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बुधवार, 25 सितंबर 2013

मन की किताब




मन की किताब
कुछ खुले पृष्ठ
कुछ अधखुले से
कुछ मुड़े तुड़े
कुछ बन्द से

खुले पन्ने
शब्द-शब्द कहें
एहसास की कोमलता
जीवन की मधुरता
उत्साहित लम्हे
खिलती कलियाँ
उड़ती तितलियाँ
बासंती बहारें
ठंढी फुहारें
कलकल नदिया
चमचम सितारे
शीतल चाँदनी
मधु यामिनी

अधखुले कहें
वैसे सपने
जो हुए न अपने
काली बदरिया
रुपहली रेखाएँ
अरुण की लालिमा
अस्त की कालिमा
थिरकते कदम
बोझिल सा मन
दोपहर का साया
बरगद की छाया
परियों की उड़ान
दानव की माया
उत्साह से लेकर
नैराश्य तक
हर रंग के शब्द

मुड़े तुड़े पन्ने
कहानियाँ संघर्ष की
ठोकरों की
अपमान की
तिल तिल जलने की
लम्हा लम्हा सुलगने की
शूल के चुभन की
जीवन के थकन की
गिरि पर चढ़ने की
चढ़कर लुढ़कने
फिर से सँभलने की
चाहकर भी
सीधे नहीं हो पाते
मुड़े तुड़े पृष्ठ

बन्द पन्ने
अनुत्तरित प्रश्न
अनसुलझी गाँठें
कुछ कोरे पृष्ठ भी
जहाँ अंकित होंगे
भविष्य के इंद्रधनुष|
...ऋता

15 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है कमाल की रचना ….इत्ने सुन्दर बिम्ब दिए हैं आपने … हैट्स ऑफ इसके लिए |

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  2. बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...

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  3. मन की किताब में तो बहुत कुछ छुपा होता है..
    सुंदर , भावपूर्ण रचना....
    :-)

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  4. मन में तो बहुत कुछ छुपा होता है सुंदर अभिव्यक्ति !

    नई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह...
    बहुत प्यारी कविता है दी...
    सस्नेह
    अनु

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  6. सुन्दर अभिव्यक्ति .खुबसूरत रचना
    कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन
    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  7. कुल मिलाकर छोटे में कहें तो ..आपकी पुस्तक 'हिंदी हाइगा'। :)

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  8. सुंदर बिम्ब से मन को अभिव्यक्त किया ....!!

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  9. सच! बहुत कुछ लिखा होता है इस मन की किताब में। सटीक और सुन्दर रचना/

    सादर,
    मधुरेश

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  10. मन की इस किताब में इतने राज छुपे होते हैं ... तभी तो इन्हें अकेले में पढ़ना चाहिय ... भावपूर्ण ...

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