पृष्ठ

मंगलवार, 3 जुलाई 2012

होठों पे हँसी बनी रहे...

मेरी दीदी
                                      प्यारी बहन ऋता को सप्रेम भेंट     

बरसों पहले मुझे मिली थी
प्यारी सी इक छोटी बहन
फूलों सी वह कोमल थी
हर लेती थी सारी थकन|

रवि की ऊर्जा से भरी हुई
शीतल यूँ जैसे हो चाँदनी
मीठे बोल बिखराती हुई
धीर गंभीर जैसे मन्दाकिनी|

कहने को तो बहन है मेरी
है राज़दार जैसे हो सहेली
छोटी है पर अडिग ढाल सी
सुलझाती जाती जीवन की पहेली|

एक रीत बनाई ऋता ने
दिया जन्मदिन पर कविता उपहार
मैं भी शायद कुछ लिख पाऊँ
होगा यह तुम्हारा उपकार|

जिस चमन से तुम गुजरोगी
वहाँ बहार आ जाएगी
जिस राह पे पाँव रखोगी
खुशहाली छा जाएगी|

सितारों की झिलमिल किरणों से
सम्मान सौगात पाओगी
सोंच सागर से मोती चुन-चुन
ज्ञान जल से चमकाओगी|

ईश्वर से कामना यही है
सपने पूरे करें तुम्हारे
खुशहाल ज़िन्दगी पाओ तुम
होठों पे हँसी बनी रहे|
          तुम्हारी दीदी

मेरी दीदी लेखिका नहीं ...मेरे लिए उन्होंने लिखा है...जन्मदिन का अनमोल तोहफा है यह मेरे लिए...
Thank You Didi
Thanks Bhai & Bhabhi
ऋता शेखर 'मधु'

1 टिप्पणी:

  1. ईश्वर से हमारी भी यही कामना है के आप दोनों में प्रेम और आपके जीवन में खुशियाँ दिनों-दिन बढती रहें.

    शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!