मकर संक्रंति—हरिगीतिका में
पावन मकर संक्रांति आया, सूर्य उत्तरायण हुए|
उष्मा भरी अरु, ऊर्जा समायी, सब सरस सावन हुए||
खाते दही चूड़ा गजक हम, आज यह आहार है|
सब देव जागे हैं जमीं पर, मन रहा त्योहार है|१|
पंजाब में यह ‘लोहड़ी’ है, बंग में ‘संक्रांति’ है|
‘पोंगल’ तमिलनाडू मनाए, ‘बिहु’ असम के संग है||
प्यारी पतंगें सज चुकी हैं, यह बना परवाज़ है|
लिपटे लटाई मंझ धागे, जीत का आगाज़ है|२|
ऋता शेखर ‘मधु’
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार!
बेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें .
जवाब देंहटाएंनीरज
sundar...
जवाब देंहटाएंmeri post par aapka swagat hai...
सुन्दर अभिव्यक्ति...मकर संक्रंति की बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाएँ ..मकर संक्रांति की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं.मकर संक्रांति की शुभकामनायें.....बेहतरीन रचना,बधाई स्वीकारें....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,संक्रांति की शुभकामनाए,....
जवाब देंहटाएंwelcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--
लिपटे लटाई मंझ धागे, जीत का आगाज़ है|मकर संक्रांति की शुभकामनायें.....बेहतरीन रचना,बधाई स्वीकारें..
जवाब देंहटाएंसंक्रान्ति पर सुन्दर छन्दो्मयी प्रस्तुति। बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्दों के संयोजन से रची ये रचना हम
जवाब देंहटाएंसभी को मकर संक्रांति की शुभकामनायें दे रही है !
मेरे तरफ से आपको एवं समस्त परिवार को
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत अच्छी रचना,सुंदर प्रस्तुति,वाहवाह!!!!!क्या बात....
जवाब देंहटाएंनई रचना-काव्यान्जलि--हमदर्द-
अलग सी प्रभावशाली रचना ...
जवाब देंहटाएंबधाई !
आपने मकर संक्रंति के हर पहलु को प्रांत,धर्म, आहार एवं खेल को अपने खूबसूरत प्रवाहमय हरिगीतिका छंद मैं समेट लिया है.....मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...मकर संक्रांति की शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति.मकर संक्रंति की बधाई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति. इस ब्लॉग को फालों कर रहा हूं, अब गूगल रीडर से नये पोस्टों को बिना उपस्थिति का आभास दिलाए पढ़ते रहूंगा.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !!!
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनायें !!
बहुत सुंदर, मधु जी।
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनाएं।
makar sankranti pr hardik badhai Madhu ju sath hi ak bahut hi sundar rachana ke liye bahut bahut abhar.
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