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चित्र गूगल से साभार |
नटखट कन्हैया जा रहे हैं, धर्म से अनजान हैं|
बैठे सकीना गोद में वे, मंद सी मुस्कान है||
यह दृश्य है अद्भुत अलौकिक, बन रहा पहचान है|
ऐसे सलीमों को नमन है, देश की ये शान हैं|१|
भारत वतन समभाव का है,हैं विविध से गीत भी|
सद्भाव बहता है रगों में, है दिलों में प्रीत भी|
आजान गूँजे मस्जिदों में, मंदिरों में घंटियाँ|
मीठा मधुर संगीत बन के, भाव प्यारा हो बयाँ|२|
ऋता शेखर 'मधु'
!!!गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
नटखट कन्हैया जा रहे हैं, धर्म से अनजान हैं|
जवाब देंहटाएंबैठे सकीना गोद में वे, मंद सी मुस्कान है||
बहुत गहन , स्पष्ट
बहुत सुन्दर भाव ..हाईगा भी बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
आपके इस उत्कृष्ठ लेखन का आभार ...
जवाब देंहटाएं।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।
सार्थक संदेश देती सटीक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर ,सटीक
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
इस बेजोड़ सार्थक रचना के लिए साधुवाद
जवाब देंहटाएंनीरज
शानदार प्रस्तुति है |
जवाब देंहटाएंजय अक्षर जय शब्द विधान,
जय जन जाग्रति जय उत्थान .तभी बने गणतंत्र महान .
बहुत शानदार प्रस्तुति,सार्थक सटीक भावपूर्ण अच्छी रचना,..
जवाब देंहटाएंWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
आमीन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता है दीदी!!
जवाब देंहटाएं:):)