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शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

हंस एवं गयंद दोहा

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हंस दोहा

14 गुरु और 20 लघु वर्ण
112 112 2 12 11 22 1121
211 11 2 21 2 112 11 2 21

बगिया इतराती फिरी, चहकी आज उमंग।
भावन लगते हैं सभी, जब हों अपने संग।।

इहलौकिक होने लगे, परिजाती मकरंद।
आखर पुखराजी हुए, रचते ग़ज़लें छंद।।

पद पाकर जो नम्र हैं, उन सा कौन महान।
लो अनुभव की खान से, मनु, कंचन सा ज्ञान।।
10
गयंद दोहा

13 गुरु और 22 लघु वर्ण
2121 112 12, 2121 11 21
11 1111 2 21 2, 2 121 11 21

प्रेम से हृदय जो भरे , बाँट दो सरस बात।
महक सहज ही दे रहे, स्वर्ग -पुष्प परिजात।।

बेटियाँ सफल हो रहीं, गर्व से पँख पसार।
धरम भरम से मुक्त हैं, सोच लेख सुविचार।।

रौंदते पग सहे सदा, की न दर्द पर आह।
गणपति उसको धार लें, दूब की सरल चाह।।

लोभ मोह पद से परे, हो विनम्र व्यवहार।
सरल सहज मुस्कान से, जीत लें हृदय हार।।

झूमते हरित पात हैं, हो बयार जब मंद।
सुमन सुरभि निःस्वार्थ है, स्वार्थ में मनुज फंद।।




गयंद दोहा में शिव 🙏
देख मौन शिव ने दिया, शब्द एक ध्वनि ओम|
डमडम डमरू जो बजे, गूँजता सकल व्योम ||

ओम ओम धरती कहे, ओम है अथक नाद|
प्रमुदित शिव आशीष दें, दुग्ध धार कलनाद||

अर्ध अंग शिव -शक्ति का, है विवाह शुभ रात|
चिर परिणय की ये कथा, गौर गंग अहिवात||
-ऋता शेखर 'मधु'

4 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार(२४-०२-२०२०) को 'स्वाभिमान को गिरवी रखता'(चर्चा अंक-३६२१) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. विस्मित करती आपकी लेखनी को नमन है आदरणीय ऋता जी।

    जवाब देंहटाएं

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