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मंगलवार, 13 अप्रैल 2021
चैत्र माह-हिन्दू नवसंवत्सर-होली के संग
धरती को रंगों से भर दें
सबके माथे खुशियाँ जड़ दें
घोलो अब रंग
गुझियों की जो टाल लगाएँ
सबका मन मीठा करवाएँ
प्रीत भरा लेकर आलिंगन
शिकवे कोसों दूर भगाएँ
झूम जाएँ सारे हुरियार
पीसो अब भंग
आम्रकुंज में बौर जो महका
गूंज उठे कोयल के राग
समय न देखे उम्र न देखे
किलक उठे रंगीले फाग
देखो बोल रहा त्योहार
छू लो अब चंग
धरती पर जब उड़े गुलाल
हो जाता है अम्बर लाल
मस्त हुए हैं पवन झकोरे
झुक झुक जाती है डाल
भरकर अपनी पिचकारी
हो लो अब संग
भाव भरी सुन्दर बोली हो
सबके हिस्से शुभ होली हो
सजे रहेंगे रिश्ते प्यारे
गरिमा में हँसी ठिठोली हो
मिल जाएँ हाथों से हाथ
छोड़ो अब जंग
@ऋता शेखर 'मधु'
रविवार, 11 अप्रैल 2021
चले थे कहाँ से कहाँ जा रहे हैं
122 122 122 122
चले थे कहाँ से कहाँ जा रहे हैंशजर काट कैसी हवा पा रहे हैं
न दिन है सुहाना न रातें सुहानी
ख़बर में कहर हर तरफ़ छा रहे हैं
मुहब्बत की बातों को दे दो रवानी
न जाने ग़दर गीत क्यों गा रहे हैं
है रंगीन दुनिया सभी को बताना
ये सिर फाँसियों पर बहुत आ रहे हैं
विरासत में हमने बहुत कुछ था पाया
क्यों माटी में घुलता ज़हर खा रहे हैं
@ऋता शेखर 'मधु'
शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021
समय कठिन है
समय कठिन है
क्या कुंठा या क्या गिला
जो मिलना था वही मिला
मन को खुशियों से भर लो
समय कठिन है
जो मिलना था वही मिला
मन को खुशियों से भर लो
समय कठिन है
किसने किसको क्या- क्या बोला
शब्द शब्द किसने है तोला
मन को अब तो पावन कर लो
समय कठिन है
शब्द शब्द किसने है तोला
मन को अब तो पावन कर लो
समय कठिन है
जिन बन्धु की याद हो आती
उनको झट से लिख दो पाती
या फिर डायल नम्बर कर दो
समय कठिन है
उनको झट से लिख दो पाती
या फिर डायल नम्बर कर दो
समय कठिन है
यदि बाकी है इच्छित काम
आरम्भ करो कहकर के राम
बाँध लो अब दुआ के धागे
समय कठिन है
आरम्भ करो कहकर के राम
बाँध लो अब दुआ के धागे
समय कठिन है
समझौते भी होते अच्छे
कर लेते हैं दिल के सच्चे
झूठे अहं की तोड़ो दीवार
समय कठिन है
कर लेते हैं दिल के सच्चे
झूठे अहं की तोड़ो दीवार
समय कठिन है
कोविड की कैसी अनहोनी है
कौन साँस अंतिम होनी है
मन में रच लो मोहक संसार
समय कठिन है
कौन साँस अंतिम होनी है
मन में रच लो मोहक संसार
समय कठिन है
@ऋता शेखर 'मधु'
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