पृष्ठ
▼
आज बधइयाँ बजाओ सखी
आज बधइयाँ बजाओ सखी,कान्हा जी घर आये हैं।।
हर्षित हैं वसुदेव देवकी,
मधुसूदन मुस्काये हैं।।
मुदित हुईं यमुना पग छू कर,
गोकुल जाते गोपाला।।
वहाँ मिलेंगी मात यशोदा
प्रभु बनेंगे नन्दलाला।।
तोरण द्वारे लगाओ सखी,
कान्हा जी घर आये हैं।।
दूध बिलोतीं मात जसोदा,
मटकी में दधि भरती हैं||
लगा रहीं काजल का टीका,
बुरी बलाएँ हरती हैं||
फूल बैजंती लाओ सखी,
कान्हा जी घर आए हैं||
पलने में मखमल डलवा दो,
श्याम वहाँ पर झूलेंगे||
नंद सुनेंगे जब किलकारी,
हृदय कुसुम बन फूलेंगे||
मोर का पंख सजाओ सखी,
कान्हा जी घर आये हैं||
नाच रहे हैं गोप- गोपियाँ,
आए दाऊ के भाई||
गोकुल की गलियों में गूँजी
मधुर- मधुर सी शहनाई||
चाँद की लोरी गाओ सखी,
कान्हा जी घर आये हैं||
-ऋता शेखर 'मधु'
सुन्दर। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं