tag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post9087731892618689388..comments2024-03-20T16:15:08.075+05:30Comments on मधुर गुँजन: मेरी माँ....ऋता शेखर 'मधु'http://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-54065904700255135782013-08-02T14:04:20.331+05:302013-08-02T14:04:20.331+05:30शुक्रिया। आपकी कविता पढ कर ही यह लिखने की प्रेरणा ...शुक्रिया। आपकी कविता पढ कर ही यह लिखने की प्रेरणा मिली। इसी तरह हमें प्रेरित करते रहिये।Geetika Kohlihttps://www.blogger.com/profile/00684930532205064565noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-25326489382472490052013-08-01T23:47:19.841+05:302013-08-01T23:47:19.841+05:30बहुत सुंदर गीतिका...आपकी रचना आपकी उत्कृष्ट सोच को...बहुत सुंदर गीतिका...आपकी रचना आपकी उत्कृष्ट सोच को दर्शा रही है...<br /><br />अतीत से आज का,<br />मिलना संभव नहीं।<br />शून्य बस क्षितिज है,<br />शून्य सत्य नहीं।...बहुत खूब...आप बहुत आगे तक जाएँगी!!ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-62778751638604443812013-08-01T22:47:57.449+05:302013-08-01T22:47:57.449+05:30*पर्याय*पर्यायGeetika Kohlihttps://www.blogger.com/profile/00684930532205064565noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-92111480053728897102013-08-01T22:35:20.211+05:302013-08-01T22:35:20.211+05:30धन्यवाद। आज शून्यता के बारे में मैने फिर बहुत सोचा...धन्यवाद। आज शून्यता के बारे में मैने फिर बहुत सोचा। विचारों ने कुछ इस तरह कविता का रूप लिया हैः<br /><br />शून्यांध<br /><br />सत्य-असत्य के भंवर में,<br />‘शून्य’ का भी स्वर है।<br />रिक्तता की ऊँचाई पर,<br />शून्यता कैसा स्तर है?<br /><br />समय समय पर समय भी,<br />स्वयं का समर्पण करता है।<br />अक्सर भ्रम में कौंध कर,<br />शून्य-दर्शन करता है।<br /><br />पर कोरे पन्नों में ही,<br />कल्पना खोजती चित्र है।<br />शून्यता संभव नहीं,<br />विचारों से चरित्र है।<br /><br />हर क्षण गुणा होना,<br />हर कण की प्रकृति है।<br />शून्यता छल है,<br />बढना ही प्रवृति है।<br /><br />जिस अंत से परिचय,<br />हम सभी का होता है,<br />वह शून्य का प्रयाय नहीं,<br />अंकों से समझौता है।<br /><br />पनपता है लघु श्वासों में,<br />मृत्यु का भी जीवन।<br />देह से बिछोह है,<br />आत्मा से मिलन।<br /><br />अतीत से आज का,<br />मिलना संभव नहीं।<br />शून्य बस क्षितिज है,<br />शून्य सत्य नहीं।Geetika Kohlihttps://www.blogger.com/profile/00684930532205064565noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-60512384739717441062013-08-01T18:43:18.097+05:302013-08-01T18:43:18.097+05:30थैंक्स गीतिका..ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है
शू...थैंक्स गीतिका..ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है<br /><br />शून्य में ही संसार है<br />शून्य ही जीवन का सार है<br />शून्य ही ब्रह्मांड है<br />प्यारा सा बाल-कांड है<br />माँ में समाया सुखद अहसास<br />जिसके भीतर पल रही है सांस...<br /><br />ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-15155273381293235712013-07-29T18:35:19.702+05:302013-07-29T18:35:19.702+05:30बहुत अच्छा लगा। आप की इस रचना से प्रेरित हो कर मैन...बहुत अच्छा लगा। आप की इस रचना से प्रेरित हो कर मैने भी कुछ लिखा है। <br /><br />शून्यांश<br /><br />स्वर्ग से उस गर्भ में,<br />प्रेम के संदर्भ में,<br />ले रहा श्वास जो,<br />पिरोये है आस जो,<br />तेरा ही तो माँ अंश है,<br />आज दीपक, कल वंश है,<br />तेरी आत्मा, तेरा अंग,<br />तेरे अश्रुओं का रँग,<br />माँ तेरा वह संसार है,<br />जीवन है, उद्धार है,<br />शून्यता का संहार है,<br />शून्यता का ही प्रकार है।Geetika Kohlihttps://www.blogger.com/profile/00684930532205064565noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-47134464374201704952013-07-04T21:46:00.153+05:302013-07-04T21:46:00.153+05:30माँ प्रथम एहसास है जीवन का। बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति...माँ प्रथम एहसास है जीवन का। बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति।<br />सादर <br />मधुरेश Madhureshhttps://www.blogger.com/profile/03058083203178649339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-4197124225416624772013-07-03T19:11:01.180+05:302013-07-03T19:11:01.180+05:30बहुत बहुत बहुत सुन्दर शब्द चयन और उतनी ही सुन्दरता...बहुत बहुत बहुत सुन्दर शब्द चयन और उतनी ही सुन्दरता से पिरोया है आपने उन्हें माँ के प्रति अपने भावो में ..मुझे आपकी रचना बहुत पसंद आई ..कभी मेरे ब्लॉग पर आकर मेरा मार्गदर्शन करें ..पसंद आने पर ब्लॉग ज्वाइन करें ...<br /><br />मन के अनकहे भावो को इस रचना में बहा दिया ..आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में मेरी नयी रचना <a href="http://parulpankhuri.blogspot.in/2013/07/blog-post.html#comment-form" rel="nofollow">Os ki boond: मन की बात ...</a>Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01778260954830787342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-9384499639210211922013-07-03T15:41:29.142+05:302013-07-03T15:41:29.142+05:30बेहतरीन.....और सुन्दर ।बेहतरीन.....और सुन्दर ।इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-70380110811424550072013-07-03T14:33:41.846+05:302013-07-03T14:33:41.846+05:30बहुत प्यारी रचना....बहुत प्यारी रचना....Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-12822523521654227692013-07-02T23:26:54.507+05:302013-07-02T23:26:54.507+05:30 बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाये बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाये Dr. Shoryahttps://www.blogger.com/profile/03251125311923382578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-79448384484660963242013-07-02T23:22:51.129+05:302013-07-02T23:22:51.129+05:30बहुत खूबसूरत रचना ... बहुत खूबसूरत रचना ... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-26685445494440493332013-07-02T22:45:42.863+05:302013-07-02T22:45:42.863+05:30मन को छूती हुई सुंदर अनुभूति
बेहतरीन रचना
सादर...मन को छूती हुई सुंदर अनुभूति<br />बेहतरीन रचना <br /> सादर<br /><br />जीवन बचा हुआ है अभी---------<br /> Jyoti kharehttps://www.blogger.com/profile/02842512464516567466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-13664960775255101212013-07-02T19:16:25.636+05:302013-07-02T19:16:25.636+05:30बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
आपको सूचित करते हु...बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!<br />आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (03-07-2013) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> .. जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1295 </a> पर भी होगी!<br />सादर...!<br />शशि पुरवार shashi purwarhttps://www.blogger.com/profile/04871068133387030845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-40543503238534361092013-07-02T18:08:22.736+05:302013-07-02T18:08:22.736+05:30्बहुत सुन्दर अहसास...्बहुत सुन्दर अहसास...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2941487212104792364.post-16195106513729106142013-07-02T16:23:09.320+05:302013-07-02T16:23:09.320+05:30बहुत सुंदर रचना, बहुत सुंदर । वैसे बात जब भी मां क...बहुत सुंदर रचना, बहुत सुंदर । वैसे बात जब भी मां की होती है तो मुझे मुनव्वर राना की दो लाइनें याद आ जाती हैं..<br /><br />ऐ अंधेरे देख ले, मुंह तेरा काला हो गया<br />मां ने आंखे खोल दी, घर में उजाला हो गया। <br />महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.com