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सोमवार, 25 मई 2020

भीड़ का निर्माता-लघुकथा

birds in the sky | Tumblr
भीड़-निर्माता

“रोहित! इधर आओ, ये देखो, आसमान में अचानक इतने सारे पक्षी उड़ने लगे| सब कितने परेशान दिख रहे न| लगता है किसी ने इनका ठिकाना ही उजाड़ दिया हो| और ये आवाज कैसी आ रही, सुनो तो,” पत्नी प्रिया ने रोहित को बालकनी में बुलाकर कहा|

“अरे , ये तो पेड़ पर पेड़ काटते जा रहे| वो देखो, सामने उस जंगल के बहुत सारे पेड़ काट दिये| बिजली से चलने वाली कुल्हाड़ी की आवाजं है यह”, चौदहवें तल्ले से ध्यान से जंगल को देखते और आवाजों को सुनते हुए रोहित ने कहा|

“ओह! अब ये कहाँ जाएँगे बेचारे| इतने पंछियों को बेघर करने का श्राप लगेगा उन्हें| रोहित कुछ करो न! किसी को तो फोन करो जो आकर रोके उन्हें,” बेचैन सी प्रिया इधर- उधर टहलने लगी|

“हाँ, अभी फोन करता हूँ,” कहकर रोहित कमरे में चला गया|

तभी कूकर ने सीटी मारी और प्रिया किचेन में गैस बन्द करने जा रही थी कि कमरे से आती रोहित की आवाज सुनकर रुक गई और सुनने लगी|

“रघुवीर, उस लिस्ट को रद्द कर दो जिसमें मिल के पाँच सौ मजदूरों को नौकरी से हटाने की बात कही गई है| ये लौकडाउन कभी न कभी तो खत्म होगा ही, हम उन्हें बिना काम के भी तनख्वाह देते रहेंगे |’

प्रिया गहरी साँस लेती किचेन की ओर चल दी| उसकी बेचैनी थम चुकी थी|

@ऋता शेखर ‘मधु’

२५/०५/२०२०

17 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर आभास ही काफी हैं। बढ़िया।

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  2. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 26 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (27-05-2020) को "कोरोना तो सिर्फ एक झाँकी है"   (चर्चा अंक-3714)    पर भी होगी। 
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
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    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  4. गहरा चिंतन और समाधान लिए लघु कथा ...
    अच्छी लगी ...

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  5. कितनी सुंदर बात का सिरा आपने कहाँ से कहाँ जोड़ा है! बहुत अच्छा लगा पढ़ कर!

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