न स्वार्थ का लेप
न इच्छाओं का अवलंबन
है चट्टान सा मजबूत
भाई-बहन का बंधन
मेरी बहना
छत्र है तू
छाया है तू
रेत पर बने
हर निशान में
दिखती तस्वीर तेरी
हर वक्त
मेरे लिए
बनती है तू
कभी कवच
कभी ढाल
कुछ भी तो
चाहती न मुझसे
सिर्फ भरती है
मेरी झोली
मंगलकामनाओं से
लिपटी रहे तू
खुशियों की चादर में
हर सावन
तू होगी जहाँ भी
आऊँगा मैं वहाँ
देख सकता नहीं
उदासी तेरी
तेरी एक मुस्कान को
चाँद-तारे लाऊँगा
उसके बदले
कलाई पर अपनी
राखी बंधवाऊँगा|
भइया मेरे
नाजुक डोरी
स्नेह का बंधन है
श्रावणी झड़ी में
धरा पे उगती
नर्म दूब है
पूर्णमासी की भोर
मुझे वह दिखती
राखी की डोर
पूनम की उषा
खोलती है दिल में
यादों की मंजूषा
बागों में हम
तितलियों के पीछे
भागते फिरते
मैं पकड़ न पाती
तुम पकड़ लेते
और दे देते मुझे
आम के पेड़ पर
ढेले तुम फेंकते
आम चुनती मैं
पेंसिल कटर इरेजर
होती थी
झगड़े की जड़
जाने कब
हम बड़े हो गए
अपनी-अपनी गृहस्थी
अपनी-अपनी जिम्मेदारी
पर भाई मेरे
राखी के दिन
व्यस्तताओं के बीच
कुछ पल चुराना
मेरे लिए
हम साथ बैठ
जीएँगे वह पल
जहाँ था न कोई छल|
श्रावणी चन्द्रमा-वृत
अरुणाचल में हुआ विलीन
आएगा अगले साल
प्यारा यह दिन
शुरु हो गया फिर से इन्तेजार
दिन यह आता रहे
बार-बार बारम्बार !!!
ऋता शेखर ‘मधु’
भाई - बहन की मस्ती
जवाब देंहटाएंवो पुरानी यादे ..बहुत खूबसूरती से
झलक रही है रचना में
बहुत-बहुत प्यारी ,सुन्दर,मनभावन रचना..
इस पावन पर्व पर आपको ढ़ेर सारी शुभकामनाये :-)
पूनम की उषा
जवाब देंहटाएंखोलती है दिल में
यादों की मंजूषा
बागों में हम
तितलियों के पीछे
भागते फिरते
मैं पकड़ न पाती
तुम पकड़ लेते
और दे देते मुझे................
बहुत सुन्दर ..
आपको ढेर सी शुभकामनाएं.
सस्नेह
अनु
आपके द्वारा रचित भाई-बहन की यह कविता
जवाब देंहटाएंकाफी कुछ याद करा गई|
बहुत ही प्यारी रचना|
राखी की आपको ढेर सारी शुभकामनाएं|
निश्छल रिश्ते की प्यारी बातें ....शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंरिश्तों की अहमियत को बखूबी दर्शाया है....
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत सुन्दर काव्यमय प्रस्तुति भाई बहन के अमित प्यार की .बहिन, भाई के अन्दर पिता का निस्स्वार्थ छाता, और भैया, माँ को ढूंढता है कहतें हैं जो भाई अपनी बहन से बहुत रागात्मक सम्बन्ध बनाए रहतें हैं उनके साथ स्नेहिल बने रहतें हैं उन्हें हार्ट अटेक नहीं पड़ता ,दिल की बीमारियों से बचाता है माँ के जाने के बाद बहन का प्यार .रक्षा बंधन मुबारक -झूमें ये सावन सुहाना ,भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना ,शायद वो सावन भी आये ,जो पहले सा रंग न लाये, बहन पराये देश बसी हो ,अगर वो तुम तक पहुँच न पाए ,झूमें ये सावन सुहाना ...इस गीत की मिसरी बचपन में ले जाती है .छोटी बहन का यह गीत आज भी उतना ही मीठा लगता है जितना "चंदा मामा दूर के ,पुए पकाए बूर के ,आप खाएं प्याली में ,मुन्ने को दें ,प्याली में ..
जवाब देंहटाएंभाई बहन के पवित्र रिश्ते की मनभावन प्रस्तुति,,,,,
जवाब देंहटाएंरक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाये | आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है, एक आध्यात्मिक बंधन :- रक्षाबंधन - ब्लॉग बुलेटिन, के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शिवम् जी !
हटाएंश्रावणी चन्द्रमा-वृत
जवाब देंहटाएंअरुणाचल में हुआ विलीन
आएगा अगले साल
प्यारा यह दिन
शुरु हो गया फिर से इन्तेजार
दिन यह आता रहे
बार-बार बारम्बार !!!
भावमय करती प्रस्तुति ...
आपको इस स्नेहिल पर्व की अनंत शुभकामनाएं
बहुत सुंदर रचना ...भाई बहन के रिश्ते की प्रगाढ़ता को कहती सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार रविकर सर !
हटाएंश्रावणी झड़ी में
जवाब देंहटाएंधरा पे उगती
नर्म दूब है
पूर्णमासी की भोर
मुझे वह दिखती
राखी की डोर
....बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें!
कल 03/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत जी !!
हटाएंबहुत ही सुन्दर .............रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता... रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाएँ !!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर, भावमयी पंक्तियाँ ..
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ !!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकृपया अनुप्रिया के नाम को हटा दें , उसकी यादों को संकलित करने हेतु पारिवारिक उपयोग हेतु एक ब्लॉग बनाया है ! भूल बस उसी नाम से कुछ ब्लोग्स पर यह टिप्पणी की गयी थी !
हटाएंरक्षाबंधन पर अद्भुत रचना, बिल्कुल हट कर, वाह !!!!!
जवाब देंहटाएंबधाई...
इस बंधन की पावनता असीम है
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर रचना ! कितनी साधारण सी बातें हैं...मगर कितनी प्यारी, कितनी अनमोल.... :-)
जवाब देंहटाएंबड़ी सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की शुभकामनायें....
सादर।
एक खूबसूरत रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया,ऋता जी
जवाब देंहटाएं---शायद आपको पसंद आये---
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मधुर उदगार लिए .. भाई बहन के प्रेम का अनुपम रूप लिए संदर भाव ...
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन की शुभ-कामनाएं ...
bahut achhi kavita hai aapki. meri bhi ek bahan thi pinki naam tha ab nahi hai. aapki kavita padhi ek pal ke liye aiasa laga didi saamne hai . i missu didi
जवाब देंहटाएंआपकी बात दिल को छू गई...पिंकी जहाँ भी रहे खुश रहे, आपकी यादों में रहकर ही आपका संबल बनेंगी वो, भाई बहन का रिश्ता निश्छल होता है|
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी पंक्तियाँ
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