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शनिवार, 20 अप्रैल 2019

आखिर ऐसा क्यों हुआ,समझाओ श्रीमान


गुलमोहर खिलता गया, जितना पाया ताप |
रे मन! नहीं निराश हो, पाकर के संताप |।१

उसने रौंदा था कभी, जिसको चींटी जान।
वही सामने है खड़ी, लेकर अपना मान।।२

रटते रटते कृष्ण को, राधा हुई उदास।
चातक के मन में रही, चन्द्र मिलन की आस।।३

रघुनन्दन के जन्म पर, सब पूजें हनुमान।
आखिर ऐसा क्यों हुआ,समझाओ श्रीमान।।४

आलस को अब त्याग कर, करो कर्म से प्यार।
घिस-घिस कर तलवार भी, पा जाती है धार।।५

जीवन है बहती नदी, जन्म मृत्यु दो कूल।
धारा को कम आँक कर, पाथर करता भूल।।६

ऋता




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