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गुरुवार, 12 जुलाई 2012

चाँद का सफ़र


अपनी ही धुन में वह चला जा रहा था
शम्मा बन के बस वह जला जा रहा था

छोटी सी दुनिया सितारों की बसे बस
ख्वाब इतना सा मन में पला जा रहा था

शीतल बन के वह तो बरफ़ सा रहा था
पा कर के तपिश वह गला जा रहा था

चंदा को इतना सा गुमाँ भी नहीं था
सूरज द्वारा वह तो छला जा रहा था

चंदा भला इतना मायूस क्यों है
आसमाँ को यह भी खला जा रहा था

चलते चलते जब वह निढाल हो गया
क्षितिज की आगोश में वह ढला जा रहा था


ऋता शेखर मधु

28 टिप्‍पणियां:

  1. छोटी सी दुनिया सितारों की बसे बस
    ख्वाब इतना सा मन में पला जा रहा था

    बेहतरीन पंक्तियाँ

    सादर

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  2. शुक्रिया रविकर सर...बहुत बहुत आभार !!

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  3. छोटी सी दुनिया में, हम सितारों संग मस्त,
    चाँद मायूस होकर,क्षितिज में हो जाता अस्त,,,,,,,

    बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,

    RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...

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  4. चंदा को इतना सा गुमाँ भी नहीं था
    सूरज द्वारा वह तो छला जा रहा था

    बहुत सुंदर ...

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  5. सफर चाँद का कठिन है, फिर भी जाते लोग।
    इक दिन ऐसा आयेगा, बसें यहाँ पर लोग।।

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  6. चंदा को इतना सा गुमाँ भी नहीं था
    सूरज द्वारा वह तो छला जा रहा था... गजब की पकड़

    जवाब देंहटाएं
  7. छोटी सी दुनिया सितारों की बसे बस
    ख्वाब इतना सा मन में पला जा रहा था
    वाह अनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  8. चर्चामंच-939 पर इस पोस्ट के लिए दी गई टिप्पणी---

    सुशीलJuly 13, 2012 9:23 AM
    11.(11)
    चाँद का सफ़र
    ऋता शेखर मधु
    मधुर गुंजन

    चंदा आसमान सूरज
    और उसकी धुन
    बहुत कुछ समाया है
    कविता में आ के सुन ।

    Replies

    रविकर फैजाबादीJuly 13, 2012 10:28 AM
    अच्छी प्रस्तुति है सखे, बड़े अनोखे भाव ।
    एक एक पंक्ति पढो, बढ़ता जाए चाव ।।

    आभार सुशील सर एवं रविकर सर !!!

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  9. अच्छी प्रस्तुति मधु जी ..अच्छा लगा आपकी कविता पढ़कर

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    उत्तर
    1. शुक्रिया राधिका जी...ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है|

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  10. चंदा को इतना सा गुमाँ भी नहीं था
    सूरज द्वारा वह तो छला जा रहा था

    बहुत सुंदर ...बेहतरीन बिम्ब लेखर रची पंक्तियाँ

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  11. बहुत प्यारी और सुन्दर रचना, बधाई.

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  12. शुक्रिया यशवंत जी...बहुत बहुत आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल
    उम्दा पंक्तियाँ ..

    http://madan-saxena.blogspot.in/
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  14. चंदा को इतना सा गुमाँ भी नहीं था
    सूरज द्वारा वह तो छला जा रहा था

    ...बहुत सुन्दर...

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