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मंगलवार, 17 जून 2025

कलम

 रचनाकार - ऋता शेखर 'मधु' 

विधा - नवगीत

विषय - कलम, लेखनी


चिंतन की भीड़ से पन्नों को आस

कलम की सड़क पर शब्द चले खास


परिश्रम के पेड़ पर मीठे लगे फल

स्याही की बूँद से हुलस गए पल

खबरों में शब्दों की हो रही हलचल

बधाई की खुशी में पेन गयी मचल

सधे हुए हाथ जुटे लेखनी के पास


बसा रही लेखनी किताबों के नगर

कृष्ण से प्रीत करे पनघट की डगर

श्याम रंग स्याही के दावात हुए घर

बारिश की नमी में पेन को लगे पर

चिट्ठियों में जा बसे गुलाब के सुवास


हिमालय की चोटी या नदियों की धार

मनहर हर दृश्य को पेन रही उतार

प्रेरणा की गाथा में आशा का संचार

लेखनी को भा रहे प्रभाती सुविचार

नीब से अमर है विश्व का इतिहास


बाइबल कुरान संग रच रही वेद

ग्रन्थों में लेखनी करे न कोई भेद

कविता के लय में तुकों के हैं स्वेद

ज्यों धुन सँवारते बाँसुरी के छेद

कलम से दोस्ती कवि का प्रभास।

ऋता शेखर 'मधु'

17/06/2025

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