ट पोस्ट के लिए आभार !<br />पानी कहाँ है ??Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-7688597340172152502012-04-25T08:50:52.191+05:302012-04-25T08:50:52.191+05:30बढ़िया प्रस्तुति -चंचल मन पर ।।बढ़िया प्रस्तुति -चंचल मन पर ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-26454395198802094922012-04-25T05:55:30.685+05:302012-04-25T05:55:30.685+05:30बहुत ही सुन्दर !!
metabolism का psychic analog बहु...बहुत ही सुन्दर !!<br />metabolism का psychic analog बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया आपने... <br />सादरMadhureshhttps://www.blogger.com/profile/03058083203178649339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-3798028050430841992012-04-25T01:47:11.885+05:302012-04-25T01:47:11.885+05:30पर ये मन
क्यूँ आत्मसात् नहीं कर पाता
क्लिष्ट संवेद...पर ये मन<br />क्यूँ आत्मसात् नहीं कर पाता<br />क्लिष्ट संवेदनाएँ<br />पेट की तरह<br />क्यूँ हम नहीं बना पाते इन्हें<br />इतना सरल तरल कि<br />ये मन पर भार न छोड़ें<br /><br />सटीक बिम्ब लेकर रची बेहतरीन रचना डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-32604806956557033682012-04-25T01:06:04.731+05:302012-04-25T01:06:04.731+05:30बहुत बढ़ियाबहुत बढ़ियाSMhttps://www.blogger.com/profile/08421656022621802223noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-83435319535031488922012-04-24T23:17:39.868+05:302012-04-24T23:17:39.868+05:30चुगल खोर हर आदमी दोष पेट को देय,अपना आपा खोय .
फि...चुगल खोर हर आदमी दोष पेट को देय,अपना आपा खोय .<br /><br />फिर भी कहा यही जाता है इसके पेट में कोई बात नहीं पचती .हैं न शातिर दिमाग .<br />रविवार, 22 अप्रैल 2012<br />कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा तंत्र -- भाग तीन<br />कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा तंत्र -- भाग तीन<br />डॉ. दाराल और शेखर जी के बीच का संवाद बड़ा ही रोचक बन पड़ा है, अतः मुझे यही उचित लगा कि इस संवाद श्रंखला को भाग --तीन के रूप में " ज्यों की त्यों धरी दीन्हीं चदरिया " वाले अंदाज़ में प्रस्तुत कर दू जिससे अन्य गुणी जन भी लाभान्वित हो सकेंगे |<br /><br />वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई )<br />http://veerubhai1947.blogspot.in/virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-41560747360345030342012-04-24T23:09:26.242+05:302012-04-24T23:09:26.242+05:30बहुत सार्थक प्रश्न किया है ... व्यंजनों को पचाने ...बहुत सार्थक प्रश्न किया है ... व्यंजनों को पचाने के लिए बहुत से पाचक रस होते हैं जो स्वत: ही निकलते रहते हैं ॥काश ऐसा ही कोई रस होता जो संवेदनाओं को भी तरल बना कर सरल कर देता ॥संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-32074283652453466682012-04-24T23:02:09.241+05:302012-04-24T23:02:09.241+05:30चुगल खोर हर आदमी दोष पेट को देय,अपना आपा खोय .चुगल खोर हर आदमी दोष पेट को देय,अपना आपा खोय .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-29641994458926136682012-04-24T22:39:31.155+05:302012-04-24T22:39:31.155+05:30बहुत बढ़िया ऋता जी...........
क्या कल्पना है........बहुत बढ़िया ऋता जी...........<br /><br />क्या कल्पना है........<br />वैसे मन वास्तव में बड़ा कमज़ोर होता है.........उसे तो कभी कभी कोमल भाव भी हजम नहीं होते....<br /><br />सस्नेह.<br /><br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com