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सोमवार, 16 सितंबर 2013

पिता.....

पिता....पिता को याद करने के लिए फ़ादर्स डे की जरूरत नहीं...



स्थिर कदम अडिग विचार

मन  निडर मधुर व्यवहार

आज अक्स बन गए पिता के

हृदय में भर लिया धैर्य अपार|


कहा पिता ने 'सच अपनाओ

झूठ को  कदमों में झुकाओ'

शान से गर्दन तनी रहेगी

बेधड़क तुम जीते जाओ|


कभी सख्त और कभी नरम

कभी शीत और कभी गरम

काँटों वाले फूल पिता जी

कभी गंभीर तो कभी सुगम|


सहजता सरलता ही रहा

जिनके जीवन का आधार

उनके अमूल्य सिद्धांत अपनाए

जीतने निकले हम संसार|
........ऋता

8 टिप्‍पणियां:

  1. पिता तो ह्रदय में हैं व् रहेंगे !!
    आभार !!

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  2. पिता के प्रति हृदय से निकले सुंदर भाव ।

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बुधवार - 18/09/2013 को
    अमर' अंकल पई की ८४ वीं जयंती - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः19 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra






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  4. पिता की दी हुई सुन्दर सीख सदा साथ रहे |

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  5. anubhavi vo aise jisko sab kuch pata hai
    aadhar jiske sahare badhti maa lata hai
    nariyal se sakht sidhant hriday komal andar
    jigyasha ki pyas bujhade aisi vo ghata hai
    Suresh Rai

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  6. अनुभवी वो ऐसे जिनको सब कुछ पता है
    आधार जिसके सहारे बढ़ती माँ लता है
    नारियल से सक्त सिद्धान्त ह्रदय मगर कोमल
    जिज्ञासा की प्यास बुझादे ऐसी घटा है
    सुरेश राय

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