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शनिवार, 30 जुलाई 2011

सरस्वती वन्दना


ॐ सरस्वती – वन्दना ॐ

 

हे माँ सरस्वती हे विद्यादायिनी
हे वागेश्वरी हे वरदायिनी
सरल हास्य मुख है मुदित
वर दे रहें सदा हम निश्छल और आनन्दित |
कर  में   वीणा किया है धारण
जगत सरगम में बंधा तेरे कारण
दिया  हमें  संगीत  और   सुर
वर दे रहें सदा हम बन एक सूत्र |
पुस्तकधारिणी तुम हो विद्या की देवी
हम मूढ़ अज्ञानी तेरे चरणों के सेवी
हैं  तेरी  कृपा  के  विनीत   प्रार्थी
वर दे रहें सदा हम ज्ञान रथ के सारथी |
श्वेत  हंस  पर  होकर  सवार
संदेश देती शांति हो विश्व का आधार
तेरी छत्रछाया में बनें हम सज्जन सपूत
वर दे  रहें सदा हम  अमन के दूत |
कमल-पुष्प पर रहती  आसीन
धैर्य बुद्धि विवेक  है तेरे अधीन
सारे सद्‌गुण माँ भर दे मुझ में
वर दे रहें सदा हम आसक्त तुझ में|
वेदमाता कहलाती हैं गायत्री
हैं  वह  ज्ञान की अधिष्ठात्री
तुम उनका ही रूप हो माता
वर दे रहें सदा हम महामाया के ज्ञाता|
जय माँ पद्मासिनी जय माँ वीणापाणि
जय माँ शारदा   जय माँ हँसवाहिनी
करते हैं तुझे शत्-शत् नमन
तेरी वन्दना करते हैं हम|
                        ॠता शेखर मधु