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शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

शापित फल्गु-लघुकथा


शापित फल्गु

"माँ, यहाँ तो रेत ही रेत है, फिर इसे नदी क्यों कहते हैं।" रेत पर बैठी मैनेजमेंट पढ़ रही प्रज्ञा पूछ रही थी।

"बेटे, यहाँ गड्ढा करोगी तो पानी निकल आएगा। कहते हैं इस फल्गु नदी को सीता माता ने श्राप दिया था । नदी ने सीता माता के सच की गवाही न देकर गुप्त रखा इसलिए नदी का जल भी गुप्त हो गया।"

"अच्छा! पर कौन सा सच माँ ," प्रज्ञा ने विस्मय से देखते हुए पूछा।

" जब श्रीराम, लक्ष्मण और सीता वनवास पर थे तभी राजा दशरथ की मृत्यु हो गयी थी। हिन्दू रिवाजों के अनुसार वे तीनों गयाधाम में राजा दशरथ की आत्मा की मोक्षप्राप्ति के लिए तर्पण करने गए। समय निकला जा रहा था किन्तु राम और लक्ष्मण सामान लेकर लौटे नहीं थे। तब दशरथ की आत्मा ने सीता से तर्पण की माँग की। सीता ने श्वसुर के लिए बालू का पिंड बनाकर दान दिया और नदी को गवाह बनाया। राम के आने पर सीता ने सारी बात बताई किन्तु राम को विश्वास नहीं हुआ। सीता ने नदी से सच बताने को कहा पर वह चुप रह गयी। तब दशरथ की आत्मा ने आकर सच बताया। राम को विश्वास हो गया। किन्तु नदी के व्यवहार पर सीता ने क्रोधित होकर श्राप दिया।"

"बहुओं के नसीब में हमेशा अविश्वास ही क्यों रहता है माँ ? भाभी दिनभर आपकी और पापा की कितनी सेवा करती हैं। फिर भी हर शाम उनको भैया के संशय भरे सवालों का जवाब देना पड़ता है। जब एक मृत आत्मा बहु के तर्पण को स्वीकार कर उसका साथ दे सकती है तो जीवित आत्माएं क्यों चुप रह रह जाती हैं माँ ? अब मैं भाभी की आत्मा को दुःखी नहीं होने दूँगी। मुझे सच की गवाही देनी होगी माँ। मैं फल्गु नहीं बनूँगी।"

-ऋता शेखर 'मधु'

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (25-02-2018) को "आदमी कब बनोगे" (चर्चा अंक-2892) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय माड़भूषि रंगराज अयंगर जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन एक लम्हे में चाँदनी से जुदाई : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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