रविवार, 21 जून 2020

एकमेव सूर्य...पितृ दिवस...योग दिवस...सूर्य ग्रहण...रविवार


sunday special lord surya puja tips for prosperity
वह सिर्फ एक ही हैं जिनमें सभी दिवस समाहित हो रहे...
सभी दिवसों के लिए एकमेव शुभकामनाएँ 💐💐💐💐💐

आज पितृदिवस है....सूर्य से बड़ा पिता कौन
आज योग दिवस है.... सूर्य नमस्कार से बड़ा योग कौन
आज सूर्यग्रहण है...इसे बड़ी खगोलीय घटना कौन
आज रविवार है...सूर्य भगवान का दिन


पिता के समान ऊर्जादायक सूर्य को बारम्बार नमस्कार है 🙏🙏🙏🙏

सूर्य नमस्कार योग बारह आसनों में पूर्ण होता है|
सभी आसनों के लिए अलग अलग मंत्र हैं, जिसे संकलित किया है|

१.प्रणाम आसन
उच्चारण : ॐ मित्राय नमः
अर्थ: सबके साथ मैत्रीभाव बनाए रखता है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)

२.हस्तउत्थान आसन।
उच्चारण: ॐ रवये नमः।
अर्थ: जो प्रकाशमान और सदा उज्जवलित है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)

३.हस्तपाद आसन
उच्चारण: ॐ सूर्याय नम:।
अर्थ: अंधकार को मिटाने वाला व जो जीवन को गतिशील बनाता है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)

४. अश्व संचालन आसन
उच्चारण: ॐ भानवे नमः।
अर्थ: जो सदैव प्रकाशमान है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)

५.दंडासन
उच्चारण: ॐ खगाय नमः।
अर्थ: वह जो सर्वव्यापी है और आकाश में घूमता रहता है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)

६.अष्टांग नमस्कार
उच्चारण: ॐ पूष्णे नमः।
अर्थ: वह जो पोषण करता है और जीवन में पूर्ति लाता है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)
७.भुजंग आसन
उच्चारण: ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
अर्थ: जिसका स्वर्ण के भांति प्रतिभा / रंग है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)
८.पर्वत आसन
उच्चारण: ॐ मरीचये नमः।
अर्थ: वह जो अनेक किरणों द्वारा प्रकाश देता है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)
९.अश्वसंचालन आसन
उच्चारण: ॐ आदित्याय नम:।
अर्थ: अदिति (जो पूरे ब्रम्हांड की माता है) का पुत्र है|
(संकलन-ऋता शेखर मधु)
१०.हस्तपाद आसन
उच्चारण: ॐ सवित्रे नमः।
अर्थ: जो इस धरती पर जीवन के लिए ज़िम्मेदार है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)
११.हस्तउत्थान आसन
उच्चारण: ॐ अर्काय नमः।
अर्थ: जो प्रशंसा व महिमा के योग्य है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)
१२.ताड़ासन
उच्चारण: ॐ भास्कराय नमः।
अर्थ: जो ज्ञान व ब्रह्माण्ड के प्रकाश को प्रदान करने वाला है।
(संकलन-ऋता शेखर मधु)

शनिवार, 20 जून 2020

आत्महत्या लाँग ड्राइव नहीं कि सोचा और निकल लिये


सर्दियों में बढ़ जाता है अवसाद का ...
आत्महत्या...क्या स्वयं को खत्म कर लेने वाला ही जिम्मेवार या कोई और भी है जिम्मेवार?

आत्महत्या को कायरता कहकर आत्महत्या के कारणों को नज़रअंदाज कर देना बड़ी भूल है| 
एक होती है शरीर की हत्या जिसके लिए मारने वाले को अपराधी घोषित किया जाता है| उससे भी भयंकर होती है किसी के मन की हत्या कर देना| शरीर की हत्या के लिए उपयोग में लाए गये हथियार दिखते हैं किंतु  आत्महत्या के लिये मजबूर करने वाले अपराधियों के शब्द- बाण किसी को नहीं दिखते| उनका आहत करने वाला व्यवहार परदे की ओट में चला जाता है|
जन्म लेने वाले हर इंसान के लिए ज़िन्दगी खूबसूरत होती है| वह भी खिलखिलाना चाहता है, बादलों को देखकर नाचना चाहता है| कोई शारीरिक रूप से अक्षम होता है फिर भी वह खुश रहता है| फिर ऐसा क्या हो जाता है कि मनुष्य  स्वयं की हत्या कर देता है| कभी- कभी कहना बहुत आसान होता है कि परिस्थिति का डटकर मुकाबला करना चाहिए,किसी को क्या पता कि वह इंसान मुकाबला कर रहा  होता है फिर भी वह हार जाता है| 
कहा जाता है कि ईश्वर एक रास्ता बंद करते हैं तो दस रास्ते खोल देते हैं| यह सही भी है | फिर भी उस स्थिति की कल्पना  की जा सकती है कि खुद को खत्म करने से पहले वह इंसान खुद कितनी मानसिक प्रताड़ना से गुजरा होगा| मैं तो मानसिक विक्षिप्तता को भी हत्या की श्रेणी में ही रखती हूँ| वह साँस ले रहा है इसका अर्थ यह नहीं कि वह जिन्दा है| वैसे रोगियों का भी पास्ट टटोलकर देखना चाहिए तब पता चलेगा कि उसके मस्तिष्क पर असंख्य विषबुझे बाण चुभे होते हैं जो  उसने  निकालने की कोशिश भी अवश्य की होगी...विक्षिप्त होने से पहले|
प्रताड़ना...स्त्री विमर्ष का हिस्सा भी है| विवाह एक जुआ है| जो जीत गया वो जीत गया...जो न जीत पाया वह तिल तिल कर मरता रहा| साथ ही समाज की प्रताड़ना भी सहता रहा कि निभाने में ही भलाई है| हद से अधिक जाकर निभाने की कोशिश भी की जाती है, फिर भी इसका चरम क्या हो सकता है...आत्महत्या, घर का परित्याग या मानसिक रोग...और ये तीनों स्थितियाँ हत्या ही हैं जिसके लिए जिम्मेवार व्यक्ति की खोज अवश्य की जानी चाहिए| इसके शिकार पुरुष भी हो सकते हैं|
पारिवारिक स्थिति के बाद सामाजिक स्थिति पर विचार करें तों अड़ोस पड़ोस की प्रताड़ना, किसी लड़की को बाहर निकलने से भी खौफ़ देने वाले गुंडों की फौज, स्कूल कॉलेज में होने वाले रैगिंग कई बार आत्महत्या के कारण बन जाते हैं| इन सबके उदाहरण भी हम सभी के आस पास ही मौजूद हैं पर किसी घटना के विस्तार में  जाना इस पोस्ट का मकसद नहीं|
उसके बाद नौकरी में प्रतिद्वंदिता और प्रताड़ना के कारण भी आत्महत्या के मामले आते हैं| आजकल बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले बच्चे भी बहुुत दवाब में रहते हैं| कहने को कोरोनाकाल में वर्क फ्रॉम होम हो रहा..किंतु काम बहुत अधिक लिया जा रहा| विदेशी कंपनियाँ स्वयं रात्रि का समय बचाकर रात के ग्यारह बारह बजे भारतीय कर्मचारियों के साथ मीटिंग रखते हैं|
पोस्ट क्यों लिखी जा रही यह तो समझ ही गये होंगे| अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या  जहाँ फिल्मी दुनिया के कई राज सामने ला रहा उससे अधिक अभिभावकों के मन में भय पैदा कर रहा| जिन बच्चों को माता- पिता अपना सर्वस्व देकर जिन्दगी जीने लायक बनाते हैं वह बच्चा किस मानसिक दबाव में जी रहा, शायद कभी कभी जान भी नहीं पाते| ऐसे में सुशांत की मौत पर उनके साथ इस विषय पर बात करने से भी अभिभावक डर रहे| प्रतिस्पर्धा की दुनिया में नौकरी न पाना, पा लिया तो टिक न पाना, टिक गये तो दबाव में जीना...यह सब क्या है, यह विचारणीय है| कब किसके मन पर नकारात्मकता हावी हो जाए यह कहना मुश्किल है| ऐसे में कोई सुनने वाला हो, यह सबसे जरूरी है| सुशांत के मामले में मैं समझ पा रही हूँ कि माँ का न होना भी कारण बन सकता है| माँ रहतीं तो वह अपने दबाव उनसे साझा कर सकते थे| 
ःः मेरी यह पोस्ट आत्महत्या या नकारात्मकता को बढ़ावा नहीं दे रही...किन्तु यह जरूर कहना चाहती हूँ कि इसे सिर्फ कायरता कहकर किसी भी प्रताड़ना की अनदेखी न की जाए |

शुक्रवार, 19 जून 2020

ऐ हवा ये तो बता तू अब किधर को जा रही है-गीत


Air Definition in Science

खुशबुओं की पालकी से शुभ्रता को पा रही है।
पुष्प का उपहार पाकर तू बहुत इतरा रही है।
ऐ हवा ये तो बता तू अब किधर को जा रही है।।


चाहते जिसको सभी वह रूप तेरा है बसंती,
झूमती हर इक कली का है बना अनुबंध तुझसे।
डालियाँ घूमीं उधर जाने लगी तू जिस दिशा में,
मंद शीतल जब हुई तू है बना संबंध तुझसे ।


प्रेम से सुरभित बनी तू प्रेम ही दिखला रही है|
पुष्प का उपहार पाकर तू बहुत इतरा रही है।
ऐ हवा ये तो बता तू अब किधर को जा रही है।।


गर्म दिनकर जब हुए तू क्यों अचानक बौखलाई ,
ताप की आँधी चली तो जंग सी छिड़ने लगी क्यों?
चाल पर से खो नियंत्रण नाचती बनके बवंडर ,
हर दिमागी सोच से फिर भावना भिड़ने लगी क्यों?

रेत पर तू बावरी बन किस पिया को पा रही है|
पुष्प का उपहार पाकर तू बहुत इतरा रही है।
ऐ हवा ये तो बता तू अब किधर को जा रही है।।

जो धुआँ लेकर चली है नफ़रतों से है भरी वह,
छोड़कर हर कालिमा तू बादलों को ला धरा पर|
तू न होगी तो जगत सुनसान मरघट ही बनेगा,
बुझ चुकी जो लौ दिलों में फूँक कर उनको हरा कर||

शुभ हवन की अग्नियों से साधना महका रही है|
पुष्प का उपहार पाकर तू बहुत इतरा रही है।
ऐ हवा ये तो बता तू अब किधर को जा रही है।।


पतझरों में ढेर लगती सरसराती पत्तियों की,
कर रही हैं शोर देखो दर्द से भीगी शिराएँ|
मित्र बनकर ऐ पवन बस थाम ले उनके बदन को,
बैठकर कुछ देर सुन ले ठूँठ से उनकी व्यथाएँ||

तू सहेली सी बनी है वेदना सहला रही है|
पुष्प का उपहार पाकर तू बहुत इतरा रही है।
ऐ हवा ये तो बता तू अब किधर को जा रही है।।

@ऋता शेखर 'मधु'

गुरुवार, 18 जून 2020

हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो-गीत


Meri Maa Ambe Meri Jagdambe - Posts | Facebook
(हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो।)


हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो।
आद्या जया दुर्गा स्वरूपा, शक्ति का आधार हो।
*
शिव की प्रिया नारायणी, हे!, ताप हर कात्यायिनी।
तम की घनेरी रैन बीते, मात बन वरदायिनी।।।
भव में भरे हैं आततायी, शूल तुम धारण करो।
हुंकार भर कर चण्डिके तुम, ओम उच्चारण करो।
*
त्रय वेद तेरी तीन आखें, भगवती अवतार हो।
हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो।
*
कल्याणकारी दिव्य देवी, तुम सुखों का मूल हो।
भुवनेश्वरी आनंद रूपा, पद्म का तुम फूल हो।
भवमोचनी भाव्या भवानी, देवमाता शाम्भवी।
ले लो शरण में मात ब्राह्मी, एककन्या वैष्णवी।।
*
काली क्षमा स्वाहा स्वधा तुम, देव तारणहार हो।
हे अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो।
*
गिरिराज पुत्री पार्वती जब, रूप नव धर आ रही।
थाली सजे हैं धूप चंदन, शंख ध्वनि नभ छा रही।|
देना हमें आशीष माता, काम सबके आ सकें।
तेरे चरण की वंदना में, हम परम सुख पा सकें।।
*
दे दो कृपा हे माँ जयंती, यह सुखी संसार हो|
हे! अम्बिके जगदम्बिके तुम, विश्व पालनहार हो।
*
मौलिक , स्वरचित
ऋता शेखर 'मधु'

मंगलवार, 16 जून 2020

मन पाखी पिंजर छोड़ चला-गीत

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मन पाखी पिंजर छोड़ चला

मन पाखी पिंजर छोड़ चला।
तन से भी रिश्ता तोड़ चला ।।

जीवन की पटरी टूट गयी ।
माया की गठरी छूट गयी ।
अब रहा न कोई साथी है,
मंजिल पर मटकी फूट गयी।।

निष्ठुरता से मुँह मोड़ चला ।
मन पाखी पिंजर छोड़ चला ।।

जीवन घट डूबा उतराया ।
माँझी कोई पार न पाया ।
शक्ति थी पँखों में जबतक,
भर उड़ान सबको भरमाया ।।

ईश्वर से नाता जोड़ चला ।
मन पाखी पिंजर छोड़ चला ।।

लक्ष्य सदा ही पाना होगा ।
जाना है तो जाना होगा ।
कितने जन्मों का फेरा है,
पूछ लौटकर आना होगा ।।

दर्पण को दंभी फोड़ चला ।
मन पाखी पिंजर छोड़ चला ।।

ऋता शेखर 'मधु'

सोमवार, 15 जून 2020

दुनिया तो रैन बसेरा है-गीत


9 Key Insights from Adam Grant's 'Give And Take' | Heleo
क्या तेरा है क्या मेरा है
दुनिया तो रैन बसेरा है

क्या तेरा है क्या मेरा है|
यह घर कुछ दिन का डेरा है|
साथ चलेंगे कर्म हमारे,
यह पाप-पुण्य का फेरा है||

मानवता का साथी बनकर,
मिल जाता नया सवेरा है |
दुनिया तो रैन बसेरा है ||१

दुनिया में हर दीन-दुखी को,
गले लगाकर के चलना है|
बिन आँचल के मासूमों को
दूजे की गोदी पलना है ||

बुरी बला से बचे रहेंगे
आशीषों का जब घेरा है
दुनिया तो रैन बसेरा है ||२

पूजा में नत होकर देखो |
कर्मों में रत होकर देखो |
दुआ मिलेगी दुखियारों से,
उनके घर छत होकर देखो ||

अपने सारे जाल समेटो
आया संझा का बेरा है
दुनिया तो रैन बसेरा है ||३

मौलिक, स्वरचित
ऋता शेखर ‘मधु’

रविवार, 14 जून 2020

गीतिका -वाचिक भुजंगी

 
Give and Take: a journey of self-awareness towards building better ...

छंद- शक्ति /वाचिक भुजंगी 122 122 122 12
****************************
जिसे चाहिये जो दिया है सदा
मिला है हमें जो लिया है सदा

न रखते शिकायत न शिकवा कभी
सुधा संग विष भी पिया है सदा

लुभाते नहीं रूप दौलत कभी
हृदय से गुणों को जिया है सदा

समेकित हुआ नाद ओंकार में
भ्रमर योग हमने किया है सदा

दिखे पाँव चादर से बाहर कभी
बिना मन बुझाए सिया है सदा

ऋता शेखर 'मधु'




पदांत- है सदा
समांत- इया

शनिवार, 13 जून 2020

ख्वाबों के मोती चुन चुन कर, तोरण एक बनाना प्रियवर-गीत


covid 19 Lockdown:Those of you who plan to burn Diya or candle on ...
*अँधियारी रातों का साथी,बनकर साथ निभाना प्रियवर।

रोज नए दीपों की माला, राहों पर धर जाना प्रियवर।
अँधियारी रातों का साथी, बनकर साथ निभाना प्रियवर।।

जिनके दृग की ज्योति छिन गई
मन उनका रौशन कर देना।
रंगोली जिस द्वार मिटी है
रंगों की छिटकन भर देना।।

ख्वाबों के मोती चुन चुन कर, तोरण एक बनाना प्रियवर।
अँधियारी रातों का साथी, बनकर साथ निभाना प्रियवर।।

तारों की अवली से रजनी
अपनी माँग सजाकर आती।
गहन बादलों के पीछे से
चपल दामिनी रूप दिखाती।।

सूरज की तपती किरणों पर ,ओस बूँद न मिटाना प्रियवर।
अँधियारी रातों का साथी, बनकर साथ निभाना प्रियवर।।

निश्छल मन पर हुए वार से
जग में लाखों दर्पण टूटे।
प्रभु की लीला समझ न आई
नासमझी में अर्पण छूटे।।

नन्हे दीपक की बाती में,आस बिम्ब लहराना प्रियवर।
अँधियारी रातों का साथी, बनकर साथ निभाना प्रियवर।।

सबके चैन अमन की खातिर
सरहद पर वे जान गँवाये।
विधवा मन की सूनी बगिया
पारिजात फिर कहाँ से पाये।।

मुर्छित होते घर के ऊपर, सघन वृक्ष बन छाना प्रियवर।
अँधियारी रातों का साथी, बनकर साथ निभाना प्रियवर।।

ऋता शेखर 'मधु'

शुक्रवार, 12 जून 2020

माँ शारदे ! घर में पधारो-गीत


आरती ॐ जय सरस्वती माता - Saraswati Mata Aarti | Hindupath

ऋतुराज की आहट हुई है, माघ का विस्तार है|
माँ शारदे ! घर में पधारो, पंचमी त्योहार है||१||
*
है राह भीषण ज़िन्दगी की, पग कहाँ पर हम धरें|
मझधार में नौका फँसी है, पार कैसे हम करें ||
तूफ़ान में पर्वत बनें हम, शक्ति इतनी दो हमें |
बन कर चरण-सेवी रहें हम, भक्ति भी दे दो हमें ||
*
देवी ! हमारी वंदना में, पुष्प का गलहार है |
माँ शारदे ! घर में पधारो, पंचमी त्योहार है||२||
*
जब राग सारे टूटते हों, या सघन अवरोध हो |
दे दो हमें वरदान जिससे, आत्मबल का बोध हो ||
हम हैं अधूरे बिन तुम्हारे, यह हमें अनुबोध है |
गंगा बहाओ ज्ञान की तुम, यह सरल अनुरोध है||
*
फैला तिमिर चहुँ ओर है माँ, दृष्टि की मनुहार है|
माँ शारदे ! घर में पधारो, पंचमी त्योहार है||३
*
माँ ! दूर कर दो भाव सारे, जो जगत को पीर दे|
 उस ज्ञान-रथ के सारथी हों, जो विकल को धीर दे|
इस आस में दर पर खड़े हम, कर रहे अनुराधना |
माता करो उपकार हमपर, पूर्ण कर दो साधना ||
*
सद्भाव ही तो इस जगत में, प्रेम का आधार है|
माँ शारदे ! घर में पधारो, पंचमी त्योहार है||४
*
संदेश अपना शांति का हो, दो हमें यह भावना |
भारत वतन में हर जगह हो, प्रीत की सद्भावना ||
साकार हों सपने सभी के, हो न तम से सामना |
आसक्त विद्या में रहें हम, बस यही है कामना ||
*
जब तुम करो हम पर कृपा तो, स्वप्न भी साकार है|
माँ शारदे ! घर में पधारो, पंचमी त्योहार है||५

गुरुवार, 11 जून 2020

इस जगत को सार दे दो-गीत

Vastu Tips To Place Ganesha Idol : Tips And Tricks For Placing ...

हे विनायक एकदंता !
इस जगत को सार दे दो ||

क्यों भरा हिय में हलाहल, क्यों दिखे बिखरे कपट छल|
सोच में संस्कार दे दो, सतयुगी अवतार दे दो ||

हे गजानन बुद्धिदाता !
ज्ञान का विस्तार दे दो ||
इस जगत को सार दे दो ||१

खो रहीं संवेदनाएँ, भूलती मधुरिम ऋचाएँ |
साज को झंकार दे दो, वर्ण को ओंकार दे दो ||

हे चतुर्भुज देवव्रत प्रभु !
सृष्टि को आधार दे दो ||
इस जगत को सार दे दो ||२

देखते दिन-रात सपना, हो गुरू यह देश अपना |
योग का आचार दे दो, वेद का सत्कार दे दो ||

भीम भूपति विघ्नहर्ता !
स्वप्न का साकार दे दो ||
इस जगत को सार दे दो || ३

सत्य की भी साधना हो, धर्म की आराधना हो |
प्रीत का उद्गार दे दो, सुरमई संसार दे दो ||

हे मनोमय मुक्तिदायी !
अल्प को आकार दे दो ||
इस जगत को सार दे दो ||४

@ ऋता शेखर ‘मधु’

२१२२*४

शनिवार, 6 जून 2020

कोरोना पर कविता

गीतिका ...समसामयिक
Corona Viral Test Negative - राहत देने वाली खबर ...
मोह बढ़े जब-जब धन से तब, ईश्वर ही सिखलायेगा |
अपना घर अपना रिश्ता ही, काम हमेशा आयेगा ||१||

जन्मभूमि से अपनापन ही, गाँव सभी को ले आया |
‘कोविड के कारण लौटे थे’, इतिहास यही बतलायेगा||२||

अपनी छत अपनी होती है, चाहे होते छेद कई|
यही बात समझाने को तो, नभ में नीरद छायेगा ||३||

मजदूरों को भूख लगी तब, मालिक ने ठुकराया है | 
प्रेम भरा आँचल जननी का, आँगन यह समझायेगा ||४||

जो लौटें उनका स्वागत हो, रीत पुरानी यही रही |
नवयुग में क्या करना होगा, कोरोना कह जायेगा ||५||

सारा दिन सारी ही रातें, चल चल कर बेहाल हुआ |
क्वारंटीन बना घर में क्या, कटकर वह रह पायेगा |६||

छेड़छाड़ की अति होती जब, सृष्टि स्वयं रक्षित होती |
कभी बाढ़ भूकंप कभी ये, कोरोना कहलायेगा ||७|| 

सामाजिक दूरी का पालन, मुँह ढककर करना है|
जो चूके यह सब करने में, कोरोना फैलायेगा ||८||

@ऋता शेखर ‘मधु’


छंद विधान.....
आधार छंद- लावणी (मापनीमुक्त मात्रिक)
विधान- 30 मात्रा, 16,14 पर यति, अंत वाचिक गा
अपदान्त , समान्त – आयेगा

शुक्रवार, 5 जून 2020

रागिनी में राग की झंकार को देखो - गीतिका

दुनिया के 7 अनोखे फूल जो आपको हैरान ...
गीतिका
आधार छन्द - रजनी (मापनीयुक्त मात्रिक)
मापनी - गालगागा गालगागा गालगागा गा
2122   2122   2122 2
समान्त - आर, पदान्त - को देखो

लिख रहे जो गीतिका उस सार को देखो
लेखनी से उठ रहे उद्गार को देखो

हो रहे हैं शब्द हर्षित भाव बहने लगे
हर्ष में छुपते हुए अंगार को देखो

झूमते हैं फूल पत्ते ज्यों पवन झूमी
छंद का सौन्दर्य मात्रा भार को देखो

जब लिखे हों मापनी में गीत के मुखड़े
रागिनी में राग की झंकार को देखो

राम जी की हो कथा या हो महाभारत
सोरठे के वर्ण में संसार को देखो

@ऋता शेख ‘मधु’

वेद में ही है छुपी पहचान भारत की - गीतिका

How to tie-dye roses (With images) | Most beautiful flowers ...
विधा:-गीतिका
आधार छंद-रजनी
मापनी- २१२२ २१२२ २१२२ २
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फूल है अपनी जगह खुशबू रुहानी है |
झूमती गाती हवा लाती रवानी है |१|

मौत के डर से न जीना छोड़ना साथी
प्राण का तन से मिलन जीवन कहानी है|२|

बोलते हैं जब पपीहे प्रीत के सुर में
वह मिलन की रागिनी लगती सुहानी है|३|

जब सुनी धुन बाँसुरी की गोपियाँ दौड़ीं
प्रीत राधा- कृष्ण की सदियों पुरानी है|४|

वेद में ही है छुपी पहचान भारत की
याद रखना श्लोक को इसकी निशानी है|५|

@ऋता शेखर ‘मधु’

मंगलवार, 2 जून 2020

महँगा कचरा - लघुकथा

This burger account is such a situation, the terrible reality that ...
महँगा कचरा

“दादी, सब कहते हैं कि हम मनुष्यों ने पर्यावरण का बहुत नुकसान किया है| पर मुझे तो ऐसा कुछ नहीं दिखता, आपको दिखता है क्या? ,” रेस्तरां में बैठे दस वर्षीय पीयूष ने बर्गर खाते हुए सवाल किया|

“बिल्कुल दिखता है पीयूष, मैं तो अभी ही गिना सकती हूँ कि बर्गर खाते हुए हमने कितना नुकसान कर दिया,” दादी ने थोड़ी गंभीरता से कहा|

“हमने अभी नुकसान कर दिया, ये क्या कह रहे हो दादी! यहाँ बैठ कर खा लिया इसमें नुकसान कैसा,” पलकें झपकाते हुए पीयूष ने कहा|

“देखो बेटा, बर्गर खाने से कोई नुकसान न हुआ किन्तु बर्गर गत्ता के बड़े से डब्बा में पैक होकर मिला जो सीधे प्लेट में भी आ सकता था| हमने जो चम्मच प्रयोग मे लाए वह लकड़ी की है, और सॉस प्लास्टिक कवर को काटकर निकाला हमने| डिस्पोज़ेबल ग्लास में हमने कॉफी पी| हमने खाया-पीया कम और कचरा ज्यादा इकट्ठा किया| ये कचरा हमने कहाँ से लेकर फैलाया यह बताओ? ”, दादी ने पीयूष की ओर देखते हुए कहा|

“दादी , ये डब्बे,ये ग्लास, ये चम्मच सभी पेड़ के पार्टस से बनाए गये हैं |मतलब हमने पेड़ों का नुकसान किया”, माथे पर हाथ रखकर सोचने की मुद्रा में पीयूष बैठ गया|

सबके बर्गर खत्म हो चुके थे|

“मम्मा, पापा, आपलोग टिशू पेपर रख दीजिए,”पीयूष अचानक बोल पड़ा|

“क्यों बेटा, हाथ साफ करने हैं न तो...”, पापा ने कहा|

“तो नल में हाथ धोकर रुमाल से हाथ पोछिये, टिशू का प्रयोग करके हम फिर से पेड़ों को ही नुकसान पहुँचाएँगे,”कहकर पीयूष वाश बेसिन की ओर बढ़ गया|

@ऋता शेखर ‘मधु’