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सोमवार, 30 जनवरी 2017

सरस्वती वंदना—हरिगीतिका छंद



सरस्वती वंदना—हरिगीतिका छंद

 
यह शीश कदमों पर नवा कर कर रहे हम वन्दना
माँ शारदे  कर दो कृपा तुम  ज्ञान की है कामना
संतान तेरी राह भूली दृष्टि की मनुहार है
उर में हमारे तुम पधारो पंचमी त्यौहार है

धारण मधुर वीणा किया है  दे रही सरगम हमें
संगीत से ही तुम सिखाती  एकता हरदम हमें
पद्‌मासिनी कर दो कृपा अब हो सुवासित यह जहाँ
कुसुमित रहे बगिया हमारी चम्पई भर दो यहाँ

है ज़िन्दगी की राह भीषण पग कहाँ पर हम धरें
मझधार में कश्ती फँसी है पार हम कैसे करें
तूफ़ान में पर्वत बनें हम शक्ति इतनी दो हमें
तेरे चरण- सेवी रहें हम  भक्ति से भर दो हमें

तेरे बिना कुछ भी नहीं हम  सब जगह अवरोध है
हों ज्ञान-रथ के सारथी हम  यह सरल अनुरोध है
करते तुझे शत-शत नमन हम, हो न तम का सामना
आसक्त तुझमें ही रहें हम  बस यही है कामना

हो शांति ही संदेश अपना  दो हमें यह भावना
भारत वतन ऐसा बने  हो सब जगह सद्‌भावना
साकार हों सपने सभी के  कर रहे आराधना
माता करो उपकार हमपर पूर्ण कर दो साधना

-ऋता शेखर ‘मधु’

बुधवार, 25 जनवरी 2017

मुसीबत राह में आई मिले हमदर्द भी हरदम

ग़ज़ल

जरा भर लो निगाहों में कि उल्फ़त और बढ़ती है
हया आए जो मुखड़े पर तो रंगत और बढ़ती है

निगहबानी खुदा की हो तो जीवन ये महक जाए
मुहब्बत हो बहारों से इबादत और बढ़ती है

मुसीबत राह में आई मिले हमदर्द भी हरदम
खिलाफ़त आँधियाँ करतीं तो हिम्मत और बढ़ती है

जमाने में शराफ़त की शिकायत भी लगी होने
ज़लालत की इसी हरकत से नफ़रत और बढ़ती है

फ़िजा महफ़ूज़ होगी तब कटे ना जब शज़र कोई
हवा में ताज़गी रहती तो सेहत और बढ़ती है
--ऋता शेखर 'मधु'

1222  1222  1222  1222

मंगलवार, 24 जनवरी 2017

समस्या-लघुकथा



समस्या

सुबह सुबह कमरे से आती खुसरफुसर की आवाज उनके कानों में पड़ रही थी|
''आज शाम को बॉस ने पार्टी में बुलाया है| जाना अत्यंत आवश्यक है| मैं तुम्हे बैंक से ही पिकअप कर लूँगा रमा| बॉस की बात है तो कुछ पहले जाना ही पड़ेगा ताकि उनकी मदद कर उनपर अपना इम्प्रेशन जमा सकूँ| अगले महीने ही प्रमोशन की लिस्ट निकलने वाली है|''


''किन्तु माँजी की व्यवस्था करनी होगी न संदीप| पार्टी से लौटते हुए देर भी हो सकती है| घर आकर खाना भी बनाना होगा माँजी के लिए|''

''अरे हाँ, ये तो सोचा ही नहीं| ठीक है मैं अकेले ही चला जाऊँगा| किन्तु तुम भी चलती तो...खैर जाने दो''

रसोई में बरतनों के खटपट की आवाज आने लगी| रमा चाय की कप लेकर सास के कमरे में पहुँची|
''बहू, आज मेरा व्रत है| मैं कुछ नहीं खाऊँगी| घर में जो फल है वही खा लूँगी|''
रमा के चेहरे पर की खुशी को उन्होंने भली भाँति महसूस किया|

''संदीप, समस्या खुद ही सुलझ गई| आज माँजी का व्रत है|''

संदीप ने हिंदी महीने का कैलेंडर देखा| माँ द्वारा किए जाने वाले सभी व्रत से वह वाकिफ़ था| फिर आज कौन सा व्रत है यह देखने गया| कोई व्रत नहीं था| रमा की खुशी देखकर वह कुछ कहने की हिम्मत न जुटा सका|
रसोई से आती आवाज सुनकर उन्होंने नमी को पलकों पर ही थाम लिया|
--ऋता शेखर 'मधु'

सोमवार, 23 जनवरी 2017

फेसबुकिया स्टेटस-2



इतनी तेजी से Whatsapp पर हम सुविचारों को forward करते हैं कि...
उसपर विचार करने का अवसर ही नहीं मिलता
यदि उतनी ही तेजी से परोसी हुई थाली को जरूरतमंदों की ओर खिसका सकें तो.......छोड़िये, यह फालतू बात लगेगी|22/01/17

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नशा करना छोड़ दो
दारु की बोतल तोड़ दो

जो पीयेगा दारू
भाग जायेगी उसकी मेहरारू

मद्य का हो बहिष्कार
खुशहाल हो घर परिवार

एक घंटे तक लगता रहा ये नारा...
पूरी तरह सफल रहा आयोजन
परिणाम अच्छा ही रहना चाहिए।

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कहते हैं किसी भी परिवार, राज्य या देश को सुरक्षित और अनुशासित रखने के लिए एक अकाट्य श्रृंखला की आवश्यकता होती है...श्रृंखला की एक कड़ी भी कमजोर पड़े तो उधर से घुसपैठियों को आते देर नहीं लगती।
आज ऐसी ही एक मानव श्रृंखला का निर्माण होने जा रहा है बिहार राज्य के चारो ओर... उद्देश्य है मद्य निषेध को पूरी तरह कायम रखना...मद्य का हो बहिष्कार खुशहाल हो घर परिवार...घिरे हुए क्षेत्र में पूरी तरह से शराबबंदी होगी...इस श्रृंखला की एक कड़ी बनते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है...बस, मुख्यमंत्री जी का यह कार्यक्रम सफल हो जाए यह दिली कामना है।
जय बिहार
जय भारत21/01/17

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सब तरह का काम शिक्षक के जिम्मे...अब एक झाड़ू भी पकड़ा दो...यह काम भी कर ही देंगे आज्ञाकारी शिक्षकगण।
साथ ही designation भी बदल देना चाहिए।
M P W---Multipurpose Worker
शिक्षा का स्तर शिक्षक ही सुधारेंगे, तब न जब सिर्फ पढ़ाने का ही काम दिया जाये। 20/01/17

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एक तांका...

कद का क्या है
कही वह ऊँचा है
कहीं है नीचा
अभिमान ये कैसा
शबनम के जैसा
ऋता19/01/17

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लड़कर मिल जाती है सायकिल
मना कर मिलता आशीर्वाद
पिता पुत्र के प्रेम में
फिर कैसा था वाद विवाद ?
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बॉयोमेट्रिक लग जाने के बाद भी होड़ खत्म न होगी...पहले देर से आने की थी अब सवेरे आने की...
:D :D
यह विचारणीय है...बिना भय के सही काम करवाना मुश्किल है।
अँगूठा छाप बनते ही सारी लेट लतीफी फुर्र हो गई ।18/01/17

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एक दोहा
मैं सही और तुम गलत, समझाते हर बार
इससे ऊपर सोच हो, शान्त रहे घर द्वार
-ऋता
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संवेदनाओं के चाक पर
शब्दों की माटी को
मिल जाये जब
भाव की नमी
फिर होगी जो रचना तैयार
वो बेमिसाल होगी
कभी कुछ शब्द हो भी जाएँ
इधर उधर
वो तराश देता है
कुशल कुम्भकार की तरह
और
वो फनकार बसता है
हम सभी के भीतर
जरा तलाशिये तो 💐💐
--ऋता

17/01/17

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कॉमेडी शो में ताल ठोक ठोक कर हँसनेवाले ने ऐसा क्या किया कि लोग उनपर हँसने के लिए मजबूर हो गए 😊😊 बूझ सकें तो बूझ लें।15/01/17

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जिसने जिंदगी में कभी किसी को माफ़ न किया हो वह माफ़ी का हक़दार नहीं हो सकता।14/01/17

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अब आती नहीं है बेला गोधूलि की
न झुण्ड में गउएँ चरने जाती हैं
न तो लौटते हुए धूलि उड़ाती हैं
वे बन्द रहती हैं चारदीवारी में
मिल जाता है वहीं खाना पानी
बड़े बड़े नाद में पड़ी रहती सानी

अब हो जाती है शाम
नहीं होती गोधूलि बेला 12/01/17

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हिंदी में ही सोचते, अपने मन की बात
जिह्वा पर क्यों थोपते, रोमन का उत्पात
रोमन का उत्पात, बिगाड़े अपनी भाषा
देवनागरी शब्द, निखारे निज परिभाषा
बने श्लोक जब मन्त्र, सजे पूजन में बिंदी
घर है हिन्दुस्तान, बोलते क्यों ना हिंदी

विश्व हिंदी दिवस पर
-ऋता 10/01/17

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एक दोहा
पतझर में झरते रहे, यत्र तत्र सर्वत्र
पत्ते पत्ते ने लिखे,ऋतु बसंत को पत्र
--ऋता10/01/17

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बैंक बैलेंस, मकान, जमीन...अर्थात् इस तरह की संपत्ति सँभालने वाले सब है...
लिखित साहित्यिक संपत्ति संभालेगा कौन ?09/01/17

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योग्यता हमेशा वरदान ही साबित हो...यह सच नहीं। 08/01/17

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स्त्रियाँ पब्लिक स्पॉट पर भी आराम से फैमिली प्रॉब्लम डिस्कस कर लेती है।
.....सच , स्त्रियां बहुत बोलती हैं ☺0

07/01/17

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अच्छा लग रहा...एक राह भूला दोस्त पुनः दोस्त को पहचान रहा।
बिहार को प्रकाशोत्सव की सबसे बड़ी देन... मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री...दोनों ने एक ही मंच पर एक दूसरे की भरपूर सराहना की।06/01/17

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बदबस्तगी का आलम सड़कों पे यूँ दिखा
उड़ते रहे हिजाब तमाशबीनों की भीड़ में
---बेंगलुरु में 31 दिसम्बर की रात 06/01/17

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बेटा और बेटी...उच्च या मध्य वर्ग में कमोबेश बराबरी का दर्जा पा चुके है तभी तो देर रात में दोनों ही सड़कों पर पाये जाते है। सावधानी बुद्धिमानी की निशानी है...बुजुर्ग कह गए इसे..जिसे दोनों को समझना होगा।

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बाहर से आये सिक्ख भाइयों के सुन्दर सुन्दर उदगार...
सच पटना की शोभा देखते ही बन रही...लोगो की कई गलतफहमियां मिट गईं यहाँ आने के बाद...सब कह रहे...बिहार आने के बाद विचार ही बदल गए ...बिहार और पटना के बारे में बहुत बुरा सुना था पर यहां सब उल्टा दिख रहा...सब लोग बहुत सहयोगी हैं...गुरुघर की व्यवस्था पंजाब से कम नहीं...सच, बहुत अच्छा लग रहा।
पटना किन्ना सोणा शहर है...यह हम नहीं कह रहे, हमारे सिक्ख अतिथि कह रहे।

04/01/17

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गुरु गोबिंद सिंघ जी महाराज के कवित्त
3
कोऊ भइओ मुंडिया कोऊ जोगी भइओ
कोऊ ब्रह्मचारी कोऊ जति अनुमानबो
हिन्दु तुरक कोऊ राफ़ज़ी इमाम साफ़ी
मानस के जात सबै एकै पहिचानबौ
अर्थ---
कोई सर मुड़ाकर बैरागी बन गया, कोई सन्यासी, कोई जोगी, कोई जति, कोई हिन्दू, कोई तुर्क, कोई शिया, कोई सुन्नी है, परंतु मैं सब मनुष्यों को एक जैसा समझता हूँ।03/01/17

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हमलोग कबीर और रहीम के लगभग सभी दोहों से वाकिफ हैं। मैं गुरु गोबिंद सिंघ के कुछ कवित्त अर्थ सहित देने जा रही हूँ।
अभी सिक्खों के दसवें गुरु के जन्मदिवस को 350वे प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है...तो जाहिर है पटना साहिब का माहौल बिलकुल मत्था टेकने वाला...और लंगर का हो गया है। जनता में भी गजब का उत्साह है।
अब कवित्त
1
खूक मलहारी गज गदहा बिभूतधारी
गिदुआ मसान बास करिओ ई करत हैं
अर्थ-
यदि शरीर पर मिट्टी लगाने से परमात्मा प्राप्त होते है तो हाथी और गधे सदा मिट्टी धारण किये रहते हैं। यदि प्रभु सदा श्मशान में रहने से मिलते हैं तो गिद्ध तो सदा श्मशान में ही रहते हैं।
2
घुघू मट बासी लगे डोलत उदासी मृग
तरवर सदीव मोन साधे ही मरत हैं
अर्थ-
यदि मठ में रहने से मुक्ति प्राप्त होती हो तो उल्लू सदा मठों में रहता है। उदास रहने से भी मुक्ति प्राप्त नहीं होती, देखो हिरण सदा उदास एक स्थान से दुसरे स्थान स्थान की ओर भागते रहर हैं। चुप्पी साधने से भी मुक्ति नहीं मिलती, वृक्ष भी सदा चुप ही खड़े रहते हैं।
02/01/17

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क्रिसमस ट्री के साथ तुलसी पूजन की बात हुई|
वैलेंनटाइन डे आएगा तो माता पिता को याद किया जाएगा|
अच्छा लगता है नकारात्मकता में सकारात्मकता देखना...
जो कैलेंडर पूरे विश्व में मान्य है उसके अनुसार शुभकामनाएँ देने में परहेज कैसा|
खुले दिल से स्वागत करें हर शुभ दिन का..
2017.शुभ ही शुभ हो सभी मित्रों के लिए|01/01/17

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मुझे नही पता
मैं बेहतरीन मित्र हूँ या नही,
लेकिन मेरी मित्र सूची में
सारे मित्र बहुत बेहतरीन हैं
नया साल ढेर सारी खुशियाँ लाये आपके जीवन में।
शुभकामनायें सभी को।३1/1२/16

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7:30 की इतनी उत्सुकता कभी न थी
खूब कयास लगाये जा रहे चैनलों पर...मोदी जी का राष्ट्र के नाम संदेश

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जॉनी जॉनी
यस पापा
ईटिंग शुगर
नो पापा
टेलिंग lie
नो पापा
ओपन योर माउथ
हा हा हा
...पप्पा- बेटे की यह राइम अच्छी है न।
मुलायम रिश्ते मुलायम बने रहें तो मन भाते हैं।
(बुद्धिमान सन्दर्भ ढूँढ ही लेंगे) उत्तर प्रदेश चुनाव के सन्दर्भ में

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पूरी सज धज ले साथ पटना का तख़्त हरमंदिर साहिब तैयार है...जी आयां नूँ... कहते हुए मत्था टेकने आना है।
सिख संप्रदाय के दसवें गुरु -गुरु गोविन्द सिंह जी का 350वां जन्मदिवस प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है जिसके लिए तीन दिनों की सार्वजानिक छुट्टी घोषित की गयी है। एक निश्चित दिशा में निश्चित दूरी के लिए मुफ़्त बस सेवा का प्रावधान है। कहीं कोई कचरा नहीं...गंभीरता से यातायात व्यवस्था देखी जा रही...चारो ओर पुलिस ही पुलिस ...प्रशासन की और से सुरक्षा का पुख्ता इंतेजाम....बिहार पटना पर गर्वानुभूति
प्रकाश पर्व की बहुत शुभकामनायें।30/12/16

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नव वर्ष में एक शपथ
ले रहा जमाना

हम भी लेंगे नई शपथ
करेंगे ना बहाना

गुणों की अदला-बदली कर
मैं वक्ता तुम श्रोता बन जाना।
-ऋता

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बिछड़ने से पहले मिलन अवश्यम्भावी है।
जाने वाला 2016 और आने वाला 2017 पल भर के लिए अवश्य मिलेंगे...31 दिसम्बर की रात पक्का 12 बजे जब घड़ी की छोटी सूई और बड़ी सूई आपस में मिलेंगे...और उसके साक्षी होंगे हम सब... विदाई के लिए भी और स्वागत के लिए भी। जाने वाले को ख़ुशी से विदा करें और आने वाले का प्रेम से स्वागत हो।
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कभी किसी को अकेला रहना पड़ता है एक दो दिन के लिए...... तो अक्सर सुनने को मिलता है...कुछ भी खा लेंगे...ये "कुछ भी" कौन सी डिश है किसी को पता है क्या ?

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हम अपनी रचनाओं के फ्रेम में सुन्दर सुन्दर शब्दों को कितनी सुन्दरता से सजा पाने में सफल हो पाते हैं...यह शब्दों की अमीरी पर निर्भर है| कभी कभी बहुत गरीबी का अनुभव होता है|
जज्बात , एहसास और भावनाओं के करोड़पति सभी मनुष्य होते हैं|

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ये दुनिया ये समाज क्या है
भौतिकता का पर्याय
मैं इनकी परवाह नहीं करता

अच्छा जी, जब इतने ही निर्विकार हो तो तो तो
यहां से हमेशा के लिए deactivate होकर दिखाओ

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जो पुरुष अपने जीवन साथी या किसी भी महिला के लिए 'अनलकी' या कोई भी अपशब्द का इस्तेमाल करते हैं वे निश्चित रूप से दिमागी तौर पर अस्वस्थ होते हैं |............तीस वर्ष साथ रहने के बाद एक पत्नी जिसने कैंसर से पीड़ित पति की सेवा की ...और एक दिन अपने पति के साथ अपने कार्यस्थल पर आई तो उनके पति ने दस बार से भी ज्यादा उन्हें अनलकी कहा| उस वक्त उन महिला के चेहरे पर जो अपमान की रेखाएँ थीं उसने हम सभी महिलाओं को उद्वेलित कर दिया|-----------------------

जहाँ में कौन कितना आग या पानी रहा
न थी मर्जी बशर की वो ख़ुदा की नेमतें
-ऋता

मुकद्दर के भरोसे जिंदगी कटती नहीं
हुनर भी तो समर्पण त्याग का ही चाहिए
-ऋता
0☺



रविवार, 22 जनवरी 2017

सरजमीं पर वक्त की तू इम्तिहाँ की बात कर



चाँद वाली रौशनी में आसमाँ की बात कर
ऐ मुहब्बत अब सितारों के जहाँ की बात कर

मुफलिसी में भी रहे आबाद रिश्तों का जहाँ
हो मुरव्वत हर किसी से उस मकाँ की बात कर

जो तस्सव्वुर में दिखे वो सच सदा होते नहीं
सरजमीं पर वक्त की तू इम्तिहाँ की बात कर

ओ मुसाफिर आज तू जाता कहाँ यह बोल दे
हो सके रहकर यहीं पर आशियाँ की बात कर

अजनबी से रास्ते अनजान सी वो मंजिलें
वस्ल की हो रात जब तो ना ख़िजाँ की बात कर

रेत पर आती लहर वापस गुजर कर जा रही
है दिलेरी गर बशर में तो निशाँ की बात कर
--ऋता शेखर ‘मधु’
2122  2122  2122  212

सोमवार, 16 जनवरी 2017

उत्तरायण हुए भास्कर



उत्तरायण हुए भास्कर
भक्त नहाए गंग
उम्मीदों की डोर से
उड़ा लो आज पतंग

रग रग में जागी है ऊर्जा
शिशिर गया है खिल
एहसासों के गुड़ में लिपटे
सोंधे सोंधे तिल
थक्के थक्के में दही जमे

लिए गुलाबी रंग
किसका माँझा किससे तेज
आसमान में ठनी लड़ाई
इसका पेंच या उसका पेंच
बढ़ी काटने की चतुराई
पोहा खिचड़ी तिलछड़ी में
उमग रही उमंग

मौसम बदला रिश्ते बदले
ग्राह पकड़ता गज के पैर
पलक झपकते किसी बात पर
अपने भी हो जाते गैर
फन काढ़ता लोभ मोह का
सोया हुआ भुजंग

रामखिलावन बुधिया के घर
लेकर जाता कड़क रेवड़ी
सासू माँ बिटिया रानी की
दिखा रही है अजब हेकड़ी
मकर काल में सूर्य भ्रमण
फड़काता है अंग

खरमास का अवसान हो रहा
अब शुभ मुहुर्त आने को है
दिन बढ़ना रातों का घटना
राग फाग का छाने को है
देख थाल में शगुन का कँगन
कम्मो होती दंग

उम्मीदों की डोर से
उड़ा लो आज पतंग

--ऋता शेखर ‘मधु’

रविवार, 1 जनवरी 2017

नया साल आया है

नया साल ले आ गया
धवल सलोना प्रात
गया वर्ष लिखता रहा
अनुभव के अनुपात

चल कमली कोहरे के पार
वहाँ सजा है अपना खेत
खुद से खुद ही आगे बढ़ जा
झँझवाती से अब तो चेत

भोर किरण देने लगी
खुशियों की सौगात

हम ऐसे मजबूर हुए
कुछ अपने भी दूर हुए
गम की काली चादर फेंक
रमिया अब तू रोटी सेंक

जीवन में करना सदा
उम्मीदों की बात

करो प्रदीप्त प्रेम की ज्वाला
मुँह में सबके पड़े निवाला
सुनो सुहासी तोड़ो फूल
परे हटाओ निर्मम शूल

पलकों पर जाकर रुके
सपनों की बारात

मन का संबल मन की जीत
मन हरसे तो रच दे गीत
ओ जमनी, बन मीठी धारा
घुट घुट कर क्यों होना खारा

आँचल में अधिकार मिले
अटल रहे अहिवात

- ऋता शेखर ‘मधु’