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शनिवार, 19 मार्च 2016

शहीद दिवस के लिए



ले आजादी की मशाल
वे झूमते गाते चले
कफ़न बाँधकर अपने सर
शान से मुस्काते चले

बाजुओं में जोश था
रक्त में थी रवानगी
भारत माँ के वंदन की
भरी हुई थी दीवानगी
केसरिया से तन मन रँग
विजय ध्वज लहराते चले

माँ की गोदी त्याग दिए
फाँसी का फँद हार बना
इन सपूतों की शहादत
जन जन पर आभार बना
अँग्रेजी लाठी टूटी
वे हुँकार गुँजाते चले

मिला हमें आजाद गगन
सुवासित हुई जहाँ पवन
रग रग में हो देशप्रेम
मिटा सके ना जिसे थकन
हम सब भारतवासी बन
भेद-भाव भुलाते चलें
*ऋता शेखर 'मधु'*

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना " पांच लिंकों का आनन्द " पर कल रविवार 20 मार्च 2016 को http://www.halchalwith5links.blogspot.in पर लिंक की जाएगी । आप भी आइएगा

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