शरद की पूनम है आज
चन्द्र-आभा को हो रहा नाज
ओ कायनात, मुस्कुरा भी दो
दूर हुआ है धरा का दाज(अंधकार)
शबनमी मोतियाँ गिरने लगीं
गुलाबी ठंढ का है आगाज
चाँद ने चुपके से छेड़ा
मध्यम सुर में मधुर साज
चाँदनी फलक पे थिरक उठी
सबने जाना दिल का राज
अधरों पे स्मित सजा के लाया
सनम जो अब तक था नाराज
दुधिया उजालों की चमक में
सितारे भी बने आतिशबाज
झिंगुरों को यह क्या हुआ
वे भी बन रहे चुहलबाज
रौशनी चाँद की ज्योंही पड़ी
ताज का बदल गया अंदाज
किरणों की बारिश समेट
खीर-अमृत ने दी आवाज
जीवन में मिठास बनी रहे
खुश रहें सबके मिजाज|
ऋता शेखर 'मधु'
Enjoy Sharad Purnima…