मिलेंगी मंजिलें तुम चलो तो सही
मिटेंगे फ़ासले तुम बढ़ो तो सही
असम्भव कुछ नहीं आजमा लो कभी
जुटेंगे हौसले तुम रखो तो सही
खिलेंगे फिर चमन यह न भूलो कभी
उठा के फ़ावड़े तुम बढ़ो तो सही
सवालों में घिरे तो बढ़ोगे नहीं
बुलंदी के कदम तुम रखो तो सही
हमारी ज़िन्दगी और हक़ वे रखें
वजूदों के लिए तुम लड़ो तो सही
ज़रूरतमंद भी राह में हैं खड़े
सहारा बन कभी तुम चलो तो सही
कभी फितरत किसी की बदलती नहीं
न उनके मुँह लगो तुम हँसो तो सही
बनाया है ख़ुदा ने इक जन्नत वहाँ
करम ले के भले तुम चलो तो सही
................ऋता शेखर 'मधु'.......
................ऋता शेखर 'मधु'.......