शनिवार, 4 अक्टूबर 2025

कोदंड

 

उत्कृष्ट पत्रिका अनुभूति के कोदंड विशेषांक में प्रकाशित

शक्ति का प्रतीक कोदंड 


मर्यादा संग शक्ति का प्रतीक बना कोदंड

देख अविनय के भाव को

होता रहा प्रचंड


रघुनन्दन के तरकश में अस्त्र यह कड़े बाँस का

प्रत्यंचा संग भृकुटि ताने थमता दृग हर साँस का

निष्फल होता है नहीं चुभ जाए शर-फाँस का

लक्ष्य बेधने निकल पड़ा

काँपने लगा भूखंड

 

कोदंड नामक यह धनुष साथी है श्रीराम का

हठ दुराग्रह का शत्रु मित्र पुरु निष्काम का

सागर से पथ पाने में अनुनय था न काम का

वरुण देव देख घबराए

प्रत्यंचा दिव्य अखंड

 

दंडकारण्य में निर्मित किया कई असुर संहार

रावण सेना थी भयभीत कोदंड का सुन टनकार

कुम्भकर्ण के काटे पाँव जब हुई उससे तकरार

कोदंड चमक उठा ऐसे

नभ में ज्यों मार्तंड

 

मन के अंदर लंका हो कोदंड हमे बनना होगा

छल कपट को त्यागकर मर्यादा से तनना होगा

दसमुख का हो विनाश उसे सदा कुचलना होगा

हर काल सच्चाई बने

ऐसा निर्मित हो प्रखंड

ऋता शेखर

१ अक्टूबर २०२५

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