शनिवार, 18 अप्रैल 2020

सेल्फ़ डिपेंडेंट

सेल्फ़ डिपेंडेंट...अर्थात आत्मनिर्भर होना|
परावलंबन का संबंध अधिकतर स्त्रियों और सेवक वर्ग से जुड़ा होता है|
इस सेल्फ़ डिपेंडेंट की रेंज क्या है, इसे कोरोना काल ने सुस्पष्ट कर दिया है| 
सेल्फ़ डिपेंडेंट...कब कब ?
१.शारीरिक रूप से
२.आर्थिक रूप से
३.मानसिक रूप से 
४.सामाजिक रूप से
५...................
१.शारीरिक रूप से सेल्फ डिपेंडेंट रहने की कामना बुजुर्गों में होती हैं| वे चाहते हैं कि अपनी रोजमर्रा का काम वे खुद कर पाएँ| उनको किसी को आवाज न लगानी पड़े|| उन्हें अक्सर यह बोलते हुए सुना जा सकता , "भगवान हमें चलते फिरते उठा लेना|" 
शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति भी अपना काम खुद करना पसंद करते हैं और किसी की मदद कम से कम लेना चाहते हैं|
२.आर्थिक रूप से सेल्फ़ डिपेंडेंट होने की कामना युवा वर्ग को  होती है| एक निश्चित उम्र के बाद आर्थिक डिपेंडेंसी उन्हें खलने लगती है| इसे लड़कियों के मामले में भी खूब प्रयोग में लाया जाता है| पहले लड़कियों के लिए सिर्फ़ पढ़ना लिखना जरूरी समझा जाता था| किन्तु उनकी दुर्दशा देखकर धीरे धीरे किसी नौकरी या व्यवसाय से जुड़कर उन्होंने  आर्थिक रूप से खुद को सेल्फ़ डिपेंडेंट बनाया| हालांकि अभी भी प्रतिशत बहुत अधिक नहीं है फिर भी कोशिशें निरंतर जारी हैं|
वृद्धों को पेंशन मिलना भीआर्थिक सेल्फ डिपेंडेंट होना है|
३. मानसिक रूप से सेल्फ डिपेंडेंट होने का अर्थ है निर्णय लेने की क्षमता होना|पर किसी कारण से यह डिपेंडेंसी भी झेलनी पड़ती है|
४. सामाजिक रूप से सेल्फ डिपेंडेंट होने में आप सामाजिक कार्यों में बिना किसी हस्तक्षेप के अपना योगदान दे सकते हैं| यह सोचने और अवलोकन की बात है कि क्या हम सभी इस मामले में स्वतंत्र हैं|

अब बात करते हैं कोरोना काल की जिसने नए सेल्फ डिपेंडेंट को जन्म दिया है|...उसके पहले सामाजिक सोच के कुछ उदाहरण देती हूँ|
दृष्य १
"किरण, लड़का बाहर जा रहा, उसे कुछ सिखा दे ताकि वक्त बेवक्त खुद बना कर खा सके"
अरे क्या बुआ, मैं तो कुछ नहीं सीखने वाला| अब किस चीज की कमी है बाजार में, ऑनलाइन मँगाओ और खाओ|""
"हाँ दीदी, ये ठीक कह रहा| यहाँ तो कभी किसी ने खाना भी खुद निकाल कर न खाया है|"
दृष्य २
"बिटिया, पढ़ाई लिखाई के कारण रसोई का काम नहीं सीख सकी| अब नौकरी पर जा रही| कुछ तो पकाना सीख ले|"
"क्या चाची, कमाएँगे, कुक रखेंगे और मस्ती से रहेंगे|"
" बिटिया, बेला बखत कोई नहीं जानता| कभी खुद बनाना पड़े तो| "

कहने का अर्थ यह रहा कि रसोई युवा पीढ़ी के लिए कोई आवश्यक जगह नहीं जबकि रसोई न हो तो दुनिया टिकेगी कैसे|
कल दिल्ली में एक पिज्जा डिलिवरी बॉय का कोरोना पॉजिटिव पाया जाना दिल्ली में हड़कंप मचा गया| उसने सत्तर घरों में पिज्ज़ा दिया था| 
अब सोचने वाली बात यह है कि लोग इतने लापरवाह कैसे हो गये| जब पूरी दुनिया में सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही, बाहर से सामान लेने पर भी पाबंदी है| बाहर से आने वाले पैकेट और सब्जियाँ सभी एहतियात से धोकर प्रयोग कर रहे, ऐसे समय में यह ऑर्डर कैसे प्लेस किया गया और लोग भी किस प्रकार हिम्मत कर पाए|
कल फेसबुक पर एक पोस्ट में मैंने यही बात पूछी तो यह बात सामने आई कि जो बच्चे घर नहीं जा पाए ्उन्होंने मजबूरी में पिज्जा मँगवाया होगा| इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता | 
तो क्या वे बच्चे सेल्फ डिपेंडेंट नहीं थे|
जवाब यही हो सकता है ...कि नहीं थे| उन्होंने कभी यह विचार भी नहीं किया होगा कि कभी इस तरह की नौबत आ सकती है वरना  इंडक्शन या बॉयलर तो रख ही सकते थे| पिज्जा मँगवाने वाले इन सब चीजों को एफोर्ड भी कर सकते हैं|
सेल्फ डिपेंडेंसी में यहीं पर मात खा जाएँगे बच्चे यदि आरम्भ से ही पढ़ाई के साथ साथ उनसे रसोई के हल्के फुल्के काम करवाने की ट्रेनिंग न दी जाए| कोरोना ने बता दिया कि अब वैसी रईसी का महत्व नहीं जो काम न करना जाने| साधारण सी खिचड़ी न बना सकें, एक रोटी न बना सकें|
वो माएँ जो बेटे-बेटी से थोड़ा भी काम करने को प्रेरित नहीं कर पातीं उनको भी सोचना होगा|
५ अब सेल्फ डिपेंडेंट होना है रसोई में...कोरोना हमेशा नहीं रहने वाला...पर जब भी माँ न हों घर में, पत्नी मायके गई हो तो बाहर का खाना न खाएँ| खुद बनाएँ और खाएँ|
बाहर का खाना बहुत खास समय के लिए रखें...सेल्फ डिपेंडेंट बनें|
@ऋता शेखर 'मधु'

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

लॉकडाउन - मोदी जी की सप्तपदी

     आज 14 अप्रैल 2020 को लॉक डाउन के 21 दिन पूरे हो चुके हैं। देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस भयावह कोरोना काल में हरसम्भव जनता के सम्पर्क में रहे। आज सुबह 10 बजे उन्होंने तीसरी बार जनता को सम्बोधित किया। लॉक डाउन की अवधि 3 मई तक के लिए बढ़ा दी गयी है। नियम तोड़ने वालों के लिए आगामी 20 अप्रैल तक प्रशासन बहुत सख्त रहेगा।
मोदी जी का सम्बोधन जनता में नई ऊर्जा नई शक्ति का संचार करता है इसमें कोई शक नहीं। किन्तु एक बात और भी रहती है कि जनता उनके संबोधन में हमेशा एक धमाके जैसा कुछ होने का इंतेज़ार करती है ।यह नोटबन्दी धमाका का आफ्टर इफेक्ट जैसा लगता है। इस कोरोना काल में उन्होंने ताली बजाकर सब कोरोना योद्धाओं के लिए आभार प्रकट करवाया। दूसरी बार एक दिया जलाने को कहा। जनता का भरपूर समर्थन मिला।
आज उन्होंने बहुत पते की बात कही है।
चिकित्सा क्षेत्र में भारत से कई गुना आगे रहने वाले देश भी कोरोना को काबू में न कर सके जैसा भारत ने कर दिखाया। वे सभी देश भारत सरकार की कार्यकुशलता की दाद दे रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत से हैड्रोक्लोरोक्वीन दवा निर्यात करने की मदद मांगी और भारत यहाँ भी पीछे न रहा।
भारत विश्व में सबसे अधिक आबादी वाला दूसरा देश है। 130 करोड़ आबादी वाले देश में सरकार के उचित निर्णय ने कोरोना को फैलने से रोक दिया, यह वाकई विशिष्ट कार्य है।
हालांकि यह दुख की बात है कि कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा कोरोना को फैलाने का दुष्कृत्य सोचनीय रहा। इस कारण से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर सैकड़ा से हजार और अब 10 हजार से ऊपर चली गयी।
सरकार के सामने वायरस के साथ साथ तब्लीगी जमात के लोगों से निपटने की चुनौती भी आ गयी। चार दिन पहले निहंग समूह के एक व्यक्ति ने एक पुलिस अधिकारी का हाथ काट दिया जिसे साढ़े सात घण्टों की कठिन ऑपेरशन से जोड़ दिया गया। यहाँ पर एक अच्छी बात यह रही कि सिख समुदाय ने निहंगों के कुकृत्य के लिए सोशल मीडिया पर उनकी भर्त्सना की जो तब्लीगी जमात से संबंधित समुदाय अपने समुदाय के लिए न कर सकी।
देश पर आए संकटकाल में खाद्य दवा की दुकानीं खुली रहीं। रोजमर्रा की वस्तुएं मिलती रहीं।
अब बात करते हैं आज की घोषणा के बारे में। आज मोदी जी ने सात बातें कहीं और जनता से निवेदन किया कि वे उन सबका पालन करें। इसे सप्तपदी का नाम दिया गया।ये रहे वे सप्तपदी...
मोदी जी की सप्तपदी...3 मई तक के लिए
1 बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें
2 लक्ष्मण रेखा का पालन हो
3 इम्युनिटी के लिए आयुष मंत्रालय
4 आरोग्य सेतु app रखें
5 गरीब परिवार की देखरेख
6 सहकर्मी के प्रति संवेदना
7 कोरोना योद्धाओं का सम्मान
जनता से निवेदन किया गया कि आरोग्य सेतु नामक ऐप डाउनलोड करें। जब सब लोग इस ऐप को रखेंगे तो आसपास के कोरोना संक्रमित व्यक्ति की सूचना मिल जाएगी। इससे सावधानी बरतने में आसानी हो जाएगी।
        अभी हम सभी को ३ मई तक घर में रहना है और कोरोना को मात देना है। घर में रहिये, कहानियां पढ़िए, बच्चों के साथ खेलिए, नई नई डिशेज आजमाइए। टेलिविज़न पर रामायण, महाभारत ,व्योमकेश बख़्शी ,बुनियाद, शक्तिमान, श्रीमानजी श्रीमती जी, सर्कस जैसे धारावाहिकों का पुनरप्रसारण देखिए।
आशा है की लॉक डाउन की दूसरी पारी में कोरोना पर नियंत्रण करने में सरकार के साथ जनता सफल हो जाएगी और सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा।
कुछ जिलों के प्रयास सराहनीय रहे हैं।
@ऋता शेखर मधु

गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

कोरोना काल-१ सखी आस दीपक जलाना है

Coronavirus End one day But will change the world in many ways ...

घरों में रहें, ये बताना है
हमें वायरस को हराना है

कहें लोग, है जीव बाहर का
नहीं यान से घर बुलाना है

विषाणु खतरनाक हैं देखो

उसे तो सभी को मिटाना है

बिना हाथ धोए न छूना तन
वहीं पर उसका ठिकाना है

घुसे कंठ में आँख कानों से
इसी रास्ते को छुपाना है

करे जो ख़ुराफ़ात कोरोना
गरम नीर पीकर डुबाना है

न नजदीक जाएँ किसी के भी
सभी को नियम यह निभाना है

करें सैनिटाइज हरिक चीजें

उसे इस तरह से भगाना है

वहीं आततायी बना कोविड
बना फेफड़ों का दिवाना है

हुए संक्रमित धैर्य रखना प्रिय
समय से उसे भाग जाना है

नहीं शर्म की बात है इसमें
समाधान से ही हटाना है

हुए लॉकडाउन प्रदेशों में
दवा खाद्य फिर भी जुटाना है

घरों से करें काम दफ़्तर के
हुआ आज कैसा जमाना है

मदद कर सकें हम गरीबों की
यही भाव मन में बिठाना है

यदि आस या पास हो कोई
बुलाकर उसे भी जिमाना है

भयंकर हुआ मौत का तांडव
सतर्क रह उसे भी घटाना है

ढकें मास्क से चेहरा अपना
हमें तो उसे बस छकाना है

लड़ाई चलेगी अभी लम्बी
सखी आस दीपक जलाना है 

जहर जो भरे जा रहे हैं मनु
अमृत से उसे भी हटाना है

नहीं प्रेम का काट दुनिया में
मिलेगी सफलता, दिखाना है

122 122 122 2
@ऋता शेखर 'मधु'

मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

लॉकडाउन २- एक दीया अखंड एकता के नाम

पूरे विश्व के लिए अभी बहुत कठिन दौर है| हमारा देश कोरोना वायरस के चपेट में आकर लॉकडाउन में चल रहा है| कोरोना वायरस श्वसन तंत्रिका संबंधी रोग है| यह लाइलाज तो नहीं पर बहुत ही खतरनाक है| इसका संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा कि महामारी का रूप धारण कर चुका है| हर तरह की यात्रा सेवा रोक दी गई है| ये संपूर्ण लॉलडाउन २४ तारीख की र्त्रि में बारह बजे से लागू किया गया है| इससे संक्रमित व्यक्ति जिस किसी के संपर्क में आता है वह संक्रमित हो जाता है| वह संक्रमित फिर जिसके संपर्क में आता है वह संक्रमित हो जाता है और पता भी नहीं चलता| लक्षण पता चलने में एक सप्ताह लगता है और ञिर पूरी तरह से ठीख हो जाने में चौदह दिन से ऊपर लग जाते हैं|
यह भारत का सौभाग्य है कि उसे प्रधानमंत्री के रूप में माननीय नरेंद्र मोदी जैसा नेता मिला है| उनके दृढ़ निर्णय से संपूर्ण देश को स्थिर कर दिया| सब घरों में कैद हो गये| किंतु सिर्फ घर में ही रहना काफी नहीं...हर आधे घंटे पर साबुन से बीस सेकेंड तक हाथों को अच्छे से धोना है| बाहर से आए दूध के पैकेट, सब्जियाँ वगैरह धोने का काम बढ़ गया| यदि बाहर लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं तो उस हाथ से मुँह, आँख और कान न छूएँ क्योंकि कोरोना इन्हीं रास्तों से शरीर में प्रवेश करता है|
सरकार के प्रयासों से भारत संक्रमण के तीसरे स्टेज में जाने से बच गया| इस बीच बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर का मामला भी सामने आया | कनिका विदेश से लौटी थीं और उन्हें चौदह दिनों तक आइसोलेशन में रहना था| उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और कई जगहों पर म्युजिक शो किए| उनकी इस लापरवाही की वजह से बहुत सारे लोग शक के घेरे में आ गए| यह पोस्ट लिखे जाने तक कनिका ठीक होकर अस्पताल से डिसचार्ज हो चुकी हैं|
 आज ६ अप्रैल तक में संक्रमित लोगों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाने के कारण देश में कई हॉट स्पॉट बन गये||
हॉट स्पॉट-- वैसे स्थानों को चिन्हित करना जहाँ एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए हों|

पिछले पोस्ट में हमने मरकज के बारे में लिखा था| पन्द्रह मार्च को मरकज निजामुद्दीन में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे हुए थे| वहाँ से कई भारत के अन्य राज्यों में चले गये और बड़ी तादाद वहीं पर छुपी रह गयी| चूँकि उनकी पहचान हो गई इसलिए भारत तीसरे स्टेज में जाने से बच गया| मकरज में जुटी तब्लीगी जमात में काफी लोग संक्रमित पाए गए| उन सबको क्वरंटाइन किया गया| जो अन्य राज्यों में गये हैं उनमें कुछ की पहचान होना बाकी है| किंतु संख्या का चार हजार से ऊपर पहुँच जाना चिन्ता का विषय है|

इस बीच चार अप्रैल को मोदी जी ने एक विडियो जारी किया | उसमें उन्होंने विनती की कि देश के सभी लोग छह अप्रैल को नौ बजे रात में नौ मिनट के लिए अपने घरों के दरवाजे पर या बालकनी से प्रकाश की एकजुटता से देश में सकात्मक ऊर्जा का संचार करें| इसके लिए वे दीया, टॉर्च, मोबाइल की फ्लैश या मोमबत्ती...कुछ भी ले सकते हैं| यह दीया देश सेवा में जुटे देश सेवकों के लिए आभार होगा| यह दीया संदेश होगा कि सारे देशवासी साथ साथ हैं| प्रकाश से निराशा का तम दूर हटेगा|

Image may contain: one or more people, night and fire

इस आहवान पर पूरा भारत दीपावली की तरह जगमगा उठा|
एकजुटता का सुन्दर समागम प्रदर्शित हुआ| कई दिनों से बंद देशवासियों के चेहरों पर मुस्कान आ गई|
ईश्वर करे कि जल्द से जल्द इस आपात स्थिति से हम बाहर निकल सकें|

इस बीच दूरदर्शन ने पुराने लोकप्रिय धारावाहिक रामायण , महाभारत, व्योमकेश बख्शी , शक्तिमान, बुनियाद, देख भाई देख का पुनः प्रसारण शुरु कर दिया है जिससे समय बिताना आसान हो गया| सूचना एवं प्रसारण मंत्री का यह कदम सराहनीय है|

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

ध्वजा उठी हनुमान की


Dharm News In Hindi : Ram Navami 2020 Date Time | Lord Ram Janm ...

अवतरण दिवस है राम का
ध्वजा उठी हनुमान की
वाल्मीकि ने कथा कही
जग में भक्तों के मान की

कठिन थे दिन वनवास के
सघन खिंची थी लक्षमण रेखा
सरल सिया न समझ सकी
पूर्वनियोजित विधि का लेखा
याचक को लौटा न सकी
सोच बढ़ी थी स्वाभिमान की

हरी गई सिय लोप हुई
बिलख पड़े रघुनंदन भाई
जाने कौन दिशा में ढूँढे?
पवनपुत्र ने की अगुआई
अवनि अम्बर एक हुए
विस्तार बढ़ी उनके उड़ान की

विघ्न की सुरसा मुँह फाड़े थी
चतुर भक्त ने दे दी मात
उपवन उपवन घूम घूम कर
सिय माता से कर ली बात
धू धू कर लंका जली
राख उड़ी दसमुख के शान की

श्रीराम सिय और लखन संग
लौट अवधपुरी को आए
अंजनिपुत्र चरण में बैठ
रामभक्त हनुमान कहाए
युग बीता सदियाँ बीतीण
गूँज उठी है राम गान की

युग आए सतजुग के जैसा
दृग दृग में यह स्वप्न दिखे
गणपति बन कर अर्धदंत से
ग्रंथ कहो अब कौन लिखे
कहाँ भक्त हनुमान सरीखा
टाले जो विपदा विधान की

अवतरण दिवस है राम का
ध्वजा उठी हनुमान की
--ऋता शेखर 'मधु'

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

लॉकडाउन १

कोरोना- कोई रोड पर ना निकले- लॉकडाउन १

युग बीता सदियाँ बीतीं, इतिहास गवाह है कि जब जब प्रकृति और जीवों पर अत्याचार और भ्रष्टाचार की अति हुई, विधि के विधान ने विनाश की लीला रची और जाने कितनी सभ्यताएँ काल के गर्त में समा गईं| रामायण काल, महाभारत काल, सिंधु घाटी की सभ्यता, मिस्र की सभ्यता, हड़प्पा मोहनजोदाड़ों आदि ने स्वयं को प्राचीन इतिहास में कैद कर लिया|

आज का युग अति आधुनिक युग है| दुनिया ने विकास में बहुत तेजी दिखाई और पिछले डेढ़ सौ वर्षों में अकल्पनीय अनुसंधान एवं आविष्कार हुए| विज्ञान ने मानव सभ्यता को कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया| सागर से लेकर आकाश तक मानव ने अपना अधिकार जमा लिया| रेलवे और हवाई जहाज तो पुरानी बात हो गई| प्रकृति पर कहर बनकर टूटा गगनचुम्बी इमारतों का बनना, मेट्रों का आन्| इसके लिए जाने कितने वृक्ष काट डाले गये| धरती धीरे धीरे ग्लोबल वार्मिंग की शिकार होने लगी| वायु हो या जल, सब मानव के अति महात्वाकांक्षा का शिकार होकर प्रदूषित हो गए|

अब हम बात करते हैं विश्व में विकसित देश की श्रेणी में आने वाले देश चीन की| यह तो पहले से सुनते आए थे कि वहाँ के लोग कीड़े मकोड़े, साँप बिच्छू , चमगादर वगैरह सब कुछ खा जाते हैं| अभी चूँकि व्हाट्सएप का जमाना है तो अचानक उनके बहुत सारे विडियो आने लगे जिसमें वे यह सब खाते हुए दिख रहे थे| ऐसा इसलिये हो रहा था कि दुनिया में एक नए वायरस का पदार्पण हो चुका था जो साँप और चमगादर के मेल से बने एन्जाइम के कारण बनने लगे थे| इस वायरस ने सबसे पहले चीन को अपने गिरफ्त में ले लिया| इस सूक्ष्म वायरस का नाम कोरोना था और डॉक्टर्स की भाषा में COVID 19 कहा गया| दिसम्बर में चीन में जब कोरोना के कारण प्रथम मौत हुई तो इसे छिपा लिया गया| चीन के वुहान शहर में विश्व के अन्य देशों के लोग भी थे जो संक्रमित होने लगे| जब वे वापस अपने देश लौटे तो वहाँ भी इस वायरस ने अपने पाँव फेलाने शुरू कर दिये| देखते ही देखते इटली , स्पेन, इंग्लैंड प्रभावित हो गया|इस अदृष्य महामारी से बचने के लिये उन देशों में छुट्टियाँ घोषित कर दी गईं| किंतु जागरुकता की कमी से लोग छुट्टियों का आनंद मनाने के लिये पिकनिक मनाने लगे या इधर उधर यात्रा में संलग्न हो गये जिस कारण संक्रमण बढ़ने लगा और यह बीमारी बहुत बड़ी आबादी में फैल गई| यह संक्रमण वायु से नहीं लगता, लगता है स्पर्श से| संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से , उसे छूने से हाथ संक्रमित हो जाता है| फिर वह हाथ यदि चेहरे पर लगता है तो कान, मुँह या आँख के कोनों से शरीर के अन्दर पहुँच कर गले में अटक जाता है| संक्रमण के बाद लक्षण प्रकट होने में एक से चौदह दिन लगते हैं| यह वायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है| प्रथम लक्षण के तौर पर बुखार आता है और खाँसी होती है|

भारत में प्रथम रोगी केरल में ३० जनवरी को पाया गया| वह विदेश से आया था, इसलिए यह स्पष्ट है कि कोरोना वायरस हवाई जहाज के जरिए ही भारत में आया है| उसके बाद धीरे धीरे संक्रमण की संख्या बढ़ने लगी तो भारत सरकार ने इसके निवारण हेतु नियम बनाए| अब अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा करके आने वालों की जाँच हवाई अड्डा पर की जाने लगी किंतु तबतक थोड़ी देर हो चुकी थी| संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी थी| विदेश से आने वालों को आरम्भ में आइसोलेशन के लिये कहा गया|करीब दस मार्च से उन्हें कावरंटाइन में भेजा गया| वे घर तब तक नहीं जा सकते थे जब तक दस दिन पूरे नहीं हो जाते| भारत में तबतक संक्रमित व्यक्तियों की संख्या सैकड़े में चली गई थी|

COVID 19 से सुरक्षा के दौरान जो शब्द बहुतायत से प्रयोग किये गए वह हैं --

१) कोरोना- वायरस का नाम

२) हैंडवाश- हर आधे घंटे बाद हाथों को साबुन से बीस सेकेंड तक धोना

३) सेनेटाइजर- एक ऐसा तरल जो हाथों से विषाणु को खत्म करने में सहायक होता है|

४) मास्क- मुँह को ढकने वाला खास बनावट का कपड़ा

५) सोशल डिस्टेंसिंग--समाज के लोगों से दूरी बनाकर रहना

६) आइसोलेशन- विदेश से आए लोगों को अपनी जिम्मेदारी पर चौदह दिनों तक समाज से कटकर रहना

७) क्वारंटाइन- विदेश से आए लोगों को किसी सरकारी संस्था की निगरानी में चौदह दिनों तक समाज से कटकर रहना

८) कोरोना टेस्ट किट- ऐसी प्रक्रिया जिससे संक्रमण की जाँच हो सके

९) कोरोना पॉजिटिव- जिनमें संक्रमण साबित हो गया हो

१०) कोरोना नेगेटिव- जिनमें संक्रमण नहीं हो 

११) इम्युनिटी- रोग निरोधक क्षमता बढ़ाना

अब देखते हैं कि भारत में कबसे पूरी तत्परता से बचाव के कदम उठाए गये|
कोई रोड पर ना निकले'- पीएम मोदी ने ...

19 मार्च को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की रात 8 बजे जनता से सीधी बात।

22 मार्च को कर्फ्यू घोषित किया गया। उसी दिन 5 बजे शाम को मोदी जी ने जनता से आग्रह किया कि कोरोना के विरुद्ध लड़ाई के मोर्चे पर जूट डॉक्टर्स,नर्स, सफाई कर्मचारी, दैनिक सहायक एवम पुलिस का आभार प्रकट करने के लिए शाम 5 बजे देश के सारे लो एक साथ अपने घरों की बालकोनी, दरवाजे, खिड़की, छत पर खड़े होकर ताली, थाली, घंटी, शंख बजायें और उस दिन वह अद्भुत नजारा अविस्मरणीय बन गया। सरकार विरोधी तत्वों ने यहाँ भी खिलवाड़ कर दिया और समूह में इकठ्ठे होकर ताली थाली बजाने लगे।

अगले दिन अर्थात 23 मार्च को लोग सड़कों पर निकल पड़े। कोरोना जैसे जानलेवा वायरस के प्रति सामाजिक दूरी बरतने में लोगों की कोताही देख मोदी जी व्यथित हो गए। कई राज्यों ने उसी दिन लॉक डाउन कर दिया पर लोगों को बाहर निकलने से रोक न सके।

24 मार्च को पुनः जनता के सामने 8 बजे रु ब रु होकर प्रधानमंत्री महोदय ने रात 12 बजे से 21 दिनों के लिए पूर्ण लॉक डाउन की घोषणा कर दी। रेल सेवायें बन्द की गईं। हवाई यात्रा पर रोक लग गई। पूरे देश से मोदी जी ने करबद्ध प्रार्थना की कि लोग घरों से न निकलें और कोरोना को थर्ड स्टेज पर जाने से रोकें।

चारों ओर किराना का सामान और सब्जियां लेने की होड़ लग गयी जैसे नोटबन्दी के समय नोट बदलने की होड़ लगी थी।

25 मार्च की सुबह वातावरण में पूर्ण शांति थी। चिड़ियों का चहकना सुनाई पड़ रहा था। घरों में बाइयों के प्रवेश पर भी पाबन्दी लगी। नतीजा....

तभी 26 मार्च एक अनहोनी हो गयी...दिल्ली में रहने वाले विभिन्न प्रदेशों के मजदूर वर्ग अचानक बस अड्डों पर जमा होने लगे। इस तरह की भीड़ देखकर सबकी रूह काँप गयी। एक दूसरे के पास खड़े लोग न जाने कितनों को बीमार करेंगे। सब अपने घरों को लौटना चाहते थे क्योंकि कहीं मकान का किराया समस्या बन गयी और कहीं खाने के सामान का अभाव था। ये दिहाड़ी मजदूर अचानक एक जगह कैसे इकठ्ठे हो गए यह सोचने का विषय है जिसपर यहाँ चर्चा करना उचित नहीं।

किसी तरह इस समस्या को निपटाया गया और उन्हें घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई।

फिर तीन दिन थोड़ी शांति रही। संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई। किन्तु सब कुछ इतना आसान नहीं होता है। 31 को पता चला कि मरकज़ में हजार से ऊपर लोग छुपे हुए थे जिसमें दो सौ लोगों के करीब संक्रमित थे। अब कोरोना को थर्ड स्टेज पर जाने का खतरा बढ़ गया क्योंकि बाकी लोग भारतीय ही थे और अपने प्रदेश लौटकर जाने कितनों को संक्रमित करने वाले थे। सारे लोगों को क्वारंटाइन अर्थात निगरानी के तहत रखा गया है।

--ऋता शेखर मधु

अगली पोस्ट में इस वायरस से बचने के लिए कारगर उपाय, लॉकडाउन में घरों में क्या हो रहा और इस वायरस को लेकर तरह तरह के चुटकुले