ॐ सरस्वती – वन्दना ॐ
हे माँ सरस्वती हे विद्यादायिनी
हे वागेश्वरी हे वरदायिनी
सरल हास्य मुख है मुदित
वर दे रहें सदा हम निश्छल और आनन्दित |
कर में वीणा किया है धारण
जगत सरगम में बंधा तेरे कारण
दिया हमें संगीत और सुर
वर दे रहें सदा हम बन एक सूत्र |
पुस्तकधारिणी तुम हो विद्या की देवी
हम मूढ़ अज्ञानी तेरे चरणों के सेवी
हैं तेरी कृपा के विनीत प्रार्थी
वर दे रहें सदा हम ज्ञान रथ के सारथी |
श्वेत हंस पर होकर सवार
संदेश देती शांति हो विश्व का आधार
तेरी छत्रछाया में बनें हम सज्जन सपूत
वर दे रहें सदा हम अमन के दूत |
कमल-पुष्प पर रहती आसीन
धैर्य बुद्धि विवेक है तेरे अधीन
सारे सद्गुण माँ भर दे मुझ में
वर दे रहें सदा हम आसक्त तुझ में|
वेदमाता कहलाती हैं गायत्री
हैं वह ज्ञान की अधिष्ठात्री
तुम उनका ही रूप हो माता
वर दे रहें सदा हम महामाया के ज्ञाता|
जय माँ पद्मासिनी जय माँ वीणापाणि
जय माँ शारदा जय माँ हँसवाहिनी
करते हैं तुझे शत्-शत् नमन
तेरी वन्दना करते हैं हम|
ॠता शेखर ‘मधु’