रविवार, 23 मार्च 2014

वतन का राग गाएँ हम


ख्वाबों में कभी जिसने सेहरा भी पहनाया होगा,
स्वप्न बहु से स्वप्न  में पाँव भी छुलवाया होगा|
नम दृगों से नमन करें उन शहीदों की जननी को,
सुत-मिलन पर जिसने श्रद्धा सुमन चढ़ाया होगा||


देख गुलामी की जंजीरें मन उनका आहत हो गया ,
निज माटी पर मर मिटना केवल उनका मत हो गया |
फिर सुभाष ने बना लिया आजाद हिन्द की फौज को,
मुक्त कराने वह भारत ,कुर्बानी को रत हो गया ||

वतन का राग गाएँ हम,
सितारे भी सजाएँ हम|
शहीदों की मज़ारों पर,
च़राग़ें भी जलाएँ हम||

भ्रमर ने गीत जब गाया,
पपीहा हूक तब लाया|
शिखी के भी कदम थिरके,
सखी री, फाग अब छाया ||

रीती अँखियाँ चुनरी कोरी,
बिन कान्हा के भाय न होरी|
ब्रज की गलियों में ढूँढ रही,
श्याम को वृषभान की छोरी||
.............ऋता

सोमवार, 17 मार्च 2014

चटक गए टेसू पलाश


चटक गए टेसू पलाश

लिपट रही फगुनाई

आम्रकुँज के बौर पर

कोयलिया गीत सुनाई

पंखों पर रंग लिए

तितली दौड़ी आई


ये कौन ऋतु आई सखी

कौन ऋतु आई


रंगों के बादल में

खुशियों की बौछार है

फाग के राग में

साजन की पुकार है

कागा के बोल में

प्रिया का श्रृंगार है


ये कौन ऋतु आई सखी

कौन ऋतु आई


रीती अँखियाँ चुनरी कोरी

बिन कान्हा के भाय न होरी

ब्रज की गलियों में ढूँढ रही

श्याम को वृषभान की छोरी

समझाने से समझे नाहिं

रोती छुपके चोरी चोरी


ये कौन ऋतु आई सखी

कौन ऋतु आई

........ऋता 

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

होली आयो रे ...

होली की शुभकामनाएँ !


होली...एक ऐसा शब्द जो श्रवण करते ही कितने सारे भाव उपज आते हैं मन की भूमि पर जो बंजर बन चुके मस्तिष्क पर भी रंगों की बौछार करने से नहीं चूकतेहोली में बहार है,होली में खुमार हैहोली में श्रृंगार है,होली वीणा की झंकार हैहोली रंगों का त्योहार है,होली साजन की पुकार हैजो पर्व सर्वभाव संपन्न है उसके लिए मौसम भी तो खास है अर्थात ऋतुओं का राजा बसंत ही इन सबका सूत्रधार है|

पीत परिधान में सजे ऋतुराज का आगमन चारो ओर हर्षप्रेम और उल्लास भर देता है|पतझर की पीड़ा झेल रहे बागों में कोंपलों का आगमन हैयह वही मौसम है जब श्रीराम जनककुमारी सीता से पुष्पवाटिका में मिले थेश्रीकृष्ण ने गोपियों संग रास रचाया था|महाशिवरात्रि में ऊँ नमः शिवाय का जयघोष है जब देवाधिदेव भगवान शिव का पार्वती से मिलन हुआ थाफाग की मस्ती भी हैवीणावादिनी का संगीत भीभँवरों की गूँज  और कलियों का प्रस्फुटन भी हैआम की बौर से बौराया समाँ है जहाँ कोकिलों की कूक भी है|

हमारे भारत देश में सभी त्योहार मनाने के पीछे कुछ उद्देश्य अवश्य रहता हैहोली नवसंवत्सर का प्रथम दिन है जो हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है और इस बात का संदेश देता है कि सभी के जीवन में खुशियों का रंग भरा रहे सबसे सार्थक परम्परा यह है कि संवत्सर का अवसान होलिका दहन से होता है जो यह बताता है कि सारी बुराइयों को पीछे छोड़ जाएँ हममन की कलुषता को अग्नि की भेंट चढ़ाएँ हम और स्वच्छ हृदय से चैत्र के प्रथम दिन की शुरुआत करें और सालों भर खुशियाँ बाँटेंहोली मिलन की संस्कृति इसी बात की परिचायक है जो भेद भाव का नाश करती है ,मन में उपजे वैर कंटकों को समूल नाश करने का संदेश देती हे|

होली के दिन सुबह होते ही टोलियाँ निकल पड़ती हैं सड़कोंगली मुहल्लों में और साथ होती हैं रंग भरी पिचकारियाँकिसी ने कितने भी झक सफ़ेद कपड़े पहने हों इससे कोई मतलब नहींभइहोली है तो रंगीन ही होना होगाउजले की गुँजाइश नहीं गुस्सा करने का भी अधिकार नहीं क्योंकि हाली का तो बस अपना ही नारा है','बुरा न मानो होली है'|भाभियों की तो खेर नहींरंग डालो उन्हें अपने घर की रीति रिवाजों में और जीजा साली की होली में बेचारी दीदियाँ भी कुछ नहीं कर पातीदिन भर की हुड़दंग के बीच घर के बुज़ुर्गों की पुकार भी तो शामिल हैअरे भाई कुछ खा-पी लोहमें भी खिलाओ या सिर्फ रंग ही खेलोगे|

दोपहर तक शांत हो गई सड़केंघर के अंदर स्नान और रंग छुड़ाने की प्रक्रिया शुरु हुई|मगर भाभी जीआप तो कुछ देर बाद ही नहाएँ क्योंकि बाथरुम के बाहर देवर-ननदों की जमात खड़ी है रंगों की बाल्टियाँ लेकरआप फिर से रंगी जाएँगीवर्ष में एक बार आने वाला यह त्योहार रिश्तों में कितनी मिठास भर देता है यह महसूस करने की बात है|

नहाने के बाद खाना खाकर सभी चले झपकियाँ लेनेफिर तैयार भी तो होना है मेहमानों की आवभगत के लिएतश्तरियों में पकवान और मेवे सजाए गएअबीर गुलाल के पैकेट रखे गएकोई कमी न रह जाएपुए और दही बड़े भी सज गएसांध्य काल की दस्तक के साथ ही शुरु हुई बड़ों के चरण पर अबीर रखकर प्रणाम करने की प्रक्रिया|बडों ने जी भर कर आशीर्वाद दिया और साथ में परवी भी मिलीदेर रात तक मेहमानों के आने का सिलसिला जारी रहता हे|

होली में सभी अपने घर आने की कोशिश करते हैंतभी तो हमारा भारत परिवार को एकजुट रखने में कामयाब रहता हैहर्ष के पर्व को गलत मानसिकता से कभी न मनाएँ|व्यवहार में शिष्टता बेहद जरूरी हैहोली के नाम पर बेहुदे मजाक वातावरण को बोझिल बना देते हैं इससे सदा बचना चाहिए क्योंकि यह आपके व्यक्तित्व को धूमिल कर सकता है|


आप सभी जीवन में हमेशा रंगो की छिटकन बनी रहेशुभकामनाएँ सभी को|................ऋता शेखर 'मधु'

शनिवार, 8 मार्च 2014

Happy Women's Day


आइए , हम सब मिलकर एक ऐसे भयमुक्त,स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज का निर्माण करें जहाँ हर माता पिता बे-ख़ौफ़ यह कामना कर सकें....'' तू आना मेरे देस मेरी लाडो ''...और हर लड़की ईश्वर से मांगे...'अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजे'
सभी बेटियों , बहुओं , माताओं , भाभियों , गृहणी एवं कामकाजी महिलाओं को...महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...साथ ही एक नारा भी.....

साकार करो अपना सपना 
पथ आप प्रशस्त करो अपना
किसी से कमतर तुम हो नहीं
फिर काहे का डरना छुपना

आज वुमेन्स डे है| नारी को सम्मान की दृष्टि से देखने का दिन है| नारी व्यथा अपनी जगह है| आज मैं लिखना चाहती हूँ कि समाज में हर ओर नारी के बढ़ते चरण अब यह साबित नहीं कर रहे कि वह दबी कुचली अबला नारी है| धरती से गगन तक, शिक्षण से औद्योगिकरण तक उनकी संख्या न्यून नहीं अधिकता की ओर बढ़ती जा रही है| यह सब सम्भव हो रहा है पिता, भाई, पति और पुत्र के सहयोग से ही| आज यदि हम फ़ेसबुक या इंटरनेट पर हैं, नौकरी के लिए बाहर निकल रहे हैं  तो इसमें पुरुषों की सहमति और उनका सहयोग शामिल है| स्त्रियाँ घर से बँधी हैं तो पुरुष भी घर चलाने में उतना ही सहयोग देते हैं और घर से बँधे रहते हैं| विचार बदल रहे हैं, स्त्री शिक्षा से घर,समाज और देश उन्नति की ओर बढ़ रहा है| सभी एक दूसरे का सम्मान करें...किसी भी स्थान पर महिलाओं के साथ अभद्रता न हो, यही कामना है| 
शुभकामनाएँ महिला दिवस के लिए...

मंगलवार, 4 मार्च 2014

हम की महती भावना, मानव की पहचान

१.

मैं मैं मैं करते रहे, रखकर अहमी क्षोभ

स्वार्थ सिद्धि की कामना , भरती मन में लोभ

भरती मन में लोभ, शोध कर लीजे मन का

मिले ज्ञान सा रत्न, मान कर लें इस धन का

करम बने जब भाव, धरम बन जाता है मैं

जग की माया जान, परम बन जाता है मैं

२.

तुम ही मेरे राम हो, तुम ही हो घनश्याम

ओ मेरे अंतःकरण, तुम ही तीरथ धाम

तुम ही तीरथ धाम, भक्ति की राह दिखाते

बुझे अगर मन-ज्योत, हृदय में दीप जलाते

थक जाते जब पाँव, समीर बहाते हो तुम

पथ जाऊँ गर भूल, राह दिखलाते हो तुम

३.

हम की महती भावना, मानव की पहचान

हम ही विमल वितान है, तज दें यदि अभिमान

तज दें यदि अभिमान, बने यह पर उपकारी

दीन दुखी सब लोग सहज होवें बलिहारी

कड़ुवाहट को त्याग, मृदुल आलोकित है हम

अपनाकर बन्धुत्व, वृहद परिभाषित है हम

ऋता शेखर 'मधु'

शनिवार, 1 मार्च 2014

कहमुकरी



कहमुकरी पर प्रयास

१.
बिन उसके मन हरदम तरसे
सावन में बूँदें बन बरसे
आँखों से बह जाए काजल
का सखि साजन
ना सखि बादल|

२.
उमड़ घुमड़ कर प्रेम जताए
मन का पोखर भरि भरि जाए
देख देख उसको मन हर्षा
का सखि साजन
ना सखि वर्षा|

३.
उसका मन है विस्तृत निर्मल
नीरद सा बन जाए शीतल
घन घन श्यामल जैसे रघुवर
का सखि साजन
ना सखि अम्बर||
............ऋता