सखी री..........
भ्रमर ने गीत जब गाया
पपीहा प्रीत ले आया
शिखी के भी कदम थिरके
सखी री, फाग अब आया |
बजी जो धुन मनोहर सी
थिरक जाए यमुन जल भी
विकल हो गा रही राधा
सखी री मोहना आया|
कली चटखी गुलाबों की
जगे अरमान ख़्वाबों के
उड़ी खुशबू फ़िजाओं में
सखी ऋतुराज है आया|
गिरे थे शूल राहों में
खिले थे फूल बाहों में
ख़ता उसकी न तेरी थी
सखी बिखराव क्यूँ आया|
झुके से थे नयन उसके
रुके से थे कदम उसके
किया उसने इबादत भी
सखी री काम ना आया|
मिला जो वह बहारों में
लगा अपना हजारों में
जहाँ देखे वहाँ वो था
सखी ढूँढे नजारों में|
....ऋता शेखर 'मधु'