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शुक्रवार, 20 सितंबर 2024

डमरू घनाक्षरी


डमरू घनाक्षरी - शृंगार रस

वर्णिक छंद- 8, 8, 8, 8 की एक पंक्ति

हर अठकल अमात्रिक - त्रिकल त्रिकल द्विकल से

चार समतुकांत पंक्तियाँ


अनत जगत यह, सरल सहज वह,

करत नयन नत, मदन भजन रत।1

कमल नयन लख, चरण शरण रख,

असत गरल हत, नमन करत शत।2

तपन सहन कर, हवन भवन धर,

धरम करम गत, फलत रमन तत।3

बरस सघन घन, हरष रतन मन।

बढ़त फसल सत, मगन सदन बत। 4

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द्वितीय छंद


चमक दमक कर, कनक कलश  भर,

चलत अचल हल, जनमत सिय थल।1

चहक चहक खग, नटत अयन मग,

चहल पहल ढल, मगन भवन तल।2

जनक नगर घर, लखन दरस कर,

हरष हँसत जल, नवल कँवल दल।3

सकल चयन कर, वरण रमण वर,

सरल सहज पल, झरत सरस फल।4

- ऋता शेखर

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