पृष्ठ

मंगलवार, 5 नवंबर 2013

दीये ये कच्चे

1

दीये ये कच्चे

धुन के बड़े पक्के

बच्चों -से सच्चे |

2

नेह का दीप

घृत हो विश्वास का

अखंड जला|

3

चाक जो घूमा

सर्जक का सृजन

सुगढ़ दीप |

4

मिलके रहे

दीप तेल वर्तिका

तभी लौ बने |

5

चंदा को ढूँढ़े

दीपक की बारात

अमा की रात |

6

गौरवशाली

दीवाली में भारत

सौरभशाली |

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (06-11-2013) मंगल मंगल लाल, लाल हनुमान लंगोटा : चर्चा मंच 1421 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. दीपक के इर्द गिर्द बुने सुन्दर हाइकू ... लाजवाब हैं सभी ...

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!