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रविवार, 10 जून 2012

ग़ज़ल... एक खामोश लड़की के लिए













ग़ज़ल... उस खामोश लड़की के लिए

शिकायत कर नहीं पाती ख़िलाफ़त कर नहीं पाती
उसे सहने की आदत है बग़ावत कर नहीं पाती 

कभी सीखा नहीं उसने सबक़ ये दाँव- पेचों का
सितम सहती मगर दिल से सियासत कर नहीं पाती

जमाने का कहर सहना गवारा भी नहीं उसको
जवाबों को पलटने की हिमाकत कर नहीं पाती

खता कोई करे तो मुस्कुरा के टाल देती है
कभी आहत अहं की खुद हिफ़ाजत कर नहीं पाती

धरोहर में मिली संदूक भर के सीख जो उसको
लुटाती है खुले हाथों रियायत कर नहीं पाती
                 -ऋता शेखर 'मधु'

१ २२२/ १ २२२/ १ २२२/१ २२२

21 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ऋता जी....
    बहुत प्यारी गज़ल........
    दिल को छूते हुए जज़्बात.....

    सस्नेह.

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  2. दिल को चू गई ये प्यारी- प्यारी गजल... ऋता ..बहुत सुन्दर..

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  3. कौन है ये खामोश लड़की
    जो कुछ न कर पाने की स्थिति में खाली पन्नों में बसती जाती है किसी शब्द की तरह

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  4. शिकायत कर नहीं पाती ख़िलाफ़त कर नहीं पाती
    उसे सहने की आदत है बग़ावत कर नहीं पाती
    वाह ... क्‍या बात है ... लेकिन कुछ लोगों का सच ऐसा भी होता है ...बहुत अच्‍छा लिखा है आपने आभार

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  5. वाह क्या बात है बेहद खुबसूरत

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (12-062012) को चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  7. उसे सहने की आदत है बग़ावत कर नहीं पाती ..

    कमाल है , बहुत पसंद आई ..
    आभार !

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  8. कभी सीखा नहीं उसने सबक़ ये दाँव- पेचों का
    सितम सहती मगर दिल से सियासत कर नहीं पाती
    SAHI BAT BAHUT SARI KHAMOSH LADKI MIL JAYENGIAISEE....SHAYAD JMANE SE LADNE KE BJAY KHUD SE LADNA AASAN LAGTA HAI.....

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  9. धरोहर में मिली संदूक भर के सीख जो उसको
    लुटाती है
    खुले हाथों रियायत कर नहीं पाती
    सीधी सपाट मुखर सन्देश देती ग़ज़ल .

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  10. बहुत सुंदर गज़ल । बहुतसी ऐसी खामोश लडकियों के मनोभावों को शब्द देती सी ।

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  11. गजल लिखने की यह पहली कोशिश थी...
    उत्साहवर्धन के लिए आप सभी का आभार !!
    शुभकामनाएँ आप सब को !

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  12. बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है... एक लड़की के मानों भावों को आपने बहुत कुशलता से शब्द दिए है.

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  13. खता कोई करे तो मुस्कुरा के टाल देती है
    कभी आहत अहं की खुद हिफ़ाजत कर नहीं पाती ...

    लडकियां अक्सर ख़ामोशी से अहम दबाती रहती हैं ... बहुत ही खूबसूरत गज़ल ... सुन्दर बहर की ...

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  14. बेहतरीन . दिलकी आवाज़ और सच्चाई को शब्द मिले,

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  15. kaise jee payegi aisi
    jo khud k liye lad nahi pati.

    ye duniya bahut hi jalim hai..
    vo aagaaz kar de dhadhakti jwala ka
    varna ji jaye is dharti par
    is baat ka nahi fir koi saani.

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  16. कभी सीखा नहीं उसने सबक़ ये दाँव- पेचों का
    सितम सहती मगर दिल से सियासत कर नहीं पाती
    बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल
    उम्दा पंक्तियाँ ..

    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/

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  17. मधु जी

    बेहद बेहद भावपूर्ण औत अत्यंत ही मर्मस्पर्शी रचना !

    सारे ही मिसरे ख्यालों के भूतल छूने पर मजबूर कर रहे हैं .. बेहद मार्मिक !

    किंतु इसे तो मैने चार पाँच पढा !

    जमाने का कहर सहना गवारा भी नहीं उसको
    जवाबों को पलटने की हिमाकत कर नहीं पाती

    ह्र्दय से नमन आपकी आभिव्यक्ती को !

    सार्थक सृजन !

    सादर !

    अनुराग त्रिवेदी - जबलपुर

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