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शुक्रवार, 14 मार्च 2014

होली आयो रे ...

होली की शुभकामनाएँ !


होली...एक ऐसा शब्द जो श्रवण करते ही कितने सारे भाव उपज आते हैं मन की भूमि पर जो बंजर बन चुके मस्तिष्क पर भी रंगों की बौछार करने से नहीं चूकतेहोली में बहार है,होली में खुमार हैहोली में श्रृंगार है,होली वीणा की झंकार हैहोली रंगों का त्योहार है,होली साजन की पुकार हैजो पर्व सर्वभाव संपन्न है उसके लिए मौसम भी तो खास है अर्थात ऋतुओं का राजा बसंत ही इन सबका सूत्रधार है|

पीत परिधान में सजे ऋतुराज का आगमन चारो ओर हर्षप्रेम और उल्लास भर देता है|पतझर की पीड़ा झेल रहे बागों में कोंपलों का आगमन हैयह वही मौसम है जब श्रीराम जनककुमारी सीता से पुष्पवाटिका में मिले थेश्रीकृष्ण ने गोपियों संग रास रचाया था|महाशिवरात्रि में ऊँ नमः शिवाय का जयघोष है जब देवाधिदेव भगवान शिव का पार्वती से मिलन हुआ थाफाग की मस्ती भी हैवीणावादिनी का संगीत भीभँवरों की गूँज  और कलियों का प्रस्फुटन भी हैआम की बौर से बौराया समाँ है जहाँ कोकिलों की कूक भी है|

हमारे भारत देश में सभी त्योहार मनाने के पीछे कुछ उद्देश्य अवश्य रहता हैहोली नवसंवत्सर का प्रथम दिन है जो हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है और इस बात का संदेश देता है कि सभी के जीवन में खुशियों का रंग भरा रहे सबसे सार्थक परम्परा यह है कि संवत्सर का अवसान होलिका दहन से होता है जो यह बताता है कि सारी बुराइयों को पीछे छोड़ जाएँ हममन की कलुषता को अग्नि की भेंट चढ़ाएँ हम और स्वच्छ हृदय से चैत्र के प्रथम दिन की शुरुआत करें और सालों भर खुशियाँ बाँटेंहोली मिलन की संस्कृति इसी बात की परिचायक है जो भेद भाव का नाश करती है ,मन में उपजे वैर कंटकों को समूल नाश करने का संदेश देती हे|

होली के दिन सुबह होते ही टोलियाँ निकल पड़ती हैं सड़कोंगली मुहल्लों में और साथ होती हैं रंग भरी पिचकारियाँकिसी ने कितने भी झक सफ़ेद कपड़े पहने हों इससे कोई मतलब नहींभइहोली है तो रंगीन ही होना होगाउजले की गुँजाइश नहीं गुस्सा करने का भी अधिकार नहीं क्योंकि हाली का तो बस अपना ही नारा है','बुरा न मानो होली है'|भाभियों की तो खेर नहींरंग डालो उन्हें अपने घर की रीति रिवाजों में और जीजा साली की होली में बेचारी दीदियाँ भी कुछ नहीं कर पातीदिन भर की हुड़दंग के बीच घर के बुज़ुर्गों की पुकार भी तो शामिल हैअरे भाई कुछ खा-पी लोहमें भी खिलाओ या सिर्फ रंग ही खेलोगे|

दोपहर तक शांत हो गई सड़केंघर के अंदर स्नान और रंग छुड़ाने की प्रक्रिया शुरु हुई|मगर भाभी जीआप तो कुछ देर बाद ही नहाएँ क्योंकि बाथरुम के बाहर देवर-ननदों की जमात खड़ी है रंगों की बाल्टियाँ लेकरआप फिर से रंगी जाएँगीवर्ष में एक बार आने वाला यह त्योहार रिश्तों में कितनी मिठास भर देता है यह महसूस करने की बात है|

नहाने के बाद खाना खाकर सभी चले झपकियाँ लेनेफिर तैयार भी तो होना है मेहमानों की आवभगत के लिएतश्तरियों में पकवान और मेवे सजाए गएअबीर गुलाल के पैकेट रखे गएकोई कमी न रह जाएपुए और दही बड़े भी सज गएसांध्य काल की दस्तक के साथ ही शुरु हुई बड़ों के चरण पर अबीर रखकर प्रणाम करने की प्रक्रिया|बडों ने जी भर कर आशीर्वाद दिया और साथ में परवी भी मिलीदेर रात तक मेहमानों के आने का सिलसिला जारी रहता हे|

होली में सभी अपने घर आने की कोशिश करते हैंतभी तो हमारा भारत परिवार को एकजुट रखने में कामयाब रहता हैहर्ष के पर्व को गलत मानसिकता से कभी न मनाएँ|व्यवहार में शिष्टता बेहद जरूरी हैहोली के नाम पर बेहुदे मजाक वातावरण को बोझिल बना देते हैं इससे सदा बचना चाहिए क्योंकि यह आपके व्यक्तित्व को धूमिल कर सकता है|


आप सभी जीवन में हमेशा रंगो की छिटकन बनी रहेशुभकामनाएँ सभी को|................ऋता शेखर 'मधु'

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया पोस्ट.....
    आपको भी होली की इन्द्रधनुषी शुभकामनाएं :-)

    सस्नेह
    अनु

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  2. सच है .. भारत वर्ष में त्यौहार रिश्तो की मिठास बनाये रखने में महवपूर्ण भूमिका निभाते है ..होली की हार्दिक शुभकामनाये

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  3. aapne sahi kaha ...hamare tyohar aapsi mel jol badhane ki hi ek parmpra hai ..sundar lekh

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  4. बहुत सार्थक प्रस्तुति...होली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं!

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