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रविवार, 8 दिसंबर 2024

मध्य में क्या

 जिंदगी की स्लेट पर

जन्म या मृत्यु लिखना

आरम्भ और अंत है।

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य वृहद उपन्यास है।


जन्म तो संयोग है

मृत्यु एक वियोग है

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य मिलन का पर्याय है।


जन्म एक भोर है

मृत्यु निशा की ओर है

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य चिलचिलाती धूप है।


जन्म उन्नयन है

मृत्यु अवनयन है

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य उतार चढ़ाव है।


जन्म जो मुखड़ा है

मृत्यु भी तो टेक है

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य अंतरे का विस्तार है।


जन्म गंगोत्री है

मृत्यु सागर समागम है

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य ऊँची नीची धारा है।


जन्म जब बीज है

मृत्यु विशाल ठूंठ है

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य फूल और काँटें हैं।


जन्म मतला है

अंत मकता है

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य ग़जल है।


जन्म है अनुक्रम

मृत्यु है मतिभ्रम

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य  कथा है।


जन्म  प्रस्फुटन हो

मृत्यु भी विघटन है

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य बसंत और पतझड़ है।


जन्म आशा है

मृत्यु में निराशा है

क्या इतना ही जीवन है?

नहीं...मध्य खुशी या अवसाद है।


-ऋता शेखर

5 टिप्‍पणियां:

  1. अत्यंत गहन भाव लिए जीवन मृत्यु के अनसुलझे रहस्य की परतों को टोहती अति उत्तम अभिव्यक्ति।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १० दिसम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. जन्म और मृत्यु को विभिन्न प्रतीकों के माध्यम से अभिव्यक्त करती सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई ऋता जी!

    जवाब देंहटाएं

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