शनिवार, 26 सितंबर 2020

कर्णेभिः 6-लघुकथा- किराया- डॉ कमल चोपड़ा- वाचन-ऋता शेखर मधु


प्रिय मित्रों...वीडियो पर आपके सुझाव, प्रोत्साहन , समीक्षा एवं आलोचना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है| 

सोमवार, 21 सितंबर 2020

हिन्दी पखवारा की रचना -3-ताँका


तांका
1
भोर का रूप
निखरी हुई धूप
माँ सी छुअन
चिड़ियों की चहक
गुलाबों की महक।
2
दीये की जिद
आँधियों से सामना
मद्धिम ज्योति
प्रकाश की कामना
लौ को सहेज रही
3
हरसिंगार
समर्पण की चाह
झरी पँखुरी
भर कर अँजुरी
शिव पूजन चली।
4
चली लेखनी
तलवार से तेज
शब्दों की धार
मोहक अनुस्वार
अनुनासिक चाँद|

कृष्ण बिछोह
प्रेम की परिभाषा
मौन राधिका
युग युग बदले
प्रीत नहीं बदली|
--ऋता शेखर 'म
धु'

हिन्दी पखवारा की रचना-२ हाइकु


बहुत दिनों बाद हाइकु
1


पचपन में
बचपन की लोरी
पोते- पोतियाँ।






2


लम्बी हैं राहें
दामन में सुमन
पग में छाले।






3


तरुणावस्था
सपनीले नयन
नभ का चाँद।





4


जेठ की धूप
सुर्ख गुलमोहर
नव उल्लास।





5


आयी बारिश
नभ और नयन
अंतर कहाँ।






6


हरी पत्तियाँ
गुलाबों की महक
घर अँगना।




7


विशाल वट
मूल मूल है कहाँ
जाँच एजेंसी।






8



उगी रोशनी
छुप रहा अँधेरा
हर्ष का गीत|



--ऋता शेखर 'मधु'

शनिवार, 19 सितंबर 2020

छन्न पकैया

छन्न पकैया

छन्न पकैया छन्न पकैया, बिटिया घर का गहना।
लगती है गुड़िया सी प्यारी, भाई का है कहना।।१

छन्न पकैया छन्न पकैया, खूब खिले गुलमोहर।
कान्हा जी के आ जाने से, गूँज उठा है सोहर।।२

छन्न पकैया छन्न पकैया, कोई नहीं भतीजा।
बुरे काम का सदा रहेगा,जग में बुरा नतीजा।।३

छन्न पकैया छन्न पकैया, जागी जनता सारी |
चंचल जिद्दी कोरोना पर, मास्क पड़ा है भारी ।।4

छन्न पकैया छन्न पकैया , सूई में है धागा |
देख पुलिस का मोटा डंडा, चोर निकल के भागा || ५

छन्न पकैया छन्न पकैया, देखी सारी दुनिया |
सब पर भारी पड़ती है, पढ़ती लिखती मुनिया ||६

छन्न पकैया छन्न पकैया, सच हरदम है जीता |
उसके घट मे भरा है अमृत, घड़ा झूठ का रीता ||७

छन्न पकैया छन्न पकैया, हाथी हो या पेंग्विन |
बोलो कैसे बच पाओगे, किया कभी हो जब 'सिन'||८

छन्न पकैया छन्न पकैया, कौन बजाए बाजा |
चूहों की नगरी इटली में, नीरो फिर से आजा|| ९

छन्न पकैया छन्न पकैया, सुन लो नई कहानी|
आई कंगना के वेश में, फिर झाँसी की रानी ||१०

छन्न पकैया छन्न पकैया, प्यारी लगती पोती|
दादी बचपन जी लेती जब, वह गोदी में सोती ||११
--ऋता शेखर

हिन्दी पखवारा की रचना -1-दो का महत्व

हिन्दी पखवारा की रचना -1










दो का महत्व
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दोनों तट गर मिल जायें
नदिया बहेगी कैसे
अगर नहीं हों सुख दुःख
जीवन चलेगा कैसे
ओर छोर के बीच में
धागे का अस्तित्व है
पति पत्नी के मध्य मनु
अटका स्वामित्व है
दिन रात जो चलें न साथ
तिथि नहीं बदलेगी
तर्क वितर्क के बिना कहाँ
नवकली करवट लेगी
होते हैं धरती आकाश
सजीव तभी पलते हैं
पतझर को देख देख
बसन्त बाग में चलते हैं
दिल दिमाग जब साथ हों
भाव झर झर फूटें
रूठ जाए जो एक कभी
घर जाने कितने टूटें
जन्म मृत्यु का तथ्य पहचानें
दो का महत्व तभी हम जानें
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हिन्दी अंग्रेजी के बीच में
क्यों अंग्रेजी का वर्चस्व सहें
हिन्दी के अपने सारतत्व हैं
मिलकर हम सब महत्व गहें
हिन्दी बोलें अभिमान से
कलम चलाएँ बड़े शान से
भाषा को मर्यादित रख
खूब रचें अरमान से।
---ऋता
हमारी भाषा हमारा अभिमान
सभी हिन्दी प्रेमियों को हिन्दी पखवारा की हार्दिक शुभकामनाएं!!