गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

बाबुल का अंतर्द्वन्द



बाबुल का अंतर्द्वन्द
बिटिया खड़ी दुल्हन बनी
मन का जाने न कोई राज
बाबुल खड़ा सोचे बड़ा
अजीब रस्म है आज
सौंपना है जिगर के टुकड़े को
बजा बजा के साज
मन है व्याकुल, ले जाने वाला
बन पाएगा क्या उसका रखवाला
नयन नीर बने, होठों पर मुस्कान
मन विह्वल होता जाता है
दिल भी बैठा जाता है
पर साथ ही सुकून है
बाबुल खुद पर है हैरान|
बिटिया इस घर की रानी थी
क्या वहाँ करेगी राज!
बाबुल की बाहें बनी थीं झूला
मिल पाएगा क्या वहाँ हिंडोला!
माँ की गुड़िया प्यारी-प्यारी
बन पाएगी क्या वहाँ दुलारी!
भाई की आँखों का तारा
जीवनसाथी की क्या बनेगी बहारा!
बहनों की वह प्यारी बहना
बन पाएगी क्या वहाँ की गहना!
दादी-नानी की नन्हीं मुनिया
उड़ पाएगी क्या बन चिड़िया!
बूआ-मासी की है वह लाडली
पाएगी क्या फूलों की डाली!
सवाल रह गए सारे मन में
बिटिया चली, बैठ पालकी में
आँगन बजती रही शहनाई
बिटिया की हो गई विदाई|

अब जो बिटिया हुई पराई
याद में आँखें भर आईं|
बाबुल, तुम रोना नहीं
दिल में है सिर्फ वही समाई|
अब जब भी वह घर आए
प्यार से झोली भर देना
एक अनुरोध इतना सा है
अपने घर को 
उसका भी रहने देना||

ऋता शेखर ‘मधु’

9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्…………काश ये बात सब कहें कि बेटी तेरा घर हमेशा तेरा ही रहेगा और तू दो घरो की स्वामिनी है हमेशा।

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  2. बेटी के विवाह के समय यही भावना मन में उठती है ..सुन्दर प्रस्तुति

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  3. एक अनुरोध इतना सा है
    अपने घर को
    उसका भी रहने देना||... yahi kimti aashirwaad hai

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  4. भावपूर्ण सुन्दर रचना ....विदाई का पल हमेशा कष्टमय होता है !

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  5. विदाई की रागिनी जब जब बजती है... आँखें ही नहीं हृदय भी नम हो जाता है...!

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  6. सौंपना है जिगर के टुकड़े को
    बजा बजा के साज|

    आँगन बजती रही शहनाई
    बिटिया की हो गई विदाई|

    बहुत सारे सवालों के साथ बिटिया बिदा होती है|

    अब जब भी वह घर आए
    प्यार से झोली भर देना
    एक अनुरोध इतना सा है
    अपने घर को
    उसका भी रहने देना||

    इस अनुरोध में काफी दर्द छिपा है|
    बहुत ही मार्मिक और सटीक चित्रण|

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  7. marmik post..dil patthar ho jata hae ya patthar dil par rakh lete haen jab apne hi dil ka tukada gahnon se sja kar dete haen...........

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  8. बहुत ही खूबसूरत कविता है!!!!!

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