बुधवार, 30 जनवरी 2013

गाँधी जी की पुण्यतिथि पर...




गाँधी जी की पुण्यतिथि पर...

आओ तो बापू जरा, देखो अपना देश
संतों की इस भूमि का, बदल गया परिवेश
बदल गया परिवेश, भ्रष्टाचार है भारी
नहीं सत्य का मोल, सिसक रहे सदाचारी
चरखा लेकर हाथ, अमन का राग सुनाओ
पंथ निहारे हिन्द, अब तो जल्द ही आओ

ऋता शेखर 'मधु'

शनिवार, 26 जनवरी 2013

फहरा झंडा झूम कर




फहरा झंडा झूम कर, बना हिन्द की शान
हम भारतवासी सदा, करते गुंजित गान
करते गुंजित गान, आँख में भरता पानी
आते याद शहीद, और उनकी कुर्बानी
हरा केसरी श्वेत, रंग है सबका गहरा
सब धर्मों के संग, तिरंगा जमकर फहरा
ऋता शेखर 'मधु'

रविवार, 20 जनवरी 2013

एक नई विधा - शे'रगा

आज मैं एक नई विधा से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ...
जब चित्र पर हाइकु लिखते हैं तो वह हाइगा कहलाता है...तो जब चित्र पर शे'र लिखा जाएगा तो शेर-गा ही कहलाएगा न...आज प्रस्तुत है कुछ शे'रगा

शहीदों के लिए
सभी चित्र गूगल से साभार

रविवार, 13 जनवरी 2013

उस दीपक सी हो पावन तुम




इन मेघों की हो सावन तुम
इस बगिया की मनभावन तुम
जले रात्रि-मध्य देवालय में
उस दीपक सी हो पावन तुम

चंचल हवा सुहावन तुम
मीरा की वृंदावन तुम
इस रस्ते जो पतित हुए
हो करती उनको पावन तुम

प्राची किरण लुभावन तुम
प्रात: की सजावन तुम
मन जो मेरा डूब गया
उस सोच की हो प्लावन तुम...

...
..
1Unlike ·  · 

मंगलवार, 8 जनवरी 2013

दो आँखें



दो आँखें

गहरी धुँध
सर्द हवाएँ
ठिठुरा बदन
सन्नाटे रास्ते...
धुँध के पीछे
चमक रहा था कुछ
कोई छुपा था
कौन है वो
आगे बढ़ी
धुँध के साथ
वह भी पीछे खिसका
कैसे देखूँ
धूप गहरायी
धुँध हल्की हुई
रुह पर चिपकी
दो आँखें चमक रही थीं
अनगिनत सवाल लिए
शायद कह रही थी
मैं तो अकेली थी
बहुत दर्द सहा, मगर
बच नहीं पाई
तुम लाखों में हो
मेरी बेचैन रुह को
अब भी बचा लो
इंसाफ़ दिला दो
इंसाफ़ दिला दो
हाथ बढ़ाया कि
सहला दूँ उसके बालों को
पर यह क्या?
वह ग़ायब हो गई
उसे सांत्वना नहीं
सिर्फ़ और सिर्फ़
इंसाफ़ चाहिए था
दिन पूरी तरह चमकने लगा था
पर धुँध अब मन के अन्दर छाया था|
ऋता शेखर मधु

रविवार, 6 जनवरी 2013

सरवाइवल ऑफ़ द फ़िटेस्ट



सरवाइवल ऑफ़ द फ़िटेस्ट

एक बार कालदेव यमराज जी महाराज अपने असिस्टेंट चित्रगुप्त जी महाराज के साथ पृथ्वी भ्रमण को आए| सबसे पहले तो वह यहाँ की भीड़भाड़ देखकर घबड़ा गए| उन्होंने सोचा कि यहाँ इतनी भीड़ है तो सबकुछ कैसे मैनेज होता होगा| यही बात उन्होंने चित्रगुप्त जी से पूछा| चित्रगुप्त जी ने कहा कि दो-चार स्थानों पर जाकर देखते हैं कि सब कुछ किस सिस्टम से चलता है| सुबह का समय था तो सोचे कि पहले मंदिर जाकर भगवान के दर्शन कर लूँ| दर्शन करने के लिए लड्डु लेने थे| देखा कि बहुत सारे लोग प्रसाद खरीदने ले लिए लाइन में लगे थे| यमराज जी तो यह सिस्टम जानते नहीं थे तो लाइन में सबसे आगे आकर लड्डु लेना चाह रहे थे तभी आवाज आई क्यू में रहिए |  बेचारे सकपका गए| उन्होंने चित्रगुप्त जी की ओर देखा| चित्रगुप्त जी ने बताया कि वे लाइन में आगे नहीं आ सकते| करीब पन्द्रह-बीस मिनट बाद वे प्रसाद खरीद पाए| प्रसाद लेकर मंदिर की ओर बढ़े| वहाँ लम्बी लाइन लगी थी| एक बार डाँट सुन चुके थे सो चुपचाप लाइन में लग गए| आधे घंटे बाद भगवान के निकट पहुँच पाए| वहाँ से निकले तो सोचे जलपान कर लूँ| किसी जाने माने होटल में पहुँचे| उस वक्त सभी मेजें भरी थी सो उन्हें क्यू में खड़ा कर दिया गया| कुछ जबरदस्त लोग क्यू में आगे आने की चेष्टा कर रहे थे| अपनी बारी आने पर ही भोजन नसीब हुआ| कुछ देर वहाँ घूमने के बाद दूसरे शहर जाने की इच्छा हुई| ट्रेन से जाना था तो टिकट कटवाने के लिए वहाँ भी क्यू में लग गए| यहाँ भी जबरदस्त लोग आगे आना चाह रहे थे| किसी तरह टिकट मिली| लोकल ट्रेन थी तो धक्कामुक्की कर के ट्रेन में घुसे| अन्दर बैठने की भी जगह नहीं थी, बेचारे खड़े खड़े ही सफर तय किए| इस तरह घूमते घूमते शाम हो गई| बहुत थकने के बाद अचानक यमराज जी की तबियत खराब हो गई| चित्रगुप्त जी घबड़ा गए| वहाँ आसपास खड़े लोगों से मिन्नतें की कि वे उन्हें हॉस्पीटल तक जाने में मदद करें पर लोगों ने ध्यान नहीं दिया| बेचारे किसी तरह हॉस्पीटल पहुँचे| यहाँ भी लाइन...यमराज जी की तबियत बहुत खराब थी फिर भी क्यू के अनुसार ही चलना था| मन मारकर चित्रगुप्त जी क्यू में खड़े हो गए| तबियत सँभली तो वापस अपने लोक लौट गए|
यहाँ आकर दोनों ने विचार किया कि हमें भी क्यू सिस्टम लागू करना चाहिए| चित्रगुप्त जी महाराज ने लम्बी सी लिस्ट बनाई और सबको क्यू में लगा दिया| पर यह क्या...तत्क्षण ही काउंटर खाली हो गया| जो जबरदस्त लोग पृथ्वी पर आगे आने की चेष्टा करते थे वे यहाँ क्यू में पीछे चले जा रहे थे| बेचारे सिद्धान्तवादी लोग लाइन में लगे थे|
एक दिन चित्रगुप्त जी ने ऑफिस खोला तो एक करीब तेइस साल की लड़की सबसे आगे खड़ी थी| चित्रगुप्त जी ने कहा- बेटी, अभी तुम्हें इस लोक में आने का समय नहीं हुआ है|
लड़की ने हाथ जोड़कर कहा- महाराज, पृथ्वी पर सरवाइवल ऑफ द फ़िटेस्ट का सिद्धान्त चलता है...और मैं वहाँ रहने के लिए फिट नहीं हूँ सो आप मुझे यहाँ बुला लो...सभी लड़कियों को बुला लो|
अरे, ऐसे कैसे...इस तरह तो सृष्टि ही थम जाएगी| दुर्गा जैसी नारी बनो|
किन्तु दुर्गा भी तो साधारण स्त्री ही थीं, शक्ति तो उन्हें भगवान शिव से मिली थी तभी वे आततायियों का विनाश कर पाईं| पृथ्वी पर हमें शक्ति देने वाला कोई नहीं है|
बताओ, तुम्हें किससे शक्ति चाहिए|
न्याय व्यवस्था से, समय पर न्याय न मिल पाने से स्त्रियाँ कमजोर पड़ जाती हैं, ...इसलिए मुझे यहाँ बुला लो|
चित्रगुप्त भगवान सोच में लीन हो गए...लड़की की बातों में दम था, किन्तु वे इस समस्या को सुलझाने में लाचार थे|

ऋता शेखर मधु

मंगलवार, 1 जनवरी 2013

रंगीन सफ़ेद


रंगीन सफ़ेद

इन्द्र के नीरद बरस चुके
पारदर्शक बूँदें हैं कुछ शेष|                        
दिवाकर की किरण निस्तेज
विकर्ण हों बिखेरें रंग विशेष|
दूर क्षितिज पर चमक रहा
सतरंगी इन्द्रधनुष का तेज|      
सात रंगों की सात कहानी
कहता मनभावन अर्धवृत|
मानस पटल पर उकेर रहा
हर रंग के कुछ कुछ चित्र|

बैंगनी का है गाढ़ा रंग
कहता जीवन नहीं बेरंग|
गाढ़े नीले की गहराई
राम, श्याम के मन को भाई|
हल्के नीले की चतुराई
नभ, सागर में जा समाई|
हरा समृद्धि का द्योतक
सावन, वनस्पति पर छाई|
पीला रंग बसंत का
क्यारी क्यारी में लहराई|
नांरंगी चमकी नवयुवकों में
देशभक्ति का भाव जगाने आई|
लाल की लाली निराली
क्रोध और कुर्बानी सिखलाई|

सात रंगों का समावेश
श्वेत रंग की शांति लाई|
सप्त वर्ण बनकर सफ़ेद
अमन का संदेश सुनाने आई|
सात रंग के सात किरण
सूर्य-किरण से निकल कर आईं|
सात किरण सात अश्व हैं
भास्कर रथ चलाने आई|

सफ़ेद रंग सबसे रंगीन
न्यूटन की चकरी समझाने आई|
न्यूटन की चकरी में होते
इन्द्रधनुष के सात रंग
वेग से जब नाचते
दिखते सिर्फ़ और सिर्फ़ रंग सफ़ेद|

              ऋता शेखर मधु