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शनिवार, 10 नवंबर 2012

अब तैयार हो जाइए पंचदिवसीय पर्व मनाने के लिए - दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!


वर्षा ऋतु से उत्पन्न हुई  सीलन और गन्दगी को दूर कर अब हम सब तैयार हैं पाँच दिनों का त्योहार मनाने के लिए|

धनतेरस, दीपावली, चित्रगुप्त पूजा, गोवर्धन पूजा एवं भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाएँ|

१) धन त्रयोदशी- 11.11.2012


इसे आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि की याद में मनाया जाता है|समुद्र मंथन में धन्वन्तरि महाराज अमृत कलश लेकर समुद्र से निकले थे
और देवताओं को अमृत पिलाकर उन्हें आयु और आरोग्य प्रदान किया था| इसे धनतेरस भी कहते हैं| ऐसा विश्वास है कि इस दिन सोना, चाँदी या बरतन खरीदने से धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं| अपनी अपनी हैसियत के अनुसार सभी कुछ न कुछ खरीदते हैं|
आज के दिन यम का दीप निकाला जाता है|देर रात जब घर के बच्चे सो जाते हैं तो घर के अन्दर से ही दीया जला कर बाहर ले जाते हैं और उसे मसूर दाल की ढेरी पर रखा जाता है| यम को यह दीप दान करने से पति और पुत्र की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है|

२) नरक चतुर्दशी- 12.11.2012


आज के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था|
आज के दिन को बजरंगबली हनुमान की जन्मतिथि के रूप में भी मनाया जाता है|
आज के दिन एक खास स्नान का बहुत महत्व है| कहते हैं कि इस स्नान से रूप निखर जाता है| चंदन, कपूर, मंजिष्ठा, गुलाब, नारंगी का छिलका और हल्दी को मिलाकर खास उबटन तैयार किया जाता है| सूर्योदय से पहले इस उबटन को लगाकर स्नान करने से रूप में चार चाँद लग जाते हैं| इसे रूप चौदस भी कहते हैं| इसे छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है|
३) दीपावली- 13.11.2012


पाँच दिनों के त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण दिन दिवाली का है|
आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी के दिन मर्यादापुरुषोत्तम राम ने लंका में लंकापति रावण को युद्ध में पराजित करने के बाद सीता को वापस पाया था| विजयादशमी के बीस दिनों के बाद पुष्पक विमान से राम जी, सीता जी एवं लक्ष्मण जी तथा अन्य अयोध्या वापस लौटने लगे| धरती पर घुप्प अंधकार छाया था क्योंकि उस दिन कार्तिक अमावस्या की रात थी| राम जी को उतरने का सही स्थान पता चले इसके लिए अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को ढेर सारे घी के दीपक जलाकर रौशन कर दिया था| इस तरह से उन्होंने वापस लौटने की खुशी भी जाहिर की थी| तभी से ही इस दिन को दीपों की पंक्ति से सजाने की परंपरा शुरू हो गई|
दीपावली के दिन गणेश जी और लक्ष्मी जी की पूजा का भी विधान है| गणेश जी को लड्डू चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है| घरों में घरौंदा बनाने का भी रिवाज़ है| कुलिया में लावा, फ़रही और पचंजा(पाँच तरह के अनाज) डालकर बहनें अपने भाइयों को देती हैं|अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लासभाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। लोगों में दीवाली की बहुत उमंग होती है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैंनये कपड़े पहनते हैं। मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते हैंएक दूसरे से मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती हैदिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है।

 ४) गोवर्धन पूजा- 14.11.2012



दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का होता है।


गांव और शहरों में पारंपरिक रूप से गाय और उसके गोबर से बने पर्वत की पूजा होती है। भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगता है।
भगवान कृष्ण ने ही गोवर्धन पूजा की शुरुआत की थीजो उस वक्त से आज तक चली आ रही है। इंद्र को इस बात का अहंकार हो गया था कि वो बारिश कराते हैंतब कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र को यह एहसास दिलाया कि वो पानी बरसा कर धरती पर कोई कृपा नहीं करतेबल्कि यह तो उनका कर्तव्य हैजो विधाता ने उन्हें सौंपा है।
भगवान कृष्ण ने इसके जरिए ये संदेश दिया था कि अपना कर्तव्य करना चाहिए बिना फल की चिंता किए। इसलिए उन्होंने बारिश के देवता इंद्र को भी ये समझाया।
कृष्ण ने इंद्र को समझाया था कि बारिश समय पर करना तुम्हारा कर्तव्य हैइसके लिए तुम्हें कोई पारिश्रमिक नहीं मिले तो तुम्हें नाराज होने क कोई अधिकार नहीं है। तुम केवल इसलिए पूजे जाने योग्य नहीं हो कि तुम समय पर बारिश करवाते होब्रह्मा ने तुम्हें यह काम सौंपा है और तुम्हें इसे हर हाल में करना है। इंद्र ने अपनी गलती मानी। तभी से गोवर्धन पूजा का प्रचलन चल पड़ा।
गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।
५) यम द्वितीया- 15.11.2012
आज के दिन दो प्रकार की पूजा होती है|
चित्रगुप्त पूजा और भाईदूज
चित्रगुप्त पूजा-
भगवान चित्रगुप्त परमपिता ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न हुए हैं और यमराज के सहयोगी हैं।
सृष्टि के निर्माण के उद्देश्य से जब भगवान विष्णु ने अपनी योग माया से सृष्टि की कल्पना की तो उनकी नाभि से एक कमल निकला जिस पर एक पुरूष आसीन था चुंकि इनकी उत्पत्ति ब्रह्माण्ड की रचना और सृष्टि के निर्माण के उद्देश्य से हुआ था अत: ये ब्रह्मा कहलाये। इन्होंने सृष्ट की रचना के क्रम में देव-असुरगंधर्वअप्सरा,स्त्री-पुरूष पशु-पक्षी को जन्म दिया। इसी क्रम में यमराज का भी जन्म हुआ जिन्हें धर्मराज की संज्ञा प्राप्त हुई क्योंकि धर्मानुसार उन्हें जीवों को सजा देने का कार्य प्राप्त हुआ था। धर्मराज ने जब एक योग्य सहयोगी की मांग ब्रह्मा जी से की तो ब्रह्मा जी ध्यानलीन हो गये और एक हजार वर्ष की तपस्या के बाद एक पुरूष उत्पन्न हुआ। इस पुरूष का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था अत: ये कायस्थ कहलाये और इनका नाम चित्रगुप्त पड़ा।
भगवान चित्रगुप्त जी के हाथों में कर्म की किताबकलमदवात और करवालहै। ये कुशल लेखक हैं और इनकी लेखनी से जीवों को उनके कर्मों के अनुसारन्याय मिलती है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त कीपूजा का विधान है। यमराज और चित्रगुप्त की पूजा एवं उनसे अपने बुरे कर्मोंके लिए क्षमा मांगने से नरक का फल भोगना नहीं पड़ता है।
भाई दूज( गोधन)-
यह एक सामूहिक पूजा है|गाय के गोबर से एक चतुर्भुज बनाया जाता है|इसकी चारो भुजाओं को बीच से खोल दिया जाता है,यह यमपूरी का प्रतीक है| बीच में गोबर से ही यम की आकृति बनाई जाती है| उसके
उपर एक नया ईट रख दिया जाता है|यम की विधिवत पूजा की जाती है|इस पूजा के लिए मुरली की माला, रेंगनी का काँटा, बजरी(कुशी केराव), नारियल,कच्चा रूई एवं मिठाई आवश्यक वस्तुएँ हैं|पूजा के क्रम में बहनें भाई को भला-बुरा कहती हैं, और फिर अपनी जीभ पर रेंगनी का काँटा गड़ाकर प्राशयश्चित करती हैं|कच्चे रूई से माला बनाकर भाई की आयु जोड़ती हैं और यम से भाई की लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं|फिर समाठ(धान कूटने के लिए प्रयोग किया जाने वाला काठ का बना मूसल) से ईंट पर इतने प्रहार किए जाते हैं कि ईंट और यम चकनाचूर हो जाते हैं| भाईदूज  में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाईदूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व हैजो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। इस त्योहार के पीछे एक किंवदंती यह है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी  को इसी दिन दर्शन दिया थाजो बहुत समय से उससे मिलने के लिए व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने प्रफुल्लित मन से उसकी आवभगत की। यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी। इसी कारण इस दिन  नदी में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है। इसके अलावा यमी ने अपने भाई से यह भी वचन लिया कि जिस प्रकार आज के दिन उसका भाई यम उसके घर आया हैहर भाई अपनी बहन के घर जाए। तभी से भाईदूज मनाने की प्रथा चली आ रही है। जिनकी बहनें दूर रहती हैंवे भाई अपनी बहनों से मिलने भाईदूज पर अवश्य जाते हैं और उनसे टीका कराकर उपहार आदि देते हैं।

ऋता शेखर 'मधु'

20 टिप्‍पणियां:

  1. बढिया जानकारी , दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

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  2. इसकी महत्ता को बड़ी सहजता से बताया ... दिवाली शुभ हो सपरिवार

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  3. जानकारी भरी सुन्दर पोस्ट ……दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ।

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  4. बढ़िया प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारें ||

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  5. बीत गया भीगा चौमासा । उर्वर धरती बढती आशा ।
    त्योहारों का मौसम आये। सेठ अशर्फी लाल भुलाए ।

    विजया बीती करवा आया । पत्नी भूखी गिफ्ट थमाया ।
    जमा जुआड़ी चौसर ताशा । फेंके पाशा बदली भाषा ।।



    एकादशी रमा की आई । वीणा बाग़-द्वादशी गाई ।
    धनतेरस को धातु खरीदें । नई नई जागी उम्मीदें ।

    धन्वन्तरि की जय जय बोले । तन मन बुद्धि निरोगी होले ।
    काली पूजा बंगाली की । लक्ष्मी पूजा दीवाली की ।।



    झालर दीपक बल्ब लगाते । फोड़ें बम फुलझड़ी चलाते ।
    खाते कुल पकवान खिलाते । एक साथ सब मिलें मनाते ।

    लाल अशर्फी फड़ पर बैठी | रहती लेकिन किस्मत ऐंठी ।
    फिर आया जमघंट बीतता | बर्बादी ही जुआ जीतता ।।


    लाल अशर्फी होती काली | कौड़ी कौड़ी हुई दिवाली ।
    भ्रात द्वितीया बहना करती | सकल बलाएँ पीड़ा हरती ।

    चित्रगुप्त की पूजा देखा । प्रस्तुत हो घाटे का लेखा ।
    सूर्य देवता की अब बारी। छठ पूजा की हो तैयारी ।।

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  6. पंचदिवसीय पर्व की महत्ता मनाने की सहजता से जानकारी देने लिए शुक्रिया,,,

    दीपावली की हार्दिक बहुत२ शुभकामनाए,,,,
    RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,

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  7. बहुत ही अच्छे से इतनी महत्वपूर्ण जानकारी दी है..
    बेहतरीन पोस्ट..
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
    :-)

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  8. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ...आभार

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  9. पांचों दिन की विशेषता सहजता से बताई .... कुछ नयी जानकारी भी मिली ... आभार

    दीपावली की शुभकामनायें

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  10. सच में पांच दिन का ये त्यौहार हमारे देश की संस्कृति की झलक दिखा जाता है। ये ऐसा पवित्र दिन है जिसमें देश के सभी हिस्सों का का कोई न कोई नाता है।

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  11. बहुत ही सार्थक और सामयिक लेख

    धनतेरस की बहुत बहुत शुभकमानएं

    एक नजर मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर डालें

    http://tvstationlive.blogspot.in/2012/11/blog-post_10.html?spref=fb

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  12. बहुत अच्छी क्रम वार पाँचों त्योहारों की बढ़िया जानकारी देती हुई पोस्ट कुछ बातें तो नई नई मालूम हुई हैं पाँचों त्योहारों की आपको व् आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएं

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  13. sab festivals ki jankari dene ke liye shukriya.

    Happy diwali once again


    meri nayi post ho sake to padiyega

    maa nahin hai vo meri, par maa se kam nahin hai.

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  14. आपको भी धनतेरस और दीपावली की ढेर सारी मंगलकामनाएं.

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  15. बहुत सुन्दर रचना है इसीलिए धन्वन्तरी को सेहत का देवता कहा जाता है धन्वन्तरी उबटन का ज़वाब नहीं .मोहतरमा आप भी कभी औरों के ब्लॉग पर कर्म कीजे .बधाई पञ्च पर्व की .

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  16. बहुत सुन्दर रचना है इसीलिए धन्वन्तरी को सेहत का देवता कहा जाता है धन्वन्तरी उबटन का ज़वाब नहीं .मोहतरमा आप भी कभी औरों के ब्लॉग पर कर्म कीजे .बधाई पञ्च पर्व की .

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  17. आपको भी धनतेरस और दीपावली की ढेर सारी मंगलकामनाएं.
    बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!