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बुधवार, 3 जनवरी 2018

नए साल पर....


यह नवगीत प्रतिष्ठित ई-पत्रिका "अनुभूति" के नववर्ष विशेषांक पर प्रकाशित है...यहाँ क्लिक करें |

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नए साल पर....
फिर से रमिया चलो गाँव में

लेकर अपनी टोली
छोड़ चलो अब महानगर की
चिकनी चुपड़ी बोली

नए साल पर हम लीपेंगे
चौखट गोबर वाली
अँगना में खटिया के ऊपर
छाँव तरेंगन वाली
श्रीचरणों की छाप लगाकर
काढ़ेंगे रंगोली

फिर से रमिया चलो गाँव में
लेकर अपनी टोली
बरगद की दाढ़ी पर चढ़कर
फिर झूला झूलेंगे
पनघट पर जब घट भर लेंगे
हर झगड़ा भूलेंगे
बीच दोपहर में खेलेंगे
गिल्ली डंडा गोली

फिर से रमिया चलो गाँव में
लेकर अपनी टोली

दिन भर मोबाइल को लेकर
कोई नहीं हिलता है
हर सुविधा के बीच कहें सब
समय नहीं मिलता हैं
धींगामस्ती को जी चाहे
सखियों संग ठिठोली

फिर से रमिया चलो गाँव में
लेकर अपनी टोली

अब गाँव में सभी वर्जना
हम मिलकर तोड़ेंगे
शिक्षा की नव ज्योत जलाकर
हर नारी को जोड़ेंगे
सुता जन्म पर हम डालेंगे
सबके माथे रोली

फिर से रमिया चलो गाँव में
लेकर अपनी टोली
_ऋता शेखर ‘मधु’

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (04-01-2018) को "देश की पहली महिला शिक्षक सावित्री फुले" (चर्चा अंक-2838) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    नववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'रविवार' ०७ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  3. गाँव का आनंद ही अलग है ! खूबसूरत रचना ! बहुत खूब ।

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  4. आपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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