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रविवार, 14 जून 2020

गीतिका -वाचिक भुजंगी

 
Give and Take: a journey of self-awareness towards building better ...

छंद- शक्ति /वाचिक भुजंगी 122 122 122 12
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जिसे चाहिये जो दिया है सदा
मिला है हमें जो लिया है सदा

न रखते शिकायत न शिकवा कभी
सुधा संग विष भी पिया है सदा

लुभाते नहीं रूप दौलत कभी
हृदय से गुणों को जिया है सदा

समेकित हुआ नाद ओंकार में
भ्रमर योग हमने किया है सदा

दिखे पाँव चादर से बाहर कभी
बिना मन बुझाए सिया है सदा

ऋता शेखर 'मधु'




पदांत- है सदा
समांत- इया

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