रुख़सत होने वाले अब जाड़े हैं
दरख्तों ने जीर्ण पत्ते झाड़े हैं
आने वाला बहारों का मौसम है
शाखों पर नव कोंपलें मुस्कुराएँगे
घूँघट में छुप चुकी रंगीन कलियाँ हैं
भँवरे भी अब गुनगुनाएँगे
पकृति ने फूलदार चूनर काढ़ा है
ऋतुराज पीत साफ़े में आएँगे
हवाओं ने भी रंगत बदली है
खग भी खुशी से चहचहाएँगे
शुभ्र नभ के नील विस्तार पर
नन्हें तारे भी खूब टिमटिमाएँगे
तितलियों ने रंगीन फ्राक पहने हैं
बच्चे बागों में खिलखिलाएँगे
प्रेमी-जोड़े खुशी से चहके हैं
सपने अँखियों में झिलमिलाएँगे
वीणा शारदे की बजने को है
सुरमयी धुन फ़िजा में लहराएँगे
नव पकृति संग नव गीत लिए
हम भी तो स्वागत में गीत गाएँगे|
ऋता शेखर 'मधु'
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंरुख़सत हो गए अब जाड़े हैं
दरख्तों ने जीर्ण पत्ते झाड़े हैं
सुन्दर अभिव्यक्ति
सादर
prakriti ki gatyatmkta ki sundar abhivykti, वीणा शारदे की बजने को है
जवाब देंहटाएंसुरमयी धुन फ़िजा में लहराएँगे
नव पकृति संग नव गीत लिए
हम भी तो स्वागत में गीत गाएँगे|
बहुत उम्दा शानदार अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST शहीदों की याद में,
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (2-2-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
यौवन फागुनी हो चला
जवाब देंहटाएंहर दरख़्त बसंत के संग फेरे ले रहा ...
वसंत का इन्तजार हर किसी को होता है ,,
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
सादर!
वीणा शारदे की बजने को है
जवाब देंहटाएंसुरमयी धुन फ़िजा में लहराएँगे
वाह .... अनुपम भाव संयोजन
सुरमयी धुन फ़िजा में लहराएँगे
जवाब देंहटाएंनव पकृति संग नव गीत लिए
हम भी तो स्वागत में गीत गाएँगे|..हम भी तो इंतजार मे हैं.बहुत सुन्दर ..ऋता
बहारों का आगमन ओर स्वागत शुन्दर शब्दों से किया है आपने ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब गीत ...
आशाएं बनी रहें ...
जवाब देंहटाएंशुभ हो !