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शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

अँकुर-लघुकथा

1.बीज का अँकुर
पन्द्रह दिन पहले सोनाली की शादी हुई थी| सोनाली के मम्मी-पापा बेटी से मिलने ससुराल आए थे| सोनाली के सास, ससुर, ननद, देवर सबने दिल खोलकर स्वागत किया|
थोड़ी देर बाद ससुर जी ने कहा,”बहु, अपने मम्मी-पापा को अपने कमरे में ले जाओ|”जी पापा जी,’कहकर सोनाली माता पिता को अपने कमरे में ले गई|
बेटा, यहाँ सब ठीक तो है न|तुम्हारा मान सम्मान कैसा है| दामाद जी का व्यवहार कैसा है,’पिता की चिन्ता वाजिब थी|
जी पापा, सब ठीक है| बस मुझे एक ही बात अच्छी नहीं लगती कि सवेरे सवेरे उठकर ननद, देवर के लिए नाश्ता बनाना पड़ता है| ससुर जी के लिए चाय, सासु माँ के लिए पूजा की तयारी, साथ ही आपकेदामाद जी की फरमाइशें| दो घंटे चकरघिन्नी की तरह नाचने के बाद ही मैं अपना काम कर पातीहूँ|’और दिन भर’, पापा ने सवाल किया|
फिर दिन भर आराम है| टीवी देखती हूँ| इनके साथ घूमने जाने पर कोई रोक टोक नहीं|’
कोई तुमसे सख्त आवाज में बात भी करता है क्या,’
नहीं तो,’ सोनाली ने सच बताया|
फिर बेटा, ये शिकायत कैसी! क्या वहाँ तुम मेरा और अपनी माँ का ख्याल नहीं रखती थी? छोटे भाई बहन को खाना भी देती थी| वहाँ तो तुम्हें कोई शिकायत न थी|’
जीसोनाली ने सर झुकाकर कहा|
तभी सोनाली को उसकी सासू माँ नेआवाज दी| सोनाली चली गई तो उसकी माँ ने कहा, ‘बेचारी बच्ची ने अपने दिल की बातबताई और आपने उसे ही समझा दिया|’
नहीं सोनाली की माँ, उसे यहाँ कोई तकलीफ नहीं| जिम्मेदारियाँ निभाना हर बहु को आना चाहिए| यदि आज हम उसकी शिकायत सुन लेंगे, मतलब इस घर में विष का बीज बो देंगे| उसके विषैले अँकुर में पनपी परिस्थितियाँ सबके लिए भयावह हो जाएँगी|’
दरवाजे पर खड़ी सोनाली ने मुस्कुराकर कहा,’ मेरे पापा दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं|’
--ऋता शेखर मधु

6 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "शब्दों का हेर फेर “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. परिवार में इसी प्रकार संतुलन बनाकर रहने की बात समझनी ही चाहिये .

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-08-2016) को "माता का आराधन" (चर्चा अंक-2448) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. सही समय पर सही सीख !
    बहुत अच्छी लघुकथा ऋता जी !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. बहुत सुंदर लघुकथा

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