रविवार, 26 अक्टूबर 2014

सुनो पथिक अनजाने तुम



 


कविताओं में "तुम " शब्द का प्रयोग कविता को व्यापक विस्तार देता है...उसी विषय पर आधारित रचना...

सुनो पथिक अनजाने तुम
लगते बड़े सुहाने तुम

कविताओं में आते हो
अपनी बात सुनाने तुम

जब भी आँखें नम होतीं
आ जाते थपकाने तुम

कभी ममता या ईश हो
दुआओं के बहाने तुम

शामिल होते मेघों में 
शीतलता बरसाने तुम

मन एकाकी जब होता
आते हो मुसकाने तुम

तुम ही तो सबल स्वप्न हो
होते नहीं पुराने तुम

*ऋता शेखर 'मधु'*