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शनिवार, 10 मार्च 2018

नारी

महिला दिवस विशेष रचना-दोहे
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नारी से ही रीत है, नारी से है प्रीत।
नारी से है सर्जना, नारी सुन्दर गीत।।


एक वृत्त के केंद्र में, नारी का संसार।
प्रेम त्याग के भाव से , देती है आकार।।

रिश्तों को सम्भालती, बन माला की डोर।
नारी से है अर्चना , तुलसी भावविभोर ।।

बस थोड़े सम्मान से, बन जाती है फूल।
कोमल मन की भावना, सह लेती हर शूल।।

मातृ रूप में है दुआ, बहन रूप में प्रीत।
पुत्री रूप अहसास का, पत्नी रूप है मीत।।

नर विस्तारित कीजिये, अपने मन का कूप।
वर्णित है हर वेद में, सरस्वती का स्वरूप।।

नदी पहाड़ धरा गगन, सभी जगह है राज।
खुल कर के अपनाइए , नारी की परवाज़।।

-ऋता शेखर 'मधु'

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ...
    नारी है तो संसार है, लेकिन कुछ अहमक समझते ही नहीं

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, अनजाने कर्म का फल “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 13/03/2018 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

    जवाब देंहटाएं

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