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रविवार, 22 जनवरी 2017

सरजमीं पर वक्त की तू इम्तिहाँ की बात कर



चाँद वाली रौशनी में आसमाँ की बात कर
ऐ मुहब्बत अब सितारों के जहाँ की बात कर

मुफलिसी में भी रहे आबाद रिश्तों का जहाँ
हो मुरव्वत हर किसी से उस मकाँ की बात कर

जो तस्सव्वुर में दिखे वो सच सदा होते नहीं
सरजमीं पर वक्त की तू इम्तिहाँ की बात कर

ओ मुसाफिर आज तू जाता कहाँ यह बोल दे
हो सके रहकर यहीं पर आशियाँ की बात कर

अजनबी से रास्ते अनजान सी वो मंजिलें
वस्ल की हो रात जब तो ना ख़िजाँ की बात कर

रेत पर आती लहर वापस गुजर कर जा रही
है दिलेरी गर बशर में तो निशाँ की बात कर
--ऋता शेखर ‘मधु’
2122  2122  2122  212

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 23 जनवरी 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "कैंची, कतरन और कला: रविवासरीय ब्लॉग-बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. वाह ! बहुत सुन्दर गज़ल ॠता जी ! हर शेर लाजवाब है !

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  4. Historically Shivratri is celebrated on the 13th day of the Falgun month and it also happens to be the last month of the Hindu calendar.

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