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सरस्वती वंदना—हरिगीतिका छंद
गूगल से साभार |
यह शीश कदमों पर नवा कर, कर रहे हम वन्दना |
माँ शारदे, कर दो कृपा तुम, है विद्या की कामना||
संतान हम तेरे अज्ञानी, ज्ञान की मनुहार है |
उर में हमारे तुम पधारो, पंचमी त्यौहार है |१|
धारण मधुर वीणा किया है, दे रही सरगम हमें|
संगीत से ही तुम पढ़ाती, पाठ एकता का हमें||
बस शांति हो संदेश अपना, दो हमें यह भावना|
भारत वतन ऐसा बने, हो, सब जगह सद्भावना|२|
पद्मासिनी होकर कही तुम, हो सुवासित यह जहाँ|
रहती सदा ही हंस पर तुम, शांति छा जाती वहाँ||
माता करो उपकार हमपर, कर रहे हम साधना|
साकार हों सपने सभी के, है यही आराधना|३|
इस ज़िन्दगी की राह भीषण, पाहनों से सामना|
ना ठोकरें खा के गिरें माँ, ज्ञान दे, संभालना||
तेरे बिना कुछ भी नहीं हम, सब जगह अवरोध है|
हों ज्ञान-रथ के सारथी हम, यह सरल अनुरोध है|४|
तूफ़ान में पर्वत बनें हम, शक्ति इतनी दो हमें|
तेरे चरण- सेवी रहें हम, भक्ति भी दे दो हमें||
करते तुझे शत-शत नमन हम, हो न तम का सामना|
आसक्त तुझमें ही रहें हम, बस यही है कामना|५|
ऋता शेखर 'मधु'
वाह मधु जी बहुत सुन्दर आराधना की है आनन्द आ गया…………
जवाब देंहटाएंसरस्वती माँ को सादर वन्दन अभिनन्दन
करो माँ हर ह्र्दय मे प्रेम का मधुर स्पन्दन
ाअपकी इस वन्दना ने मन मोह लिया । बहुत -बहौत साधुवाद !
जवाब देंहटाएंमन मोहक बढ़िया वंदना,अच्छी लगी,..
जवाब देंहटाएं--26 जनवरी आया है....
माँ सरस्वती कि मनभावन वंदना .. आभार
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती के चरणों में मेरा भी नमन...बहुत सुन्दर रचना...मेरी बधाई...।
जवाब देंहटाएंप्रियंका
माता करो उपकार हमपर, कर रहे हम साधना|
जवाब देंहटाएंसाकार हों सपने सभी के, है यही आराधना|३|
..........और क्या चाहें हम , इतनी है अपनी कामना
हरिगीतिका छंद में रचित इस सरस्वती वंदना ने सचमुच मन को मोह लिया|आपने वीणापाणि की बहुत हि सुन्दर आराधना की है| वंदना में आपने जो भी कामना की है ,समष्टि के कल्याण के लिए है |
जवाब देंहटाएंमुझे याद है कि सरस्वती माँ की वन्दना कि कविता से आपने यह ब्लॉग शुभआरम्भ किया था|
माँ शारदे की कृपा आपकी लेखनी पर बनी रहे|
बधाई स्वीकार करें|
बहुत ही सुन्दर सरस्वती वंदना .. माँ शारदे के आशीर्वाद के बिना तो कुछ भी न हो .
जवाब देंहटाएंबहुत मनमोहक और भक्तिपूर्ण वन्दना...बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंअपने ब्लाग् को जोड़े यहां से EK BLOG SABKA
आशा है आपको हमारा प्रयास पसन्द आएगा!
हरिगीतिका छंद!!
जवाब देंहटाएंये पहली बार सुना है मैंने...
खैर, बड़ी खूबसूरत लगी कविता और आपकी पहली वाली हरिगीतिका छंद भी पसंद आई :)
मन और नयन दोनों ही पवित्र हो गये, पावन वंदना, वाह !!!
जवाब देंहटाएंमनभावन वंदना अच्छी लगी,
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण वंदना! बेहद पसंद आया!
जवाब देंहटाएंइस ख़ूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा.