पृष्ठ

सोमवार, 9 अक्टूबर 2017

छंदमुक्त- मैं गुलाब


Image result for plucked rose
छंदमुक्त...
शाख से टूटा हूँ तो क्या
मेरा हुनर मेरे पास है
मेरे खुश्बुओं की तिजोरी
सूख कर भी महकती रहेगी
मैं काँटों से न घबराया कभी
न धूप में कुम्हलाया कभी
गुलदस्तों में सजता रहा
अर्थियों पर गिरता रहा
प्रेमियों की अभिव्यक्ति बना
जीवन दर्शन की युक्ति बना
मैं आभारी हूँ सृष्टि का
समग्रता के मिसाल में
खुश हूँ हर हाल में
यूँ तोड़कर मुझे
इतना न इतराओ
ओ पवन सुहानी!
तुम लेकर मेरी खुश्बू
वहाँ बिखरा देना
जहाँ होगा कोई बालक
रूठा रूठा सा
जहाँ होगी ममता
सिसकी सिसकी सी
तो जनाब, मैं हूँ गुलाब
शाख से टूटा हूँ तो क्या
मेरा हुनर मेरे पास है|
-ऋता शेखर 'मधु'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!